गुरुवार, 27 जनवरी 2022


कम्प्यूटर की सीमाएं (Limitations of the Computer) and अनुप्रयोग (Applications of Computer)

 कम्प्यूटर की सीमाएं (Limitations of the Computer) 

(i) बुद्धिहीन (No mind) : कम्प्यूटर में स्वयं की सोचने और निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती। यह केवल दिये गये दिशा-निर्देशों के अंदर ही कार्य कर सकता है।
 

(ii) खर्चीला (Expensive) : कम्प्यूटर के हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर काफी महंगे होते हैं तथा इन्हें समय-समय पर आवश्यकतानुसार परिवर्तित भी करना पड़ता है।

  

(iii) वायरस का खतरा (Immune to virus) : कम्प्यूटर में वायरस का खतरा बना रहता है जो सूचना और निर्देशों को दूषित या समाप्त कर सकता है। ये वायरस कम्प्यूटर की भंडारण क्षमता को भी प्रभावित करते हैं। हालांकि एंटीवायरस साफ्टवेयर (Antivirus Software) का प्रयोग कर इससे बचा जा सकता है।

 

(iv) विद्युत पर निर्भरता (Depends on Electricity) : कम्प्यूटर अपने कार्य के लिए विद्युत पर निर्भर करता है तथा इसके अभाव में कोई भी कार्य संपन्न कर पाने में सक्षम नहीं है।
 

कम्प्यूटर के अनुप्रयोग (Applications of Computer) :-

कम्प्यूटर का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है। वर्तमान में, शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां कम्प्यूटर का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। निम्नलिखित क्षेत्रों में कम्प्यूटर का विभिन्न अनुप्रयोग किया जा रहा है
 

(i) डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) : बड़े और विशाल सांख्यिकीय डाटा से सूचना तैयार करने में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है। जनगणना, सांख्यिकीय विश्लेषण, परीक्षाओं के परिणाम आदि में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
 

(ii) सूचनाओं का आदान-प्रदान (Exchange of Information) : भंडारण की विभिन्न पद्धतियों के विकास और कम स्थान घेरने के कारण ये सूचनाओं के आदान-प्रदान के बेहतर माध्यम साबित हो रहे हैं। इंटरनेट (Internet) के विकास ने तो इसे 'सूचना का राजमार्ग' (Information Highway) बना दिया है।
 

(iii) शिक्षा (Education) : मल्टीमीडिया (Multimedia) के विकास और कम्प्यूटर आधारित शिक्षा ने इसे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बना दिया है। डिजिटल लाइब्रेरी ने पुस्तकों की सर्वसुलभता सुनिश्चित की है।
 

(iv) वैज्ञानिक अनुसंधान (Scientific Research) : विज्ञान के अनेक जटिल रहस्यों को सुलझाने में कम्प्यूटर की सहायता ली जा रही है। कम्प्यूटर में परिस्थितियों का उचित आकलन भी संभव हो पाता है। 

(vi) बैंक (Bank) : कम्प्यूटर के अनुप्रयोग ने बैकिंग क्षेत्र में क्रांति ला दी है। एटीएम (ATM-Automatic Teller Machine) तथा ऑनलाइन बैंकिंग, चेक के भुगतान, इ.सी.एस. (Electronic Clearing Service), रुपया गिनना तथा पासबुक इंट्री में कम्प्यूटर
का प्रयोग किया जा रहा है।


(vii) चिकित्सा (Medicine) : शरीर के अंदर के रोगों का पता लगाने, उनका विश्लेषण और निदान में कम्प्यूटर का विस्तृत प्रयोग हो रहा है। सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे तथा विभिन्न जाँच में कम्प्यूटर का प्रयोग हो रहा है।


(viii) रक्षा (Defence) : रक्षा अनुसंधान, वायुयान नियंत्रण, मिसाइल, रडार आदि में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है।
 

(ix) अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (Space Technology) : कम्प्यूटर के तीव्र गणना क्षमता के कारण ही ग्रहों, उपग्रहों और अंतरिक्ष की घटनाओं का सूक्ष्म अध्ययन किया जा सकता है। कृत्रिम उपग्रहों में भी कम्प्यूटर का विशेष प्रयोग हो रहा है।
 

