शुक्रवार, 28 जनवरी 2022

कम्‍प्‍यूटर के विकास का वर्गीकरण (Classification of Development of Computer)

 

हार्डवेयर के उपयोग के आधार पर :-

१- पहली पीढी

२- दूसरी पीढी

३- तीसरी पीढी

४- चौथी पीढी 

५- पांचवी पीढी

 

कार्य पद्ति के आधार पर :-

१- एनालॉग कम्‍प्‍यूटर

२- डिजिटल कम्‍प्‍यूटर

३- हाडब्रिड कम्‍प्‍यूटर

 

आकार और कार्य के आधार पर :-

१- मेन फ्रेम कम्‍प्‍यूटर

२- मिनी कम्‍प्‍यूटर 

३- माइक्रो कम्‍प्‍यूटर

४- सुपर कम्‍प्‍यूटर

            हार्डवेयर के उपयोग के आधार पर कम्‍प्‍यूटर को विभिन्‍न पीढियों (Generations) में बांटा जाता हैा 


पहली पीढी के कम्‍प्‍यूटर :-

(First Generation Computer) (1942-1955) 

➣ पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर के निर्माण में निर्वात ट्यूब (Vacuum Tubes) का प्रयोग किया गया।

 

               निर्वात ट्यूब (Vacuum Tubes)

 

साफ्टवेयर मशीनी भाषा (Machine Language) तथा निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (Low Level Program- Ming Language) में तैयार किया जाता था।


डाटा तथा साफ्टवेयर के भंडारण (Storage) के लिए पंचकार्ड (Punch Card) तथा पेपर टेप (Paper Tape) का प्रयोग किया गया।

कम्प्यूटर का गणना समय या गति मिली सेकेण्ड (Milli Second-ms) में थी। (1 ms = 10-3 या 1/1000 sec)।

 

➣  पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर का उपयोग मुख्यतः वैज्ञानिक अनुसंधान तथा सैन्य कार्यों में किया गया।

 

➣  ये आकार में बड़े (Bulky) और अधिक ऊर्जा खपत करने वाले थे। इनकी भंडारण क्षमता कम तथा गति मंद थी। इनमें त्रुटि (Error) होने की संभावना भी अधिक रहती थी। अतः इनका संचालन एक खर्चीला काम था।

 

निर्वात ट्यूब द्वारा अधिक ऊष्मा उत्पन्न करने के कारण इन्हें वातानुकूलित वातावरण में रखना पड़ता था।
 

एनिएक (ENIAC), यूनीबैक (UNIVAC) तथा आईबीएम (IBM) के मार्क-I इसके उदाहरण हैं।
1952 में डॉ. ग्रेस हापर द्वारा असेम्बली भाषा (Assembly Language:) के आविष्कार से प्रोग्राम लिखना कुछ आसान हो गया।

दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर
(Second Generation Conaputers) (1955-64) दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में निर्वात ट्यूब की जगह सेमीकंडक्टर ट्रांजिस्टर (Transistor) का प्रयोग किया गया जो अपेक्षाकृत हल्के, छोटे और कम विद्युत खपत करने वाले थे। 

 


                    ट्रांजिस्टर (Transistor)

 

कम्प्यूटर के लिए साफ्टवेयर उच्च स्तरीय असेम्बली भाषा (High Level Assembly Language) में तैयार किया गया। असेम्बली भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिए निमानिक्स कोड (Mnemonics Code) का प्रयोग किया जाता है जो याद रखने में सरल होते हैं। अतः असेम्बली भाषा में साफ्टवेयर तैयार करना आसान होता है।


डाटा तथा साफ्टवेयर के भंडारण के लिए मेमोरी के रूप में चुंबकीय भंडारण उपकरणों (Magnetic Storage Divices) जैसे- मैग्नेटिक टेप तथा मैग्नेटिक डिस्क आदि का प्रयोग आरंभ हुआ। इससे भंडारण क्षमता तथा कम्प्यूटर
की गति में वृद्धि हुई।
 

कम्प्यूटर के प्रोसेस करने की गति तीव्र हुई जिसे अब माइक्रो सेकेण्ड (micro second - us) में मापा जाता था। (1 us = 10-6

Sec या 1 सेकेण्ड का दस लाखवां भाग)।


व्यवसाय तथा उद्योग में कम्प्यूटर का प्रयोग आरंभ हुआ।

बैच आपरेटिंग सिस्टम (Batch Operating System) का आरंभ किया गया। 

साफ्टवेयर में कोबोल (COBOL-Common Business Oriented Language) और फोरट्रान (FORTRAN- Formula Translation) जैसे उच्च स्तरीय भाषा (High Level language) का विकास आईबीएम द्वारा किया गया ा इससे प्रोग्राम लिखना आसान हुआ ा 

 

तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर :-
(Third Generation Computers (1964-1975)
तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट चिप (IC-Integrated Circuit Chip) का प्रयोग आरंभ हुआ ा SSI (Small Scale Integration) तथा बाद में MSI (Medium Scale Integration) का विकास हुआ जिसमें एक इंटीग्रेटेड सर्किट चिप में सैकड़ों इलेक्ट्रानिक उपकरणों, जैसे, ट्रांजिस्टर, प्रतिरोधक (Register) तथा संधारित्र (Capacitor) का निर्माण संभव हुआ।
 

 


 इटीग्रेटेड चिप

इनुपट तथा आउटपुट उपकरण के रूप में क्रमशः की- बोर्ड तथा मॉनीटर का प्रयोग प्रचलित हुआ। की-बोर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में डाटा तथा निर्देश डालना आसान हुआ।
 

मैग्नेटिक टेप तथा डिस्क के भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई। सेमीकंडक्टर भंडारण उपकरणों (Semi Conductor Storage Devices) का विकास हुआ। रैम (RAM-Random Access Memory) के कारण कम्प्यूटर की गति में वृद्धि हुई।
 

