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शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

Input and Output Devices, इनपुट और आउटपुट डिवाइस, input Devices, output devices

1. इनपुट/आउटपुट डिवाइस (Input/Output Device) :- 
               इनपुट/आउटपुट डिवाइस उपयोगकर्ता तथा कम्प्यूटर के बीच संपर्क स्थापित करने का माध्यम है। कम्प्यूटर केवल मशीनी भाषा (बाइनरी डिजिट-0 या 1 - ऑफ या ऑन) समझ सकता है जबकि कम्प्यूटर को दिए जाने वाले निर्देश तथा डाटा मानवीय भाषा (Human Language) में होता है। अतः कम्प्यूटर को इनपुट दिए जाने से पहले उसे मशीनी भाषा में बदलना जरूरी है। दूसरी तरफ, कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त परिणाम भी मशीनी भाषा में होता है जिसे उपयोगकर्ता तक पहुंचाने के लिए मानवीय भाषा में बदलना पड़ता है। यह कार्य इनपुट/आउटपुट डिवाइस द्वारा किया जाता है। उपयोगकर्ता कम्प्यूटर को डाटा तथा निर्देश इनपुट डिवाइस के जरिए देता है। इनपुट डिवाइस इसे मशीनी भाषा में परिवर्तित कर कम्प्यूटर को देता है। की-बोर्ड तथा माउस दो लोकप्रिय इनपुट डिवाइस हैं। डाटा प्रोसेस के बाद कम्प्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम आउटपुट डिवाइस के जरिए प्राप्त किया जाता है आउटपुट डिवाइस मशीनी भाषा में प्राप्त परिणामों को माननीय भाषा में बदलकर उपयोगकर्ता के लिए प्रस्तुत करता है मॉनिटर, प्रिंटर तथा स्पीकर कुछ प्रमुख और पूर्व डिवाइस है|  

2. इनपुट डिवाइस {Input Device} :- 
           यह एक विद्युत यांत्रिक युक्त {Electromechanical device} है जो डाटा और अन्य देशों को स्वीकार कर उन्हें बायनरी रूप में परिवर्तित कर कंप्यूटर के प्रयोग के लायक बनाता है इस प्रकार वे यंत्र जिनके द्वारा डाटा व आदेशों को कंप्यूटर में डाला जाता है इनपुट डिवाइस कहलाते हैं कंप्यूटर इनपुट डाटा टेक्स्ट (text), आवाज (Sound), चित्र (Image), चलचित्र (Video) या सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के रूप में हो सकता है|



कुछ प्रमुख इनपुट डिवाइस हैं-
1.  की-बोर्ड (Key Board)
2.  माउस (Mouse)
3.  ज्‍वॉस्टिक (Joystick)
4.  रकाशीय पेन (Light Pen)
5.  स्कैनर (Scanner)
6. बार कोड रीडर (Bar Code Reader)
7. माइकर (MICR-Magnetic Ink Character Recognition)
8. पंच कार्ड रीडर (Punch Card Reader)
9. ऑप्टिकल मार्क रीडर (Optical Mark Reader)
10. ऑप्टिकल कैरेक्टर रीडर (OCR-Optical Character Reader)
11. डिजिटल कैमरा (Digital Camera)
12. टच स्क्रीन (Touch Screen)
13. माइक (Mike)
14.  स्पीच रिकॉग्नीशन सिस्टम (Speech recognition system)
15.  आप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्नीशन (Optical Character Recognition)
16. इलेक्ट्रानिक कार्ड रीडर (Electronic Card Reader) ।
 