(x) संचार (Communication) : आधुनिक संचार व्यवस्था कम्प्यूटर के प्रयोग के बिना संभव नहीं है। टेलीफोन और इंटरनेट ने संचार क्रांति को जन्म दिया है। तंतु प्रकाशिकी संचरण (Fiberoptics
communication) में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है।
 

(xi) उद्योग व व्यापार (Industry & Business) : उद्योगों में कम्प्यूटर के प्रयोग से बेहतर गुणवत्ता वाले वस्तुओं का उत्पादन संभव हो पाया है। व्यापार में कार्यों और स्टाक का लेखा-जोखा रखने में
कम्प्यूटर सहयोगी सिद्ध हुआ है।
 

(xii) मनोरंजन (Recreation) : सिनेमा, टेलीविजन के कार्यक्रम, वीडियो गेम में कम्प्यूटर का उपयोग कर प्रभावी मनोरंजन प्रस्तुत किया जा रहा है। मल्टीमीडिया के प्रयोग ने कम्प्यूटर को मनोरंजन का उत्तम साधन बना दिया है।
 

(xiii) प्रकाशन (Publishing) : प्रकाशन और छपाई में कम्प्यूटर का प्रयोग इसे सुविधाजनक तथा आकर्षक बनाता है। रेखाचित्रों और ग्राफ का निर्माण अब सुविधाजनक हो गया है।
 

(xiv) प्रशासन (Administration) : प्रशासन में पारदर्शिता लाने, सरकार के कार्यों को जनता तक पहुंचाने तथा विभिन्न प्रशासनिक तंत्रों में बेहतर तालमेल के लिए ई-प्रशासन (e-governance) का उपयोग कम्प्यूटर की सहायता से ही संभव हो पाया है।


(xv) डिजिटल पुस्तकालय (Digital Library) : पुस्तकों को अंकीय स्वरूप प्रदान कर उन्हें अत्यंत कम स्थान में अधिक समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। इसे इंटरनेट से जोड़ देने पर किसी भी स्थान से पुस्तकालय में संग्रहित सूचना को प्राप्त किया जा सकता है

 

कम्प्यूटर के अनुप्रयोग के प्रभाव (Impact of Computerisation)

(i) समय की बचत : चूंकि कम्प्यूटर के कार्य करने की गति अत्यंत तीव्र है, अतः मनुष्य द्वारा एक साल में पूरा किए जाने वाले कार्यों को कम्प्यूटर की सहायता से कुछ ही मिनटों में किया जा सकता है।
 

(ii) त्रुटि रहित कार्य : कम्प्यूटर के प्रयोग से कार्य में त्रुटि (error) की संभावना नगण्य हो जाती है। जो त्रुटि होती भी है, वह गलत डाटा या गलत प्रोग्राम का परिणाम है जिसे पहचान कर सही किया जा सकता है
 

(iii) कार्य की गुणवत्ता : चूंकि कम्प्यूटर हर बार समान गुणवत्ता से कार्य करता है, अतः बार-बार एक ही कार्य को करने के पश्चात् भी उत्पाद की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं होता है ।
 

(iv) कागज की बचत : डाटा संग्रहण के इलेक्ट्रानिक विधियों के उपयोग और उनकी विशाल भंडारण क्षमता के कारण कम्प्यूटर के प्रयोग से कागज की बचत संभव हो पाती है।


(v) बेरोजगारी : यह कम्प्यूटर के विस्तृत अनुप्रयोग का एक नकारात्मक प्रभाव है। एक कम्प्यूटर द्वारा सैकड़ों लोगों का कार्य किया जा सकता है जिससे लोगों की जीविका पर प्रभाव पड़ता है। परन्तु वैकल्पिक व्यवस्था और समुचित विकास द्वारा इस पर काबू पाया जा सकता है। दूसरी तरफ, कम्प्यूटर से संबंधित क्षेत्रों में रोजगार का सृजन भी किया जा सकता है।


आजकल शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा, जिसमें कम्प्यूटर का
प्रयोग नहीं किया जा रहा है। पर्यावरण, पुस्तकालय, यातायात,
पुलिस प्रशासन, मौसम विज्ञान, संगीत, चित्रकला, ज्योतिष, इंजिनियरिंग
डिजाइन आदि अनेक क्षेत्रों में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है।


 

रोजक तथ्‍य 

भारत में पहला कम्‍प्‍यूटर भारतीय सांख्यिकी संस्‍था (Indian Statistical Institute) कलकत्‍ता में सन १९५६ में स्‍थापित किया गया था ा

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