गुरुवार, 20 जनवरी 2022

बायनरी संख्‍या प्रणाली (कम्‍प्‍यूटर की बायनरी प्रणाली)

बाइनरी संख्या प्रणाली

                        कम्प्यूटर का सारा काम 0 और 1 के रुप में होता है। ये 0 और 1 किसी बिट के दो मान हैं। जिस प्रकार किसी स्विच की दो स्थितियां हो सकती हैं - ऑन (On) तथा ऑफ (OfT), उसी तरह किसी बिट की भी दो स्थितियां हो सकती हैं - ऑन तथा ऑफ। सुविधा के लिए ऑन को 1 तथा ऑफ को 0 लिखते और कहते हैं। इनको ही 'बिट' कहा जाता है। बिट डाटा का सबसे छोटा भाग है। यह बाइनरी डिजिट (Binary Digit) का छोटा रूप है।

                        कम्प्यूटरों में 0 और 1 इन दो अंकों द्वारा सभी संख्याएं लिखी जाती है और उनपर गणित की क्रियाएं की जाती हैं। दो अंकों की इस प्रणाली को 'बाइनरी संख्या प्रणाली' कहा जाता है। 0 और 1 बाइनरी प्रणाली के 2 अंक हैं। बाइट (Byte) : केवल बिट ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती। दूसरी बिटों के साथ मिलकर ही उसका अर्थ निकलता है। हमारे लिए 8 लगातार बिटों की सीरीज ज्यादा महत्वपूर्ण है। ऐसी सीरीज को 'बाइट' कहा जाता है। बाइट सूचना की सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण इकाई है। कम्प्यूटर की मैमोरी के आकार को बाइटों में (या किलाबाइटों या मेगाबाइटों) में मापा जाता है। कम्प्यूटर की सारी क्रियाएं बाइटों के ऊपर ही की जाती है। बाइनरी संख्याएं (Binary Numbers) : दशमलव प्रणाली में कोई संख्या लिखते समय दाईं ओर से बाईं ओर अंकों का स्थान मान दस गुना होता जाता है, जैसे इकाई (1), दहाई (10), सैकड़ा (100), हजार (1000), दस हजार (10000), लाख (100000), दस लाख (1000000)आदि । इसका कारण यह है कि उस संख्या प्रणाली का आधार (10) है, क्योंकि इसमें 10 अंकों (0,1,2,3,4,5,6,7,8 और 9) द्वारा ही सभी संख्याएं लिखी जाती है।

                    कम्प्यूटरों में 0 और 1 इन दो अंकों द्वारा सभी संख्याएं लिखी जाती है और उनपर गणित की क्रियाएं की जाती हैं। दो अंकों की इस प्रणाली को 'बाइनरी संख्या प्रणाली' कहा जाता है। 0 और 1 बाइनरी प्रणाली के 2 अंक हैं। बाइट (Byte) : केवल बिट ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती। दूसरी बिटों के साथ मिलकर ही उसका अर्थ निकलता है। हमारे लिए 8 लगातार बिटों की सीरीज ज्यादा महत्वपूर्ण है। ऐसी सीरीज को 'बाइट' कहा जाता है। बाइट सूचना की सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण इकाई है। कम्प्यूटर की मैमोरी के आकार को बाइटों में (या किलाबाइटों या मेगाबाइटों) में मापा जाता है। कम्प्यूटर की सारी क्रियाएं बाइटों के ऊपर ही की जाती है। बाइनरी संख्याएं (Binary Numbers) : दशमलव प्रणाली में कोई संख्या लिखते समय दाईं ओर से बाईं ओर अंकों का स्थान मान दस गुना होता जाता है, जैसे इकाई (1), दहाई (10), सैकड़ा (100), हजार (1000), दस हजार (10000), लाख (100000), दस लाख (1000000)आदि । इसका कारण यह है कि उस संख्या प्रणाली का आधार (10) है, क्योंकि इसमें 10 अंकों (0,1,2,3,4,5,6,7,8 और 9) द्वारा ही सभी संख्याएं लिखी जाती है। 

                    परन्तु बाइनरी प्रणाली का आधार 2 है क्योंकि उसमें सभी संख्याएं केवल 2 अंकों (0 तथा 1) द्वारा लिखी जाती है। इसलिए बाइनरी संख्या लिखते समय बिटों के स्थान मान दाईं ओर से बाईं ओर दो गुने होते जाते हैं, जैसे – 1, 2, 4, 8, 16, 32, 64, 128 आदि । किसी बिट की क्रम संख्या का उसके मान से सीधा संबंध है। हर बिट का संख्यात्मक मान 2 पर उसकी क्रम संख्या के घात के बराबर है। उदाहरण के लिए बिट संख्या 3 को मान 23 यानि 8 है। कम्प्यूटर में सभी संख्याओं को बाइनरी रुप में ही रखा जाता है और इसी रुप में उन में पर जोड़ना, घटाना आदि अंकगणितीय क्रियाएं की जाती हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि किसी भी संख्या को बाइनरी में लिखा जा सकता है। किसी बाइट में 8 बिट होती हैं और हर बिट के 2 मान हो सकते हैं। इसका गणित के सिद्धान्तों के अनुसार एक बाइट में कुल 2 अर्थात् 256 अलग-अलग समूह (Group) बन सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि एक बाइट में 0 से 255 तक कुल 256 संख्याएं दिखाई जा सकती हैं। इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि एक बाइट में 256 तरह के चिह्न या अक्षर स्टोर किये जा सकते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

Computer questions and gk

छात्रवास अधीक्षक परीक्षा , छत्तीसगढ़ व्यापम परीक्षा, सी जी व्यापम परीक्षा प्रश्न पत्र, CGVYAPAM Old Question Paper सभी महत्वपूर्ण पुराने प्रश्न पत्र, CG Vyapam Question Paper 2024

Computer Related General Knowledge -  कंप्यूटर रिलेटेड जनरल नॉलेज 1- स्टैटिक और डायनामिक रैम के संबंध में निम्न लिखित कथनों पर विचार करे : -...