3.    की-बोर्ड (Key Board)
            की-बोर्ड एक प्रचलित इलेक्ट्रोमेकैनिकल इनपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग कम्प्यूटर में अल्फान्यूमेरिक डाटा डालने तथा कम्प्यूटर को निर्देश देने के लिए किया जाता है। की-बोर्ड पर टाइप किया जाने वाला डाटा कम्प्यूटर मानीटर के स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है। की- बोर्ड का प्रयोग माउस की तरह प्वाइंटिंग डिवाइस के रूप में भी किया जा सकता है।
            आजकल 104 बटनों वाले 'QWERTY' की-बोर्ड का प्रयोग प्रचलन में है। इसमें बटनों की व्यवस्था प्रचलित टाइपराइटर बटनों की तरह होती है जिसमें अंग्रजी के सभी अक्षरों को तीन पंक्तियों में व्यवस्थित किया गया होता है। इसे 'QWERTY' की-बोर्ड इसलिए कहा जाता है क्योंकि अक्षरों के सबसे ऊपर वाली पंक्ति के बायीं ओर के 6 बटन Q, W, E, R, T तथा Y के क्रम में होते हैं। कम्प्यूटर की- बोर्ड के कुछ बटन ऐसे भी होते हैं जिन्हें प्रयुक्त साफ्टवेयर के अनुसारकम्प्यूटर को निर्धारित निर्देश देने के लिए प्रयोग किया जाता है।
 
की-बोर्ड को पीएस-2 (Plug Station-2) पोर्ट द्वारा सीपीयू से जोड़ा जाता है। आजकल, की-बोर्ड को यूएसबी (USB) पोर्ट द्वारा भी कम्प्यूटर से जोड़ा जा रहा है। वायरलेस की-बोर्ड सिस्टम से भौतिक संपर्क बनाए बिना रेडियो तरंगों पर कार्य करता है तथा इसे ब्लूटूथ (Bluetooth) द्वारा कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है। कार्य और स्थिति के अनुसार की-बोर्ड को निम्नलिखित भागों में बांट सकते हैं-
(i) मुख्य की-बोर्ड (Main Key-Board) या टाइपराइटर बटन (Typewriter Key) : यह की-बोर्ड के बायें-मध्य भाग में अंग्रेजी टाइपराइटर के समान व्यवस्थित होता है। इसमें अंग्रेजी के सभी अक्षर (A से Z), अंक (0 से 9) तथा कुछ विशेष चिह्न रहते हैं। इसे अक्षर बटन (Alphabet Key) तथा संख्यात्मक बटन (Numeric Key) भी कहा जाता है। इनका प्रयोग कम्प्यूटर में अल्फान्यूमेरिक डाटा डालने के लिए तथा वर्ड प्रासेसिंग प्रोग्राम में किया जाता है। मुख्य की-बोर्ड में कुछ विराम चिह्न (Punctuation Keys) भी होते हैं।
 
(ii) फंक्शन बटन (Function Keys) : ये की-बोर्ड के सबसे ऊपर F1 से F12 तक अंकित बटन होते हैं। इनका कार्य प्रयोग किए जानेवाले साफ्टवेयर पर निर्भर करता है। वास्तव में ये एक पूरे आदेश के बराबर होते हैं जिनकी हमें बार-बार आवश्यकता पड़ती है। इससे समय की बचत होती है।
 
(ii) संख्यात्मक की-पैड (Numeric key-pad) : की- बोर्ड की दायीं ओर कैलकुलेटर के समान स्थित बटनों को संख्यात्मक की-पैड कहा जाता है। इनका प्रयोग संख्यात्मक डाटा को तीव्र गति से भरने के लिए किया जाता है। इनमें 0 से 9 तक, दशमलव (.), जोड़ (+), घटाव (-), गुणा (x) तथा भाग (/) के साथ न्यूमेरिकल लॉक (Num Lock) तथा इंटर (Enter) बटन होते हैं। ध्यान रहे कि 0 से 9 तक की संख्याओं के बटन मुख्य की-बोर्ड पर भी होते हैं तथा दोनों का समान परिणाम होता है। 

न्यूमेरिक की-पैड के कुछ बटन दो कार्य करते हैं। इन बटनों का प्रयोग की-बोर्ड द्वारा कर्सर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए माउस के विकल्प के रूप में भी किया जाता है। अतः इन्हें कर्सर कंट्रोल बटन (Curson Control Key) भी कहा जाता है इनका प्रयोग कम्‍प्‍यूटर गेम को नियंत्रित करने में भी किया जाता हैा
 