कम्प्यूटर का गणना समय नैनो सेकेण्ड (ns) में मापा जाने लगा। इससे कम्प्यूटर के कार्य क्षमता में तेजी आई। (1 ns = 10-9 Sec) 

कम्प्यूटर का व्यवसायिक व व्यक्तिगत उपयोग आरंभ हुआ।

उच्च स्तरीय भाषा में पीएल-1 (PL/1), पास्कल (PASCAL) तथा बेसिक (BASIC) का विकास हुआ।

टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Time Sharing Operating System) का विकास हुआ।
 

हार्डवेयर और साफ्टवेयर की अलग-अलग बिक्री प्रारंभ हुई। इससे उपयोगकर्ता आवश्यकतानुसार साफ्टवेयर ले सकता था।
 

1965 में डीइसी (DEC-Digital Equipment Corporation) द्वारा प्रथम व्यवसायिक मिनी कम्प्यूटर (MiniComputer) पीडीपी-8 (Programmed Data Processer-8) का विकास किया गया।


क्या आप जानते है? - इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का विकास 1958 में जैक किलबी (Jack Kilby)  तथा रॉबर्ट नोयी (Robert Noyce) द्वारा किया गया ! सिलिकन की सतह पर बने इस प्रौद्योगिकी को माइक्रो इलेक्ट्रानिक (Micro Electronics) का नाम दिया गया ! ये चिप अर्धचालक (Semiconductor) पदार्थ सिलिकन (SI) या जर्मेनियम (Ge) के बने होते है!


चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर

(Fourth Generation Computers) (1975-1989)

➢ चौथी पीढ़ी के के कम्प्यूटरों में माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया गया। LSI (Large Scale Integration) तथा VLSI (Very Large Scale Integration) से माइक्रो प्रोसेसर की क्षमता में वृद्धि हुई।


➢ कम्प्यूटर का गणना समय पीको सेकेण्ड (Pico second - ps) में मापा जाने लगा। (1 ps =10-12 Sec)


➢ माइक्रो प्रोसेसर के इस्तेमाल से अत्यंत छोटा और हाथ में लेकर चलने योग्य कम्प्यूटरों का विकास संभव हुआ।


➢ मल्टी टास्किंग (Multitasking) के कारण कम्प्यूटर का प्रयोग एक साथ कई कार्यों को संपन्न करने में किया जाने लगा।


➢ माइक्रो प्रोसेसर का विकास एम ई हौफ ने 1971 में

किया। इससे व्यक्तिगत कम्प्यूटर (Personal Computerका विकास हुआ। चुम्बकीय डिस्क और टेप का स्थान अर्धचालक (Semi-conductor) मेमोरी ने ले लिया। रैम (RAM) की क्षमता में वृद्धि से कार्य अत्यंत तीव्र हो गया।

→ उच्च गति वाले कम्प्यूटर नेटवर्क (Network) जैसे लैन (LAN) व वैन (WAN) का विकास हुआ।


> समानान्तर कम्प्यूटिंग (Parallel Computing) तथा मल्टीमीडिया का प्रचलन प्रारंभ हुआ।

 

> 1981 में आईबीएम (IBM) ने माइक्रो कम्प्यूटर का विकास किया जिसे पीसी (PC-Personal Computersकहा गया।

 

आपरेटिंग सिस्टम में एम.एस. डॉस (MS-DOS), माइक्रोसाफ्ट विण्डोज (MS-Windows) तथा एप्पल ऑपरेटिंग सिस्टम (Apple OS) का विकास हुआ।
 

> उच्च स्तरीय भाषा में 'C' भाषा का विकास हुआ जिसमें प्रोग्रामिंग सरल था।


> उच्च स्तरीय भाषा का मानकीकरण किया गया ताकि किसी प्रोग्राम को सभी कम्प्यूटर में चलाया जा   सके । 

पांचवी पीढ़ी के कम्प्यूटर
(Fifth Generation Computers) (1989- अब तक)
»  ULSI (Ultra Large Scale Integration) तथा SLSI (Super Large Scale Integration) से करोड़ों इलेक्ट्रानिक उपकरणों से युक्त माइक्रो प्रोसेसर चिप का विकास हुआ।
 

»  इससे अत्यंत छोटे तथा हाथ में लेकर चलने योग्य कम्प्यूटरों का विकास हुआ जिनकी गणना क्षमता अत्यंत तीव्र तथा अधिक है।

»  मल्टीमीडिया तथा एनिमेशन के कारण कम्प्यूटर का शिक्षा तथा मनोरंजन आदि के लिए भरपूर उपयोग किया जाने लगा।

» इंटरनेट तथा सोशल मीडिया के विकास ने सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा एक दूसरों से संपर्क करने के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव बनाया।


» भंडारण के लिए आप्टिकल डिस्क (Optical Disc) जैसे-सीडी (CD), डीवीडी (DVD) या ब्लू रे डिस्क (Blu-ray Disc) का विकास हुआ जिनकी भंडारण क्षमता अत्यंत उच्च थी। दो प्रोसेसर को एक साथ जोड़कर तथा पैरेलल प्रोसेसिंग द्वारा कम्प्यूटर प्रोसेसर की गति को अत्यंत तीव्र बनाया गया।
 

» नेटवर्किंग के क्षेत्र में इंटरनेट (Internet), ई-मेल (e-mail) 741 Sony Sony Sony (www-world wide web) का विकास हुआ।


» सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) तथा सूचना राजमार्ग (Information Highway) की अवधारणा का विकास हुआ।


» नये कम्प्यूटर में कृत्रिम ज्ञान क्षमता (Artificial Intelligence) डालने के प्रयास चल रहे हैं ताकि कम्प्यूटर परिस्थितियों के अनुकूल स्वयं निर्णय ले सके। आवाज को पहचानने (Speech Recognition) तथा रोबोट निर्माण (Robotics) में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
 

