क्वांटम कम्प्यूटर्स
*परंपरागत कम्प्यूटरों की सीमाओं के कारण होने वाली परेशानियों से बचने के उद्देश्य
से क्वांटम कम्प्यूटर की आवश्यकता के संबंध में सर्वप्रथम रिचर्ड फिनमैन ने वर्ष
1981 में अपना तथ्य प्रस्तुत किया।
*1985 में डेविड डाउच ने इसकी सैद्धांतिक संरचना का विकास किया।
*ऐसे कम्प्यूटरों के सामने 1 सेकंड में 1000 खरब (1x1015) बार ऑन व ऑफ होने वाले
परंपरागत कम्प्यूटर भी सामान्य जान पड़ेंगे।
*क्वांटम कम्प्यूटर्स संगणना हेतु क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics) का
उपयोग करेंगे।
*वह आधुनिक सिद्धांत, जिसके आधार पर वैज्ञानिक अत्यंत छोटे पिंडों की संरचना एवं
व्यवहार के बारे में जानकारी प्राप्त कर पाते हैं, क्वांटम सिद्धांत (Quantum
Theory) कहलाता है।
*क्वांटम कम्प्यूटरों में समस्त कम्प्यूटेशनल मार्ग एक अकेले हार्डवेयर में लिया जाता
है, जो कि इसकी सबसे बड़ी विशेषता होती है।
*इस मार्ग में क्वांटम यांत्रिकी के अनुसार सुपरपोजीशन (Superposition) होता है,
जिसके तहत अनावश्यक अंश धनात्मक व ऋणात्मक होकर समाप्त हो जाते हैं और
गणना हेतु मात्र आवश्यक अंक ही बचे रह पाते हैं
*अभी इसका व्यावहारिक स्वरूप लेना शेष है, किंतु यदि यह साकार हो सका, तो यह
कम्प्यूटर की दुनिया में आशातीत क्रांति ला सकेगा।