                    यदि Num Lock बटन ऑन है तो Numeric Key-Pad का प्रयोग संख्याओं को टाइप करने के लिए होता है। यदि Num Lock बटन ऑफ है तो इन बटनों का प्रयोग arrow key तथा End, Home, Page up, Page Down, Insert तथा Delete फंक्शन के लिए किया जाता है। Num Lock बटन ऑफ होने पर इनसे संख्याएं टाइप नहीं की जा सकतीं। किसी-किसी की-बोर्ड में Num Lock ऑन होने पर एक हरी बत्ती भी जलती है।
(iv) कर्सर मूवमेंट बटन (Cursor Movement Keys) : की-बोर्ड के दायें निचले भाग में तीर के निशान वाले चार बटन होते हैं जिनसे कर्सर को दाएं (,), बायें (6), ऊपर (क) तथा नीचे (1) ले जाया जा सकता है। इन्हें दायां, बायां, ऊपर तथा नीचे ऐरो बटन (Right, Left, Up and DownArrow Key) कहते हैं। इन्हें एक बार दबाने पर कर्सर एक स्थान बाएं या दाएं या एक लाइन ऊपर या नीचे हो जाता है। इसे Navigation Keys भी कहा जाता है। इसके ठीक ऊपर कर्सर कंट्रोल के लिए चार बटन और होते हैं जो इस प्रकार हैं-
→ होम (Home) कर्सर को लाइन के आरंभ में ले जाता है। | Home तथा Ctrl. बटन को एक साथ दबाने पर कर्सर वर्तमान पेज या डाक्यूमेंट के आरंभ में चला जाता है। किसी वेब पेज को देखने के दौरान Home बटन दबाने पर कर्सर उस वेब पेज के प्रारंभ में पहुंच जाता है। 
→ इंड (End) : कर्सर को लाइन या पेज के अंत में ले जाता है। End तथा Ctrl बटन को एक साथ दबाने पर कर्सर वर्तमान पेज या डाक्यूमेंट के अंत में चला जाता है। किसी वेब पेज को देखने के दौरान End बटन दबाने पर कर्सर उस बेब पेज के अंत में पहुंच जाता हैा
(v) मोडिफायर बटन (Modifier Keys) : कम्प्यूटर की-बोर्ड पर बना कोई बटन या बटनों का समूह जिसके प्रयोग से किसी अन्य बटन से होने वाले कार्य में परिवर्तन हो जाता है, मोडिफायर बटन कहलाता है। मोडिफायर बटन स्वयं कोई कार्य नहीं करता, परंतु दूसरे
बटनों के कार्यों में बदलाव करता है। मोडिफायर बटन का प्रयोग किसी अन्य बटन के साथ मिलकर किसी विशेष कार्य को संपादित करने के लिए किया जाता है। Shift, Alt (Alternate), Ctrl (Control) तथा Windows Key मोडिफायर बटन हैं। इनका प्रयोग कम्प्यूटर साफ्टवेयर के अनुसार बदलता रहता है। सुविधा के लिए की-बोर्ड पर Shift, Alt, Ctrl तथा Windows Key के दो-दो बटन बनाये जाते हैं जो मुख्य की-बोर्ड के दोनों छोरों पर स्थित होते हैं। क्या आप जानते हैं ? कम्प्यूटर यूनिट के साथ मिलकर की-बोर्ड तथा मॉनीटर वीडियो डिस्प्ले टर्मिनल (VDT-Video Display Terminal) या मात्र टर्मिनल कहलाते हैं। टर्मिनल का अर्थ है- वह स्थान जहां संचार पथ का अंत (Terminate) हो जाता है।