»  मैगनेटिक बबल मेमोरी (Magnetic Bubble Memory) के प्रयोग से भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई।
 

» पोर्टेबल पीसी (Portable PC) और डेस्क टॉप पीसी (Desktop PC) ने कम्प्यूटर को जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र से जोड़ दिया।

 

अतिआवश्‍यक

गुरुवार, 27 जनवरी 2022


(Evolution & Development of Computer) कम्‍प्‍यूटर का उद़भव और विकास

 कम्प्यूटर का विकास (Development of Computer)

अबेकस (The Abacus)
                यह एक प्राचीन गणना यंत्र है जिसका आविष्कार प्राचीन बेबीलोन में अंकों की गणना के लिए किया गया था। इसे संसार का प्रथम गणक यंत्र कहा जाता है। इसमें तारों (wires) में गोलाकार मनके (beads) पिरोयी जाती है जिसकी सहायता से गणना को आसान बनाया गया।

 

 

 

 

 

 

 

पास्कलाइन (Pascaline) :-

फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) ने 1642 में प्रथम यांत्रिक गणना मशीन (Mechanical Calculator) का आविष्कार किया। यह केवल जोड़ व घटा सकती थी। अतः इसे एडिंग मशीन (Adding Machine) भी कहा गया। 

 

डिफरेंस इंजन (Difference Engine) और एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine) :- ब्रिटिश गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) ने 1822 में डिफरेंस इंजिन का आविष्कार किया जो भाप से चलता था तथा गणनाएं कर सकता था। 1842 में चार्ल्स बैबेज ने एक स्वचालित मशीन एनालिटिकल इंजन बनाया जो पंचकार्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार कार्य करती थी तथा मूलभूत अंकगणितीय गणनाएं (जोड़, घटाव, गुणा, भाग) कर सकती थी। 

 

लेडी एडा आगस्टा (AdaAugusta) ने एनालिटिकल इंजन में पहला प्रोग्राम डाला। अतः उन्हें दुनिया का प्रथम प्रोग्रामर (Programmer) भी कहा जाता है। उन्हें दो अंकों की संख्या प्रणाली बाइनरी प्रणाली (Binary System) के आविष्कार का श्रेय भी है। 


सेंसस टेबुलेटर (Census Tabulator) 1890 में अमेरिका के वैज्ञानिक हर्मन होलेरिथ (Herman Hollerith) ने इस विद्युत चालित यंत्र का आविष्कार किया जिसका प्रयोग अमेरिकी जनगणना में किया गया। इन्हें कम्प्यूटर के अनुप्रयोग के लिए मेमोरी के रूप में पंचकार्ड (Punch Card) के आविष्कार का श्रेय भी दिया जाता है।                                        पंचकार्ड कागज का बना एक कार्ड है जिसमें पंच द्वारा छेद बनाकर कम्प्यूटर डाटा तथा प्रोग्राम स्टोर किया जाता था। पंचकार्ड रीडर द्वारा पंचकार्ड पर स्टोर किए गए डाटा को पढ़ा जाता था।

                    कम्प्यूटर के लिए डाटा स्टोर करने से पहले पंचकार्ड का उपयोग टैक्स्टाइल उद्योग में कपड़ा बुनने की मशीनों को नियंत्रित करने के लिए किया गया था।

 

मार्क-I (Marc-I) :- 1937 से 1944 के बीच आईबीएम (IBM-International Businees Machine) नामक कम्पनी के सहयोग तथा वैज्ञानिक हावर्ड आइकेन (Haward Aikan) के निर्देशन में विश्व के प्रथम पूर्ण स्वचालित विद्युत यांत्रिक (Electro-mechanical) गणना यंत्र
का आविष्कार किया गया। इसे मार्क-I नाम दिया गया।


ए.बी.सी. (ABC-Atanasoff-Berry Computer) :- 1939 में जॉन एटनासॉफ और क्लिफोर्ड बेरी नामक वैज्ञानिकों ने मिलकर संसार का पहला 'इलेक्ट्रानिक डिजिटल कम्प्यूटर' (Electronic Digital Computer) का आविष्कार किया। इन्हीं के नाम पर इसे एबीसी (ABC) का नाम दिया गया।
 

एनिएक (ENIAC-Electronic Numerical Integrator and Calculater) :- 1946 में अमेरिकी वैज्ञानिक जे. पी. एकर्ट (J.PEckert) तथा जॉन मुचली (John Mauchly) ने सामान्य कार्यों के लिए प्रथम पूर्ण इलेक्ट्रानिक (Fully Electronic) कम्प्यूटर का आविष्कार किया जिसे एनिएक नाम दिया गया।
 

इडवैक (EDVAC-Electronic Discrete Variable Automatic Computer) :- एनिएक कम्प्यूटर में प्रोग्राम में परिवर्तन कठिन था। इससे निपटने के लिए वान न्यूमेन (Van Neumann) ने संग्रहित प्रोग्राम
(Stored Program) की अवधारणा दी तथा इडवैक का विकास किया।


यूनीवैक (UNIVAC-UniversalAutomaticComputer) :- यह प्रथम कम्प्यूटर था जिसका उपयोग व्यापारिक और अन्य सामान्य कार्यों के लिए किया गया। प्रथम व्यापारिक कम्प्यूटर यूनीवैक- I (UNIVAC-I) का निर्माण 1954 में जीइसी (GEC-General Electric Corporation) ने किया।

 

