अगली पीढ़ी के कम्प्यूटर (Next Generation Computer)
नैनो कम्प्यूटर (Nano Computer) : नैनो ट्यूब्स जिनका व्यास 1 नैनो मीटर (1x10-3 मी.) तक हो सकता है, के प्रयोग से अत्यंत छोटे व विशाल क्षमता वाले कम्प्यूटर के विकास की परिकल्पना की गई है। नैनो टेक्नोलॉजी में पदार्थ की आण्विक संरचना (Atomic Structure) का उपयोग किया जाता है।
क्वांटम कम्प्यूटर (Quantum Computer) : विद्युतीय किरणों में ऊर्जा इलेक्ट्रान की उपस्थिति के कारण होती है। ये इलेक्ट्रान अपने कक्ष में तेजी से भ्रमण करते हैं। इस कारण इन्हें एक साथ 1 और 0 की स्थिति में गिना जा सकता है। इस क्षमता का इस्तेमाल कर मानव मस्तिष्क से भी तेज कार्य करने वाले कम्प्यूटर के विकास का प्रयास चल रहा है।
इस प्रकार के कम्प्यूटर में पदार्थ के क्वांटम सिद्धांत का उपयोग किया जाता है। सामान्य कम्प्यूटर में मेमोरी को बिट में मापा जाता है जबकि क्वांटम कम्प्यूटर में इसे क्यूबिट (Qubit - Quantum Bit) में मापा जाता है।
डीएनए कम्प्यूटर (DNA Computer) : इसमें जैविक पदार्थ, जैसे DNA या प्रोटीन (Protein) का प्रयोग कर डाटा को संरक्षित व प्रोसेस किया जा सकता है। इसे Bio Computer भी कहा जाता है।
केमिकल कम्प्यूटर (Chemical Computer) : इसमें गणना के लिए पदार्थ के रासायनिक गुणों व सांद्रता (Concentration) का उपयोग किया जा सकता है।
कार्य पद्धति के आधार पर वर्गीकरण
(Classification on Working Technology)
तकनीक के आधार पर कम्प्यूटर को तीन प्रकार में बांटा जाता हैा
(i) एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer) : समय के साथ लगातार परिवर्तित होने वाली भौतिक राशियों को एनालॉग राशि कहते हैं। जैसे—तापक्रम, दबाव, विद्युत वोल्टेज आदि। एनालॉग कम्प्यूटर में डाटा का निरूपण लगातार परिवर्तित होने वाली राशि के रूप में होता है। एनालॉग कम्प्यूटर की गति अत्यंत धीमी होती है। इस प्रकार के कम्प्यूटर अब प्रचलन से बाहर हो गये हैं। एक साधारण घड़ी, वाहन का गति मीटर (Speedo meter), वोल्टमीटर आदि एनालॉग कम्प्यूटिंग के उदाहरण हैं।
(ii) डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer) : ये इलेक्ट्रानिक संकेतों पर चलते हैं तथा गणना के लिए द्विआधारी अंक पद्धति (Binary System- 0 या 1) का प्रयोग किया जाता है। डिजिटल कम्प्यूटर में डाटा का निरूपण बाइनरी रूप (0 या 1) में किया जाता है। इनकी गति तीव्र होती है। वर्तमान में प्रचलित अधिकांश कम्प्यूटर इसी प्रकार के हैं। इसमें आंकड़ों को इलेक्ट्रॉनिक पल्स के रूप में निरूपित किया जाता है।
(ii) हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer) : यह डिजिटल व एनालॉग कम्प्यूटर का मिश्रित रूप है। इसमें गणना तथा प्रोसेसिंग के लिए डिजिटल रूप का प्रयोग किया जाता है, जबकि इनपुट तथा आउटपुट में एनालॉग संकेतों का उपयोग होता है। इस तरह के कम्प्यूटर का प्रयोग अस्पताल, रक्षा क्षेत्र व विज्ञान आदि में किया जाता है।