(vi) स्पेशल परपस बटन (Special Purpose Key) : कम्प्यूटर की-बोर्ड के कुछ बटन किसी खास उद्देश्य के लिए बनाएजाते हैं, जिन्हें स्पेशल परपस बटन कहा जाता है। कुछ स्पेशल परपस बटन और उनके कार्य इस प्रकार हैं-
(क)न्यूमेरिक लॉक बटन (Num Lock Key
) - इसका प्रयोग संख्यात्मक बटनों के साथ किया जाता है। Num Lock ऑन होने पर की-बोर्ड के ऊपर दायीं ओर एक हरी बत्ती जलती है तथा संख्यात्मक की-पैड के बटन के ऊपर लिखी संख्याएं टाइप करते हैं।Num Lock ऑफ होने पर ये बटन नीचे लिखे कार्य संपन्न करते हैं।
(ख) कैप्स लॉक बटन (Caps Lock Key) - इसका प्रयोग अंग्रेजी वर्णमाला को छोटे अक्षरों (Small Letters/Lower Case) या बड़े अक्षरों (Capital Letters/Upper Case) में लिखने के लिए किया जाता है। कैप्स लॉक बटन दबाने पर ऊपर दायीं ओर एक बत्ती जलती है तथा की-बोर्ड के संबंधित बटनों द्वारा वर्णमाला को बड़े अक्षरों में लिखा जाता है। कैप्स लॉक बटन दूसरी बार दबाने पर बत्ती बुझ जाती है तथा वर्णमाला के छोटे अक्षरों को टाइप किया जा सकता है।
(ग) शिफ्ट बटन (Shift Key) : इसे संयोजन बटन (Combination Key) भी कहते हैं क्योंकि इसका उपयोग किसी और बटन के साथ किया जाता है। किसी बटन पर दो चिह्न रहने पर शिफ्ट बटन के साथ उस बटन को दबाने पर ऊपर वाला चिह्न टाइप होता है। उस बटन को अकेले दबाने पर नीचे लिखा चिह्न आता है। अगर कैप्स लॉक बटन ऑन है, तो शिफ्ट बटन के साथ वर्णमाला के बटन दबाने पर छोटे अक्षर टाइप होते हैं। अगर कैप्स लॉक बटन ऑफ है तो शिफ्ट बटन के साथ वर्णमाला के बटन दबाने पर बड़े अक्षर टाइप होते हैं।
(घ) टैब बटन (Tab Key) - यह कर्सर को एक निश्चित दूरी, जो रूलर (Ruler) द्वारा तय की जा सकती है, तक कुदाते हुए ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है। किसी चार्ट, टेबल या एक्सेल प्रोग्राम में एक खाने से दूसरे खाने तक जाने के लिए भी टैब बटन का प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा डायलॉग बॉक्स में उपलब्ध विकल्पों में से किस एक का चयन भी किया जा सकता है।
पि
(ङ) रिटर्न (Return) या इन्टर (Enter) बटन - कम्प्यूटर को दिए गए निर्देशों को कार्यान्वित करने के लिए तथा स्क्रीन पर टाइप डाटा को कम्प्यूटर में भेजने के लिए इंटर बटन का प्रयोग किया जाता है। वर्ड प्रोसेसिंग प्रोग्राम में नया पैराग्राफ या लाइन आरंभ करने का कार्य भी इससे किया जाता है। कभी-कभी, की-बोर्ड में Enter बटन को पहचान के लिए एक विशेष आकार प्रदान किया जाता है।
(च) एस्केप बटन (ESC-Escape Key) - इस बटन का प्रयोग पिछले कार्य को समाप्त करने या चालू प्रोग्राम के बाहर जाने के लिए होता है।
(छ) बैक स्पेस बटन (Back Space Key) - इसके प्रयोग से कर्सर के ठीक बांयी ओर स्थित कैरेक्टर या स्पेस को एक-एक कर मिटाया जाता है। इसका प्रयोग टाइपिंग के समय गलतियाँ ठीक करने में किया जाता है।