माइक्रो प्रोसेसर (Micro Processor) :- 1970 में इंटेल कम्पनी द्वारा प्रथम माइक्रो प्रोसेसर "इंटेल- 4004" के निर्माण ने कम्प्यूटर क्षेत्र में क्रांति ला दी। इससे छोटे आकार के कम्प्यूटर का निर्माण संभव हुआ जिन्हें माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer) कहा गया। इंटेल, पेंटियम, सेलेरॉन तथा एएमडी वर्तमान में कुछ प्रमुख माइक्रो प्रोसेसर उत्पादक ब्रांड हैं।



 एप्पल-II (Apple-II) :- 1977 में प्रथम व्यवसायिक माइक्रो कम्प्यूटर (First Business Micro Computer) का निर्माण किया गया जिसे एप्पल-II नाम दिया गया ।


                                            कम्‍प्‍यूटर का वर्गीकरण 

classification of Developmnt Of Computer

हार्डवेयर के उपयोग के आधार पर :-

१- पहली पीढी

२- दूसरी पीढी

३- तीसरी पीढी

४- चौथी पीढी 

५- पांचवी पीढी


कार्य पद्ति के आधार पर :-

१- एनालॉग कम्‍प्‍यूटर

२- डिजिटल कम्‍प्‍यूटर

३- हाडब्रिड कम्‍प्‍यूटर


आकार और कार्य के आधार पर :-

१- मेन फ्रेम कम्‍प्‍यूटर

२- मिनी कम्‍प्‍यूटर 

३- माइक्रो कम्‍प्‍यूटर

४- सुपर कम्‍प्‍यूटर








कम्प्यूटर की सीमाएं (Limitations of the Computer) and अनुप्रयोग (Applications of Computer)

 कम्प्यूटर की सीमाएं (Limitations of the Computer) 

(i) बुद्धिहीन (No mind) : कम्प्यूटर में स्वयं की सोचने और निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती। यह केवल दिये गये दिशा-निर्देशों के अंदर ही कार्य कर सकता है।
 

(ii) खर्चीला (Expensive) : कम्प्यूटर के हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर काफी महंगे होते हैं तथा इन्हें समय-समय पर आवश्यकतानुसार परिवर्तित भी करना पड़ता है।

  

(iii) वायरस का खतरा (Immune to virus) : कम्प्यूटर में वायरस का खतरा बना रहता है जो सूचना और निर्देशों को दूषित या समाप्त कर सकता है। ये वायरस कम्प्यूटर की भंडारण क्षमता को भी प्रभावित करते हैं। हालांकि एंटीवायरस साफ्टवेयर (Antivirus Software) का प्रयोग कर इससे बचा जा सकता है।

 

(iv) विद्युत पर निर्भरता (Depends on Electricity) : कम्प्यूटर अपने कार्य के लिए विद्युत पर निर्भर करता है तथा इसके अभाव में कोई भी कार्य संपन्न कर पाने में सक्षम नहीं है।
 

कम्प्यूटर के अनुप्रयोग (Applications of Computer) :-

कम्प्यूटर का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है। वर्तमान में, शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां कम्प्यूटर का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। निम्नलिखित क्षेत्रों में कम्प्यूटर का विभिन्न अनुप्रयोग किया जा रहा है
 

(i) डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) : बड़े और विशाल सांख्यिकीय डाटा से सूचना तैयार करने में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है। जनगणना, सांख्यिकीय विश्लेषण, परीक्षाओं के परिणाम आदि में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
 

(ii) सूचनाओं का आदान-प्रदान (Exchange of Information) : भंडारण की विभिन्न पद्धतियों के विकास और कम स्थान घेरने के कारण ये सूचनाओं के आदान-प्रदान के बेहतर माध्यम साबित हो रहे हैं। इंटरनेट (Internet) के विकास ने तो इसे 'सूचना का राजमार्ग' (Information Highway) बना दिया है।
 

(iii) शिक्षा (Education) : मल्टीमीडिया (Multimedia) के विकास और कम्प्यूटर आधारित शिक्षा ने इसे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बना दिया है। डिजिटल लाइब्रेरी ने पुस्तकों की सर्वसुलभता सुनिश्चित की है।
 

(iv) वैज्ञानिक अनुसंधान (Scientific Research) : विज्ञान के अनेक जटिल रहस्यों को सुलझाने में कम्प्यूटर की सहायता ली जा रही है। कम्प्यूटर में परिस्थितियों का उचित आकलन भी संभव हो पाता है। 

(vi) बैंक (Bank) : कम्प्यूटर के अनुप्रयोग ने बैकिंग क्षेत्र में क्रांति ला दी है। एटीएम (ATM-Automatic Teller Machine) तथा ऑनलाइन बैंकिंग, चेक के भुगतान, इ.सी.एस. (Electronic Clearing Service), रुपया गिनना तथा पासबुक इंट्री में कम्प्यूटर
का प्रयोग किया जा रहा है।


(vii) चिकित्सा (Medicine) : शरीर के अंदर के रोगों का पता लगाने, उनका विश्लेषण और निदान में कम्प्यूटर का विस्तृत प्रयोग हो रहा है। सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे तथा विभिन्न जाँच में कम्प्यूटर का प्रयोग हो रहा है।


(viii) रक्षा (Defence) : रक्षा अनुसंधान, वायुयान नियंत्रण, मिसाइल, रडार आदि में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है।
 

(ix) अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (Space Technology) : कम्प्यूटर के तीव्र गणना क्षमता के कारण ही ग्रहों, उपग्रहों और अंतरिक्ष की घटनाओं का सूक्ष्म अध्ययन किया जा सकता है। कृत्रिम उपग्रहों में भी कम्प्यूटर का विशेष प्रयोग हो रहा है।
 

(x) संचार (Communication) : आधुनिक संचार व्यवस्था कम्प्यूटर के प्रयोग के बिना संभव नहीं है। टेलीफोन और इंटरनेट ने संचार क्रांति को जन्म दिया है। तंतु प्रकाशिकी संचरण (Fiberoptics
communication) में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है।
 