आकार और कार्य के आधार पर वर्गीकरण
(Classification Based on Size & Work)
आकार और कार्य के आधार पर कम्प्यूटर को मेनफ्रेम; मिनी; माइक्रो कम्प्यूटर तथा सुपर कम्प्यूटर में बांटा जाता है। पर्सनल कम्प्यूटर, नोटबुक, नेटबुक, टैबलेट, लैपटॉप, वर्कस्टेशन तथा पामटॉप आदि माइक्रो कम्प्यूटर के ही विभिन्न रूप हैं।
4.1. मेन फ्रेम कम्प्यूटर (Main Frame Computer)
मेन फ्रेम कम्प्यूटर में मुख्य कम्प्यूटर एक केंद्रीय स्थान पर रखा जाता है जो सभी डाटा और अनुदेशों को स्टोर करता है। उपयोगकर्ता Dumb Terminal के माध्यम से मेन फ्रेम कम्प्यूटर से जुड़ता है तथा केंद्रीय डाटाबेस और प्रोसेसिंग क्षमता का उपयोग करता है। मेन फ्रेम कम्प्यूटर आकार में काफी बड़े होते हैं। इनकी डाटा स्टोरेज क्षमता अधिक होती है तथा डाटा प्रोसेस करने की गति तीव्र होती है। मेनफ्रेम कम्प्यूटर से जुड़कर एक साथ कई लोग अलग-अलग कार्य कर सकते हैं। अतः इसे मल्टी यूजर (Multi User) कम्प्यूटर कहा जाता है। इसमें ऑनलाइन (Online) रहकर बड़ी मात्रा में डाटा प्रोसेसिंग किया जा सकता है। मेनफ्रेम कम्प्यूटर में दो या अधिक माइक्रोप्रोसेसर को एक साथ जोड़कर प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ायी जाती है। इनमें सामान्यतः 32 या 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है। मेनफ्रेम कम्प्यूटर में टाइम शेयिरंग (Time Sharing) तथा मल्टी प्रोग्रामिंग (Multi Programming) आपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाता है।
उपयोग : मेन फ्रेम कम्यूटर का उपयोग बड़ी कंपनियों, बैंक, रेलवे आरक्षण, रक्षा, अनुसंधान, अंतरिक्ष विज्ञान आदि के क्षेत्र में किया जाता हैा
::: मेन फ्रेम कम्यूटर :::
मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) ये आकार में मेनफ्रेम कम्प्यूटर से छोटे जबकि माइक्रो कम्प्यूटर से बड़े होते हैं। इसका आविष्कार 1965 में डीइसी (DEC-Digital Equipment Corporation) नामक कम्पनी ने किया। इसमें एक से अधिक माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है। इसकी संग्रहण क्षमता और गति अधिक होती है। इस पर कई व्यक्ति एक साथ काम कर सकते हैं, अतः संसाधनों का साझा उपयोग होता है।
उपयोग : यात्री आरक्षण, बड़े ऑफिस, कम्पनी, अनुसंधान आदि में
इम्बेडेड कम्प्यूटर (Embedded Computer): किसी उपकरण जैसे टेलीविजन, वाशिंग मशीन, माइक्रोवेव, कार आदि से जुड़ा छोटा कम्प्यूटर जिसे किसी विशेष कार्य के लिए तैयार किया जाता है, इम्बेडेड कम्प्यूटर कहलाता है। इम्बेडेड कम्प्यूटर । एक माइक्रो प्रोसेसर या इंटिग्रेटेड चिप के रूप में होता है जो उस उपकरण के कार्य को सरल बनाता है।
माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer) : T इसका विकास 1970 से प्रारंभ हुआ जब सीपीयू (CPU-Central Processing Unit) में माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग किया जाने लगा। इसका विकास सर्वप्रथम आईबीएम कम्पनी ने किया। इसमें 8,16,32 या 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया
