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IAS, UPPCS, UKPCS, CGPCS, CGPSC, RAS, JKPCS, BPSC. MPPCS, CDS, SSC, JUDICIAL, SERVICES, RAILWAY, BANKS, आदि विभिन्न परीक्षाओं हेतु उपयोगी कम्प्यूटर संबंधी थ्योरी/प्रश्न की जानकारी
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मॉनिटर का मतलब देखना होता है यानी कि जिस पर हम देखते हैं वही मॉनिटर है। कंप्यूटर में जिसमें देखकर आप काम करते हैं वहीं मॉनिटर है। यह कंप्यूटर का एक output device है, इसे visual display unit (VDU) भी कहा जाता है।
यह एक टीव्ही की तरह होता है। यह आउटपुट डिवाईस है। इसमें विभिन्न प्रकार के सूचनाएं को देखा जाता है एवं इसे टी.व्ही की तरह भी यूज किया जाता है।
मॉनीटर (Monitor) या वीडीयू
(VDU-Visual Display Unit)
यह साफ्ट कॉपी (Soft Copy) प्रदान करने वाला लोकप्रिय आउटपुट डिवाइस है जो डाटा और सूचनाओं को वीडियो आउटपुट (Video Output) के रूप में प्रदर्शित करता है। कम्प्यूटर पर किये जाने वाले प्रत्येक कार्य की सूचना देकर यह कम्प्यूटर और उपयोगकर्ता ।के बीच संबंध स्थापित करता है।
मॉनीटर का वर्गीकरण (Classification of Monitor) : डिस्ले किए गए रंग (Colour) के आधार पर मॉनीटर के तीन प्रकार हो सकते हैं।
(i) मोनोक्रोम मॉनीटर (Monochrome Monitor) : यह मॉनीटर दो रंग में डिस्प्ले प्रदर्शित करता है। मॉनीटर के पृष्ठभूमि में एक रंग होता है जबकि सामने दिखने वाले ऑब्जेक्ट का रंग दूसरा होता है।
(ii) ग्रे स्केल मॉनीटर (Gray Scale Monitor) : यह मोनोक्रोम मॉनीटर का ही एक रूप है जिसमें काले और सफेद (Black and White) रंगों के मिश्रण से कई शेड प्रदर्शित किये जाते हैं।
(iii) कलर मॉनीटर (Colour Monitor) : इसमें तीन मूल रंग- लाल, हरा और नीला का प्रयोग किया जाता है तथा इनके मिश्रण से अन्य रंग प्रदर्शित किए जाते हैं। इसे RGB (Red, Green, Blue) मॉनीटर भी कहा जाता है। यह 16, 32 या 256 रंगों में लाल डिस्पले प्रदर्शित करता है।
तकनीक के आधार पर भी मॉनीटर को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है।
कैथोड किरण ट्यूब (CRT-Cathode ray tube
मॉनीटर- यह एक बड़ा ट्यूब होता है जिसमें उच्च वोल्टेज द्वार इलेक्ट्रान बीम को नियंत्रित कर डिसप्ले प्राप्त किया जाता है। यह टीवी स्क्रीन जैसा होता है।
क्या आप जानते हैं?
लेजर (LASER - Light Amplification by Stimulfated Emission of Radiation) एक उच्च क्षमता का प्रकाशीय बीम है। कम्प्यूटर में लेजर बीम का उपयोग आप्टिकल डिस्क, बार कोड रीडर, लेजर प्रिंटर, फाइबर आप्टिक संचार आदि में किया जा रहा है। लेजर का आविष्कार थियोडर मेमैन (Theodore Maiman) ने 1960 में किया था।
प्रमुख आउटपुट डिवाईस निम्न है :-
मॉनीटर (Monitors) या वीडीयू (VDU)
प्रिंटर (Printer)
प्लॉटर (Plotter)
स्पीकर (Speaker)
कार्ड रीडर (Card Reader)
टेप रीडर (Tape Reader)
स्क्रीन इमेज प्रोजेक्टर (Screen Image Projector)
ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्नीशन (Optical Character Recognition)
स्कैनर द्वारा स्कैन किया गया डाक्यूमेंट Bitmap image के रूप में होता है। इसे हम चित्र के रूप में edit कर सकते हैं, पर टेक्स्ट के रूप में नहीं। OCR स्कैन किए गए टेक्स्ट डाक्यूमेंट की पहचान कर उसे वर्ड प्रोसेसिंग टेक्स्ट में बदलता है ताकि उसे कम्प्यूटर में edit किया जा सके। इसके लिए Optical Character Reader तथा OCR Software का प्रयोग किया जाता है।
इलेक्ट्रानिक कार्ड रीडर (ElectronicCard Reader)