(xi) उद्योग व व्यापार (Industry & Business) : उद्योगों में कम्प्यूटर के प्रयोग से बेहतर गुणवत्ता वाले वस्तुओं का उत्पादन संभव हो पाया है। व्यापार में कार्यों और स्टाक का लेखा-जोखा रखने में
कम्प्यूटर सहयोगी सिद्ध हुआ है।
 

(xii) मनोरंजन (Recreation) : सिनेमा, टेलीविजन के कार्यक्रम, वीडियो गेम में कम्प्यूटर का उपयोग कर प्रभावी मनोरंजन प्रस्तुत किया जा रहा है। मल्टीमीडिया के प्रयोग ने कम्प्यूटर को मनोरंजन का उत्तम साधन बना दिया है।
 

(xiii) प्रकाशन (Publishing) : प्रकाशन और छपाई में कम्प्यूटर का प्रयोग इसे सुविधाजनक तथा आकर्षक बनाता है। रेखाचित्रों और ग्राफ का निर्माण अब सुविधाजनक हो गया है।
 

(xiv) प्रशासन (Administration) : प्रशासन में पारदर्शिता लाने, सरकार के कार्यों को जनता तक पहुंचाने तथा विभिन्न प्रशासनिक तंत्रों में बेहतर तालमेल के लिए ई-प्रशासन (e-governance) का उपयोग कम्प्यूटर की सहायता से ही संभव हो पाया है।


(xv) डिजिटल पुस्तकालय (Digital Library) : पुस्तकों को अंकीय स्वरूप प्रदान कर उन्हें अत्यंत कम स्थान में अधिक समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। इसे इंटरनेट से जोड़ देने पर किसी भी स्थान से पुस्तकालय में संग्रहित सूचना को प्राप्त किया जा सकता है

 

कम्प्यूटर के अनुप्रयोग के प्रभाव (Impact of Computerisation)

(i) समय की बचत : चूंकि कम्प्यूटर के कार्य करने की गति अत्यंत तीव्र है, अतः मनुष्य द्वारा एक साल में पूरा किए जाने वाले कार्यों को कम्प्यूटर की सहायता से कुछ ही मिनटों में किया जा सकता है।
 

(ii) त्रुटि रहित कार्य : कम्प्यूटर के प्रयोग से कार्य में त्रुटि (error) की संभावना नगण्य हो जाती है। जो त्रुटि होती भी है, वह गलत डाटा या गलत प्रोग्राम का परिणाम है जिसे पहचान कर सही किया जा सकता है
 

(iii) कार्य की गुणवत्ता : चूंकि कम्प्यूटर हर बार समान गुणवत्ता से कार्य करता है, अतः बार-बार एक ही कार्य को करने के पश्चात् भी उत्पाद की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं होता है ।
 

(iv) कागज की बचत : डाटा संग्रहण के इलेक्ट्रानिक विधियों के उपयोग और उनकी विशाल भंडारण क्षमता के कारण कम्प्यूटर के प्रयोग से कागज की बचत संभव हो पाती है।


(v) बेरोजगारी : यह कम्प्यूटर के विस्तृत अनुप्रयोग का एक नकारात्मक प्रभाव है। एक कम्प्यूटर द्वारा सैकड़ों लोगों का कार्य किया जा सकता है जिससे लोगों की जीविका पर प्रभाव पड़ता है। परन्तु वैकल्पिक व्यवस्था और समुचित विकास द्वारा इस पर काबू पाया जा सकता है। दूसरी तरफ, कम्प्यूटर से संबंधित क्षेत्रों में रोजगार का सृजन भी किया जा सकता है।


आजकल शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा, जिसमें कम्प्यूटर का
प्रयोग नहीं किया जा रहा है। पर्यावरण, पुस्तकालय, यातायात,
पुलिस प्रशासन, मौसम विज्ञान, संगीत, चित्रकला, ज्योतिष, इंजिनियरिंग
डिजाइन आदि अनेक क्षेत्रों में कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है।


 

रोजक तथ्‍य 

भारत में पहला कम्‍प्‍यूटर भारतीय सांख्यिकी संस्‍था (Indian Statistical Institute) कलकत्‍ता में सन १९५६ में स्‍थापित किया गया था ा


कम्प्यूटर की विशेषता (Characteristics of Computer)

 


कम्प्यूटर की विशेषता (Characteristics of Computer)
 

(i) गति (Speed) : कम्प्यूटर एक सेकेण्ड में लाखों गणनाएं कर सकता है। किसी मनुष्य द्वारा पूरे साल में किए जाने वाले कार्य को कम्प्यूटर कुछ ही सेकेण्ड में कर सकता है। "कम्प्यूटर प्रोसेसर के स्पीड को हर्ट्ज (Hz) में मापते हैं। वर्तमान समय में कम्प्यूटर नैनो सेकेण्ड (10-9 Sec) में गणनाएं कर सकता है। कम्प्यूटर की गति को एक सेकेण्ड में प्रोसेस किए गए निर्देशों की संख्या के आधार पर मापा जाता है। वर्तमान में कम्प्यूटर एक सेकेण्ड में दस लाख (Million) से भी अधिक निर्देशों को प्रोसेस कर सकता है। अतः (कम्प्यूटर की गति को MIPS (Million Instructions Per Second) में मापा जाता है।
 

(ii) स्वचालित (Automatic) : कम्प्यूटर एक स्वचालित मशीन है जिसमें गणना के दौरान मानवीय हस्तक्षेप की संभावना नगण्य रहती है। हालांकि कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए निर्देश मनुष्य द्वारा ही दिए जाते हैं, पर एक बार आदेश दिये जाने के बाद वह बिना रुके कार्य कर सकता है। 