जाता है।
वीएलएसआई (VLSI-Very Lagre Scale Integration) और यूएलएसआई (ULSI-Ultra Large Scale Integration) से माइक्रो प्रोसेसर के आकार में कमी आई है जबकि क्षमता कई गुना बढ़ गयी है। मल्टीमीडिया और इंटरनेट के विकास ने माइक्रो कम्प्यूटर की उपयोगिता को हर क्षेत्र में पहुंचा दिया है। कई माइक्रो कम्प्यूटर को संचार माध्यमों द्वारा आपस में जोड़कर कम्प्यूटर नेटवर्क बनाया जा सकता है। डेस्कटॉप कम्प्यूटर, पर्सनल कम्प्यूटर, लैपटॉप कम्प्यूटर, नोटबुक कम्प्यूटर, नेटबुक कम्प्यूटर, टैबलेट तथा स्मार्टफोन माइक्रो कम्प्यूटर के ही विभिन्न रूप हैं।
उपयोग : घर, आफिस, विद्यालय, व्यापार, उत्पादन, रक्षा, मनोरंजन, चिकित्सा आदि अनगिनत क्षेत्रों में इसका उपयोग हो रहा है।
पर्सनल कम्प्यूटर (Personal Computer-PC) : इसे डेस्कटॉप कम्प्यूटर (Desktop Computer) भी कहा जाता है। आजकल प्रयुक्त होने वाले पीसी (PC - Personal Computer) वास्तव में माइक्रो कम्प्यूटर ही हैं। इसमें की-बोर्ड, मानीटर तथा सिस्टम यूनिट होते हैं। सिस्टम यूनिट में सीपीयू (CPU-Central Processing Unit), मेमोरी तथा अन्य हार्डवेयर होते हैं। यह छोटे आकार का सामान्य कार्यों के लिए बनाया गया कम्प्यूटर है। इस पर एक बार में एक ही व्यक्ति (Single User) कार्य कर सकता है। इसी कारण, इसे पर्सनल कम्प्यूटर कहा जाता है। इसका आपरेटिंग सिस्टम एक साथ कई कार्य करने की क्षमता वाला (Multitasking) होता है। पीसी को टेलीफोन और मॉडेम (Modem) की सहायता से आपस में या इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है। कुछ प्रमुख पीसी निर्माता कम्पनी हैं—आईबीएम (IBM), लेनोवो (Lenovo), एप्पल (Apple), काम्पैक (Compaq), जेनिथ (Zenith), एचसीएल (HCL), एचपी (HP-HewlettPackard) ।
उपयोग : पीसी का विस्तृत उपयोग घर, ऑफिस, व्यापार, शिक्षा, मनोरंजन, डाटा संग्रहण, प्रकाशन आदि अनेक क्षेत्रों में किया जा रहा है।
पीसी का विकास 1981 में हुआ जिसमें माइक्रो प्रोसेसर 8088 का प्रयोग किया गया। इसमें हार्ड डिस्क ड्राइव लगाकर उसकी क्षमता बढ़ायी गयी तथा इसे पीसी-एक्स टी (PC-XT Personal Computer-Extended Technology) नाम दिया गया। 1984 में नये माइक्रो प्रोसेसर-80286 से बने पीसी को पीसी-एटी (PC-AT - Personal Computer-Advanced Technology) नाम दिया गया। वर्तमान पीढ़ी के सभी पर्सनल कम्प्यूटर को पीसी-एटी ही कहा जाता है।
पर्सनल कम्प्यूटर
वर्क स्टेशन (Work Station) : यह एक शक्तिशाली पी. सी. है जो अधिक प्रोसेसिंग क्षमता,
विशाल भंडारण और बेहतर डिस्प्ले (Display) को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। इस पर एक बार में एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता है। उपयोग : वैज्ञानिक, इंजिनियरिंग, भवन निर्माण आदि क्षेत्रों में वास्तविक परिस्थितियों को उत्पन्न कर (Simulation) उनका अध्ययन करने के लिए