(ज) डिलीट बटन (Del - Delete Key) - इसका प्रयोग कर्सर के ठीक दायीं ओर स्थित कैरेक्टर या स्पेस को एक-एक कर मिटाने में किया जाता है। इससे कर्सर के बाद के सभी डाटा एक स्थान बायीं ओर खिसक जाते हैं। इससे चयनित शब्द, लाइन, पैराग्राफ
, पेज या फाईल को एक साथ भी मिटाया जा सकता हैा
(झ) प्रिंट स्क्रीन बटन (Print Screen Key) - इससे स्क्रीन पर जो कुछ भी दिख रहा है, उसे प्रिंट किया जा सकता है है। प्रिंट स्क्रीन बटन कम्प्यूटर स्क्रीन का फोटो क्लिप बोर्ड में संग्रहित कर लेता है जिसे बाद में किसी अन्य प्रोग्राम में Paste या Edit किया जा सकता है
(N) स्क्रॉल लॉक बटन (Scroll Lock Key) - इस बटन को दबाने से कम्प्यूटर स्क्रीन पर आ रही सूचना एक स्थान पर रुक जाती है। सूचना को फिर से शुरू करने के लिए यही बटन दुबारा दबाना पड़ता है।
(ट) पॉज बटन (Pause Key) इसका कार्य स्क्रॉल लॉक बटन जैसा ही है। किसी भी दूसरे बटन को दबाने पर सूचना शुरू हो जाती है।
(ठ) इन्सर्ट बटन (Insert Key) -
इसका प्रयोग पहले से संग्रहित डाटा पर Overwrite करने के लिए किया जाता है। इन्सर्ट बटन दबाकर कोई टाइपिंग बटन दबाने पर कर्सर के ठीक बाद स्थित अंक या अक्षर मिट जाता है तथा उसके स्थान पर नया टेक्स्ट टाइप हो जाता है।
(ड) कंट्रोल + आल्ट + डेल (Ctrl+Alt+Del-Control+Alternate+Delete Key) - इन तीनों बटनों को एक साथ दबाने पर कम्प्यूटर में चल रहे प्रोग्राम बंद हो जाते हैं तथा कम्प्यूटर फिर से स्वयं शुरू वाली अवस्था में पहुंच जाता है। ऐसा अक्सर तब किया जाता है जब कम्प्यूटर हैंग (Hang) हो जाता है अर्थात् किसी अन्य बटन के आदेश का पालन नहीं करता। इसे रिसेट (Reset) भी कहते हैं।
(ढ) स्टिक बटन (Stick Keys)- वे उपयोगकर्ता जो दो या अधिक बटनों को एक साथ दबाने में असुविधा महसूस करते हैं, उनकी सुविधा के लिए स्टिक बटन का प्रयोग किया जाता है। इसमें उपयोगकर्ता Modifier Keys (Ctrl, Shift, AI) या Windows Key को लगातार दो बार दबा कर तब तक सक्रिय रख सकता है जब तक दूसरा बटन न दबा दिया जाए।
            Stick Key सुविधा को चालू करने के लिए Shift बटन को 5 बार लगातार दबाते हैं। इसे बंद करने के लिए दोनों Shift बटन एक साथ दबाते हैं।
(ण) स्पेस बार (Space Bar) : यह की-बोर्ड में सबसे निचली पंक्ति के बीच में स्थित सबसे लंबा बटन है। सामान्यतः इसका प्रयोग टाइप करते समय अक्षरों तथा अंकों के बीच खाली स्थान (Space) डालने के लिए किया जाता है। इसे इतना लंबा इसलिए बनाया जाता है ताकि दोनों हाथों से टाइप करते समय किसी भी हाथ के अंगूठे से इसका प्रयोग किया जा सके। Modifier Key के साथ इसका प्रयोग साफ्टवेयर के अनुसार अन्य कार्यों के लिए भी किया जाता है। वीडियो गेम में भी इसे एक मुख्य बटन के रूप में प्रयोग किया जाता है।