(iii) त्रुटि रहित कार्य (Accuracy) : कम्प्यूटर की गणनाएं लगभग त्रुटिरहित होती हैं। गणना के दौरान अगर कोई त्रुटि (error) पायी भी जाती है तो वह प्रोग्राम या डाटा में मानवीय गलतियों के कारण होती है। अगर डाटा और प्रोग्राम सही है तो कम्प्यूटर हमेशा सही परिणाम ही देता है। कभी-कभी वायरस (Virus) के कारण भी कम्प्यूटर में त्रुटियां आ जाती हैं। 

(iv) स्थायी भंडारण क्षमता (Permanent Storage): कम्प्यूटर में प्रयुक्त मेमोरी को डाटा, सूचना और निर्देशों के स्थायी 'भंडारण के लिए प्रयोग किया जाता है। चूंकि कम्प्यूटर में सूचनाएं इलेक्ट्रानिक तरीके से संग्रहित की जाती हैं, अतः सूचना के समाप्त या नष्ट होने की संभावना कम रहती है।

(v) विशाल भंडारण क्षमता (Large Storage Capacity) : कम्प्यूटर के बाह्य (external) तथा आंतरिक (internal) संग्रहण माध्यमों (हार्ड डिस्क, फ्लापी डिस्क, मैग्नेटिक टेप, सीडी रॉम) में असीमित डाटा और सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है। कम्प्यूटर में सूचनाएं कम स्थान घेरती हैं, अतः इसकी भंडारण क्षमता विशाल और असीमित है।
 

(vi) भंडारित सूचना को तीव्रगति से प्राप्त करना (Fastretrieval) : कम्प्यूटर प्रयोग द्वारा कुछ ही सेकेण्ड में भंडारित सूचना में से आवश्यक सूचना को प्राप्त किया जा सकता है। रैम (RAM-Random Access Memory) के प्रयोग से यह काम और भी सरल हो गया हैा  

(vii) जल्द निर्णय लेने की क्षमता (Quick decision) : कम्प्यूटर परिस्थितियों का विश्लेषण कर पूर्व में दिये गये निर्देशों के
आधार पर तीव्र निर्णय की क्षमता रखता है। 

(viii) विविधता (Versatility) : कम्प्यूटर की सहायता से विभिन्न प्रकार के कार्य संपन्न किये जा सकते हैं। आधुनिक कम्प्यूटरों
में अलग-अलग तरह के कार्य एक साथ करने की क्षमता है।
 

(ix) पुनरावृत्ति (Repetition) : कम्प्यूटर को आदेश देकर एक ही तरह के कार्य बार-बार समान विश्वसनीयता और तीव्रता से
कराये जा सकते हैं।
 

(x) स्फूर्ति (Agility) : कम्प्यूटर एक मशीन होने के कारण मानवीय दोषों से रहित है। इसे थकान तथा बोरियत महसूस नहीं होती
है और हर बार समान क्षमता से कार्य करता है।
 

(xi) गोपनीयता (Secrecy) : पासवर्ड (Password) के प्रयोग द्वारा कम्प्यूटर के कार्य को गोपनीय बनाया जा सकता है। पासवर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में रखे डाटा और कार्यक्रमों को केवल पासवर्ड जानने वाला व्यक्ति ही देख या बदल सकता है।
 

(xii) कार्य की एक रूपता (Uniformity of work): बार-बार तथा लगातार एक ही कार्य करने के बावजूद कम्प्यूटर के कार्य की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
 

(xiii) विश्वसनीयता (Reliability) : कम्प्यूटर प्रोसेस के पश्चात् सही व भरोसेमंद परिणाम देता है तथा गलती की संभावना नगण्य होती है।
 

(xiv) कागज के प्रयोग में कमी (Paperless Work) : कम्प्यूटर के सही प्रयोग से कागज की खपत में कमी की जा सकती है
जिससे पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलती है।

क्‍या आप जानते है भारत में कम्‍प्‍यूटर का प्र‍थम प्रयोग १६ अगस्‍त १९८६ को बंगलूरू के प्रधान डाकघर में किया गया ा जबकि भारत का प्रथम पूर्ण कम्‍प्‍यूटरीक्रित डाकघर नई दिल्‍ली हैा

मंगलवार, 25 जनवरी 2022


कम्‍प्‍यूटर एक परिचय (Introducation to Computer)

 कम्प्यूटर क्या है ? (What is Computer ?) 

परिचय - कम्प्यूटर एक स्वचालित इलेक्ट्रानिक मशीन है जो डाटा तथा निर्देशों को इनपुट के रूप में ग्रहण करता है, निर्देशों के अनुरूप उनका विश्लेषण करता है तथा आवश्यक परिणामों को निश्चित प्रारूप में आउटपुट के रूप में निर्गत करता है। यह डाटा, निर्देश (साफ्टवेयर) तथा परिणामों को store भी करता है ताकि आवश्यकतानुसार इनका उपयोग किया जा सके। यह डाटा के भंडारण (storage) तथा तीव्र गति और त्रुटि रहित ढंग से उसके विश्लेषण का कार्य करता है।

परिभाषा (Definition)
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार, “कम्प्यूटर एक स्वचालित इलेक्ट्रानिक मशीन है, जो अनेक प्रकार की तर्कपूर्ण गणनाओं के लिए प्रयोग किया जाता है।" कम्प्यूटर वह मशीन है जो डाटा स्वीकार करता है, उसे भंडारित करता है, दिये गये निर्देशों के अनुरूप उनका विश्लेषण करता है तथा विश्लेषित परिणामों को आवश्यकतानुसार निर्गत करता है। 


कम्प्यूटर सिस्टम के घटक (Components of Computer System) : किसी भी कम्प्यूटर सिस्टम को मुख्यतः तीन भागों में बांटा जा सकता है-
1 हार्डवेयर
2 साफ्टवेयर
3 डाटा
1 हार्डवेयर (Hardware) :-
            कम्‍प्‍यूटर मशीन का वह भौतिक भाग जिसे हम छू (Touch) कर महसूस कर सकते हैं, हार्डवेयर कहलाता हैा जैसे- कीबोर्ड, माउस, मॉनीटर, सीपीयू, प्रिंटर, हार्ड डिस्‍क ड्राइव, मदरबोर्ड, प्रोसेसर, स्‍वीकर आदि ा 
 
2 साफ्टवेयर (Software) : - अनुदेशों और प्रोग्रामों का समूह जो कम्प्यूटर को यह बतलाता है कि उसे क्या और कैसे करना है, साफ्टवेयर कहलाता है। कम्प्यूटर का हार्डवेयर साफ्टवेयर के अनुदेशों के अनुसार ही काम करता है। एक ही हार्डवेयर अलग अलग साफ्टवेयर निर्देशों के आधार पर अलग-अलग कार्य करकता है। साफ्टवेयर को हम छु नहीं सकते और न ही भौतिक रूप में देख सकते हैं। इस प्रकार, हार्डवेयर यदि कम्प्यूटर का शरीर है तो साफ्टवेयर उसकी आत्मा है। 
 
3. डाटा (Data) : -    डाटा तथ्यों और सूचनाओं का अव्यवस्थित संकलन है। 
                           डाटा को दो प्रकार में विभाजित किया जा सकता है
(i) संख्यात्मक डाटा (Numerical data) : यह अंकों से बना डाटा है जिसमें 0, 1, 2,......,9 तक अंकों का प्रयोग किया जाता है। इस तरह के डाटा पर हम अंकगणितीय क्रियाएं कर सकते हैं। जैसे- विद्यार्थियों का प्राप्तांक, कर्मचारियों का वेतन आदि । 
 
(ii) चिह्नात्मक डाटा (Alphanumeric data) :- इसमें अक्षरों, अंकों तथा चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। इसमें अंकगणितीय क्रियाएं नहीं की जा सकती, पर इनकी तुलना की जा सकती है।
जैसे- कर्मचारियों का पता।
 
सूचना (Information) : डाटा का उपयोगिता के आधार पर किये गये विश्लेषण और संकलन के बाद प्राप्त तथ्यों को सूचना कहते हैं। इस प्रकार, डाटा अव्यवस्थित तथ्य है जबकि सूचना व्यवस्थित डाटा है जो प्रयोग करने वालों के लिए उपयोगी होता है।
 
सूचना प्राप्ति (Information Retrieval) : आवश्यकतानुसार सूचना को पुनः प्राप्त करने की विधि सूचना प्राप्ति कहलाता है । 
 
डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) : डाटा का उपयोगिता के आधार पर किया जाने वाला विश्लेषण डाटा प्रोसेसिंग कहलाता है।
तथ्यों का संकलन    ----> डाटा---->डाटा प्रोसेसिंग ---> सूचना
 
इलेक्ट्रानिक डाटा प्रोसेसिंग (Electronic Data Procesing) : इलेक्ट्रानिक विधि से डाटा का विश्लेषण इलेक्ट्रानिक डाटा प्रोसेसिंग कहलाता है। 
 
अनुदेश (Instruction) : कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए दिए गए आदेशों को अनुदेश कहा जाता है।
 
प्रोग्राम (Program) : कम्प्यूटर को दिए जाने वाले अनुदेशों के समूह को प्रोग्राम कहा जाता है।
 
साफ्टवेयर (Software) : प्रोग्रामों के समुच्चय को जो कम्‍प्‍यूटर के विभिन्न कार्यों के सफल क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी होता है, साफ्टवेयर कहा जाता है ।

 
 

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रविवार, 23 जनवरी 2022


संक्षिप्त सूची (List Of Abbreviations)

 A अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

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ABC : Atanasoff-Berry Computer