3.1 वर्चुअल की-बोर्ड (Virtual Key Board) : वर्चुअल का अर्थ होता है-आभाषी। वर्चुअल की-बोर्ड साफ्टवेयर प्रोग्राम द्वारा तैयार किया जाता है जिसमें की-बोर्ड का प्रतिबिंब किसी सतह पर उतारा (Prejection) जाता है। सतह पर बने की-बोर्ड के आभासी चित्र में किसी बटन को छूकर कम्प्यूटर में डाटा या निर्देश डाला जा सकता है। 

       वर्चुअल की-बोर्ड में कोई मशीनी पुर्जा नहीं होता। अतः इसमें टूट-फूट की संभावना नहीं होती तथा साफ-सफाई की भी जरूरत नहीं होती।

3.2. ऑन स्क्रीन की-बोर्ड (On Screen Key Board) : यह एक अप्लिकेशन साफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसमें की-बोर्ड कम्प्यूटर स्क्रीन पर ही दिखाई देता है। ऑन स्क्रीन की-बोर्ड को माउस या टच स्क्रीन या किसी अन्य Pointing device की सहायता से प्रयोग में लाया जाता है। यह वर्चुअल की-बोर्ड का ही एक रूप है। आजकल, टैबलेट तथा स्मार्टफोन में डाटा डालने के लिए ऑन स्क्रीन की-बोर्ड का प्रचलन बढ़ रहा है।
4. माउस (Mouse) यह एक इनपुट डिवाइस है जिसे प्वाइंटिंग डिवाइस (Pointing device) भी कहा जाता है। ग्राफिकल यूसर इंटरफेस (GUI- Graphical User Interface) के प्रयोग से इसका महत्त्व बढ़ गया है। माउस का आविष्कार डॉ. डगलस इंजेलबार्ट (Dr. Douglas Engelbart) ने 1964 में किया था।


 
माउस की सहायता से हम कम्प्यूटर स्क्रीन पर कर्सर या किसी
ऑब्जेक्ट (Object) को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सकते हैं। माउस का प्रयोग किसी Command, Dialog Box या Icon को सेलेक्ट करने या उससे संबंधित कार्य को क्रियान्वित करने के लिए भी किया जाता है। माउस को कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर बने PS-2 पोर्ट या USB (Universal Serial Bus) पोर्ट से जोड़ा जाता है।
            माउस में दो या तीन बटन हो सकते हैं जिन्हें दायां, बायां और मध्य बटन (Right, Left and Centre Button) कहते हैं। माउस बटन वास्तव में माइक्रोस्विच है जिन्हें दबाकर कम्प्यूटर को वांछित संदेश प्रेषित किए जाते हैं। इसके नीचे एक रबर बॉल होता है। किसी समतल सतह (माउस पैड) पर माउस को हिलाने पर बॉल घूमता
है तथा उसकी गति और दिशा मानीटर पर माउस प्वाइंटर (A) की गति और दिशा में परिवर्तित हो जाती है। ऑपरेटिंग सिस्टम में माउस प्रॉपर्टीज में परिवर्तन कर बायें व दायें बटन के कार्यों में अदला-बदली में की जा सकती है। ऐसा बायें हाथ से काम करने वालों की सुविधा के त लिए किया जाता है। 
             
         किसी माउस के तीन बटन इस प्रकार होते हैं-

बायां बटन (Left Button) : यह माउस के बायीं ओर स्थित होता है। इससे क्लिक, डबल क्लिक, प्वाइंट या ड्रैग का काम लिया जाता है।
दायां बटन (Right Button) : यह माउस के दायीं ओर स्थित होता है। यह साफ्टवेयर के अनुसार कुछ विशेष कार्यों जैसे- डायलॉग बॉक्स या मेन्यू बाक्स खोलने, प्रोपर्टीज देखने आदि के लिए किया जाता है।
मध्य बटन (Centre Button) : इसे स्क्रॉल बटन (Scroll
Button) भी कहा जाता है। इसका प्रयोग डाक्यूमेंट या वेब पेज को ऊपर नीचे करने के लिए किया जाता है। आधुनिक माउस में बीच वाले बटन को एक हील (Wheel) में बदल दिया जाता है, जिसे डाक्यूमेंट या वेब पेज को ऊपर नीचे (Scroll) किया जाता है।
 

 

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