A/D : Analog to Digital

ADSL : Asymetric Digital Subscriber Line

AGP : Accelerated Graphics Port 

AI : Artificial Intelligence

ALGOL : Algorithmic Language

ALU : Arithmatic Logic Unit

AM : Amplitude Modulation

AMD : Advanced Micro Devices

ANSI : American National Standards Institute

ARPANET : Advanced Research Project Agency Net-work

ASCII : American Standard Code for Information Interchange

ATM :Asynchronous Transfer Mode/Automatic Teller Machine


B अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

B2B : Business to business

B2C : Business to Consumer

BARC :Bhabha Atomic Research Centre

BASIC : Beginners' All-Purpose Symbolic Instruc-tion Code

BCc : Blind Carbon Copy

BCD : Binary Coded Decimal

BIOS : Basic Input Output System

BCR : Bar Code Reader

BMP : Bit Map

BPI : Bytes Per Inch

BPS : Bits Per Second

C अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

CAD : Computer Aided Design

CAL : Computer Aided Learning

CAM : Computer Aided Manufacturing

CCTLD : Country Code Top Level Domain

CD : Compact Disk

C-DAC : Centre for Development of Advanced Computing

CDMA : Code Division Multiple Access

C-DOT : Centre for Development of Telematics

CD-R         : Compact Disk-Recordable
 

CD-ROM   : Compact Disk-Read Only Memory
 

CD-R/W : Compact Disk-Re-Writable 


CERN : European Laboratory for Particle Physics
 

CLASS: Computer Literacy And Studies in School
 

COBOL : Common Bussiness Oriented Language

CMY :Cyan-Magnetta-Yellow

COMAL : Comman Algorithmic Language 

CPI : Character Per Inch
 

CPS : Characters Per Second
 

CPU : Central Processing Unit
 

CRT : Cathode Ray Tube
 

CU : Control Unit 

D अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम


D/A : Digital-to-Analog

DBMS : Data Base Management System

DDS : Digital Data Storage

DHTML : Dynamic Hyper Text Markup Language

DIMM : Dual in-Line Memory Module

DOS : Disk Operating System

DNS : Domain Name System

DPI : Dots Per Inch

DRAM :Dynamic RAM

DRDO : Defence Research and Development Organisation

DSDD : Double Sided Double Density

DSHD : Double Sided High Density

DTPH :Desk Top Publishing

DVD : Digital Video/Versatile Disk

E अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम  


E-business : Electronic Business

E-Commerce : Electronic Commerce

E-mail : Electronic Mail

EDP : Electronic Data Processing

EEPROM : Electrically Erasable Programmable Read Only Memory

EPROM : Erasable Programmable Read only Memory

ERNET : Education and Research Network 

EXE : Execution

F अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम 

FAT : File Allocation Table

FDM : Frequency Division Multiplexing

FET: Field Effect Transistor

FIFO : First-in, First-Out

FILO : First In, Last Out

FLOP : Floating Point Operation

FM : Frequency Modulation

FORTRAN : Formula Translation

FSK : Frequency Shift Keying

FTP: File Transfer Protocol  

G अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम    

GB :Giga Bytes

GIF: Graphics Interchange Format

GIGO: Garbage-In-Garbage-Out

GPRS: General Pocket Radio Service

GPS: Global Positioning System

GSM: Global System for Mobile

GUI : Graphical User Interface 

H अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम    

HDTV : High Detinition Television

HLL : High Level Language

HP : Hewlett Packard

HTML : Hyper Text Markup Language

HTTP : Hyper Text Transfer Protocol
 

I अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम    

IAB : Internet Architecture Board

IFFE : Institute of Electrical and Electronics Engineers

IBM : International Business Machines

IC : Integrated Circuit

IETF : Internet Engineering Task Force

IM : Instant Messaging

I/O : Input-Output

IP : Internet Protocol

IRC : Internet Relay Chat

ISDN : Integrated Services Digital Network

ISO : International Standards Organisation

ISOC : Internet Society

ISP : Internet Service Provider

IT : Information Technology
 

J अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम   
JPEG : Joint Photographic Expert Group

K अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम 


KB    : Kilo Bytes

Kb     : Kilo bits

KIPS : Knowledge Information Processing System

L अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

LAN : Local Area Network 

LASER : Light Amplification for Stimulated Emission of Radiation

LCD : Liquid Crystal Display 

LED : Light-Emitting Diode

LISP : List Processing

LLL : Low Level Language

LSD : Least Significant Digit

LSI : Large Scale Integration

M अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

MAN : Metropolitan Area Network

MB : Mega Bytes 

MBPS : Mega Bits Per Second

MHz : Mega Hertz

MICR : Magnetic Ink Character Recognition

MIDI : Musical Instrument Digital Interface

MIPS : Million Instructions Per Second

MODEM : Modulator-Demodulator

MOPS : Million Operations Per Second

MPEG : Moving Pictures Expert Group

MP-3: MPEG-1 Audio Layer 3

MS : Microsoft

MDS : Most Significant Digit

MSI : Medium Scale Integration

MTNL : Mahanagar Telephone Nigam Limited

N अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

NIC : Network Interface Card

NICNET : National Informatics Centre Network 

NIXI : National Internet Exchange of IndiaOCR

O अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

OCR : Optical Character Recognition

OMR : Optical Mark Reader

OOP: Object Oriented Programming

OS : Operating System

OSS : Open Source Software

P अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

PAN : Private/Personal Area Network

PC : Personal Computer

PCB : Printed Circuit Board 

PCI : Peripheral Component Interconnect

PDA : Personal Digital Assistant

PDF : Portable Document Format

PM : Phase Modulation

POST : Power On Self Test

PPM : Pages Per Minute

PPP : Point to Point Protocol

PROLOG : Programming in Logic

PROM : Programmable Read Only Memory

PSTN : Public Switched Telephone Network 

 S अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

SCSI : Small Computer System Interface

SEO : Search Engine Optimization

SERP : Search Engine Result Page

SEQUEL : Structured English Query Language

SIMM : Single In-Line Memory Module

SMS : Short Message Service

SMTP : Simple Mail Transfer Protocol

SNOBOL : String Oriented Symbolic Language

SQL : Structured Query Language

SRAM : Static RAM

SSI : Small Scale Integration

SVGA : Super Video Graphics Array

T अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

TB : Tera Byte

TCP : Transmission Control Protocol

TDM : Time Division Multiplexing

TLD : Top Level Domain

U अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

ULSI : Ultra Large Scale Integration

UNIVAC : Universal Automatic Computer

UPC : Universal Product Code

UPS : Uninterrupted Power Supply

URL: Uniform Resource Locater

USB: Universal Serial Bus

UVEPROM : Ultra Violet Erasable Programmable Read Only Memory

V अक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

VAN : Value Aided Network

VDT : Visual Display Terminal

VDU         : Video Display Unit

VGA         : Video Graphics Array

VIRUS      : Vital Resources Under Seize

VLSI         : Very Large Scale Integration

VOIP         : Voice Over Internet Protocol

VSAT         : Very Small Aperture Terminal

VSNL         : Videsh Sanchar Nigam Limited


Wअक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

W3C : World Wide Web Consortium

WAN :Wide Area Network

WAP : Wireless Application Protocol

WiMAX : World Wide Interoperability for Microwave Access

WLL: Wireless Local Loop

WORM: Write Once-Read Many

WWW: World Wide Web



Xअक्षर से आने वाले शॉर्ट कट की के नाम

XHTML : Extensible Hypertext Markup Language2G

2G: Second Generation Wireless Networking

3G: Third Generation Wireless Networking Technology

4GL: 4th Generation Language



 






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