इलेक्ट्रानिक कार्ड प्लास्टिक का बना एक छोटा कार्ड है जिसमें एक चिप या चुंबकीय पट्टी (Magnetic Strip) लगा होता है। इस चिप या चुंबकीय पट्टी में डाटा स्टोर किया जाता है जिसे कम्प्यूटर से जुड़े इलेक्ट्रानिक कार्ड रीडर की सहायता से पढ़ा व प्रोसेस किया जा सकता है। बैंकों में ATM के साथ इलेक्ट्रानिक कार्ड का ही प्रयोग किया जाता है।
डिजिटाइजिंग टैबलेट (Digitizing Tablet) यह एक इनपुट डिवाइस है जिसकी सहायता से मैप, रेखाचित्र से तथा स्केच आदि को डिजिटल रूप में बदलकर कम्प्यूटर को इनपुट के रूप में दिया जाता है। बाद में इसे Edit और Print भी किया जा सकता है। डिजिटाइजिंग टैबलेट में एक स्क्रीन तथा एक इलेक्ट्रानिक पेन होता है। इलेक्ट्रॉनिक पेन की सहायता से स्क्रीन पर रेखाचित्र या स्केच बनाये जाते हैं। स्क्रीन का सेंसर इसे डिजिटल संकेतों में बदलकर कम्प्यूटर को इनपुट के रूप में देता है। इसका प्रयोग Computer Aided Design (CAD) में किया जा रहा है।
आउटपुट डिवाइस (Output Devices) एक विद्युत यांत्रिक युक्ति जो कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेस किया गया बाइनरी डाटा लेकर उसे उपयोगकर्ता के लिए उपयुक्त डाटा में बदलकर प्रस्तुत करता है, आउटपुट डिवाइस कहलाता है। आउटपुट डिवाइस द्वारा हम डाटा या परिणाम को देख सकते हैं, या उसका प्रिंट ले सकते हैं।
सॉफ्ट कॉपी तथा हार्ड कॉपी आउटपुट (Soft Copy and Hard Copy Output) : कम्प्यूटर आउटपुट को दो भागों में बांटा जा सकता है-सॉफ्ट कॉपी आउटपुट तथा हार्ड
कॉपी आउटपुट।
(i) सॉफ्ट कापी आउटपुट (Soft Copy Output) : यह एक अस्थीय आउटपुट है जिसे हम छू नहीं सकते। सॉफ्ट कॉपी आउटपुट डिजिटल रूप में होता है जिसे हम कम्प्यूटर तथा उचित सॉफटवेयर के बिना पढ़ व देख नहीं सकते। सॉफ्ट कॉपी आउटपुट को इलेक्ट्रानिक मेमोरी में स्टोर किया जाता है तथा नेटवर्क पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जा सकता है। सॉफ्ट कॉपी आउटपुट में परिवर्तन करना आसान होता है। इसमें कागज तथा स्याही की बचत होती है। मॉनीटर तथा स्पीकर द्वारा प्रस्तुत आउटपुट सॉफ्ट कॉपी आउटपुट के उदाहरण हैं।
(ii) हार्ड कॉपी आउटपुट (Hard Copy Output) : यह कागज पर प्रस्तुत स्थायी परिणाम है जिसे हम छू सकते हैं। हार्ड कॉपी आउटपुट को कम्प्यूटर तथा साफ्टवेयर के बिना भी देखा व न पढ़ा जा सकता है। इसमें परिवर्तन करना भी आसान नहीं होता। प्रिंटर या प्लॉटर द्वारा प्रस्तुत आउटपुट हार्ड कॉपी आउटपुट के उदाहरण हैं।
माइक (Mike) :- माइक या माइक्रोफोन (Microphone) एक ऑडियो (Audio) इनुपट डिवाइस है जिसके द्वारा किसी आवाज (Sound) को
कम्प्यूटर में इनपुट के रूप में डाला जाता है। माइक ध्वनि तरंगों (Audio Signal) को एनालॉग विद्युत तरंगों में बदलता है जिसे साउण्ड कार्ड द्वारा डिजिटल संकेतों में बदला जाता है। माइक का प्रयोग मल्टी मीडिया सॉफ्टवेयर में, आवाज रिकॉर्ड करने, ऑडियो फाइल तैयार करने तथा इंटरनेट पर बातचीत करने
के लिए किया जाता है। ऑडियो फाइल रिकॉर्ड या इडिट करने के लिए Audacity साफ्टवेयर का उपयोग किया जाता हैा
स्पीच रिकॉग्नीशन सिस्टम (Speech Recognition System) :- यह एक इनपुट डिवाइस है जिसके माध्यम से बोलकर डाटा को कम्प्यूटर में डाला जा सकता है। स्पीच रिकॉग्नीशन सिस्टम में मनुष्य द्वारा बोले गए शब्दों को पहचान कर उन्हें टेक्स्ट में परिवर्तित किया जाता है तथा उस टेक्स्ट को कम्प्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित भी किया जा सकता है। इसका उपयोग मौखिक आदेश देकर कम्प्यूटर की गतिविधियों को नियंत्रित करने में भी किया जा सकता है। हालांकि वर्तमान में इसका प्रयोग सीमित है, पर भविष्य में इसके विकास की संभावनाएं विद्यमान हैं।
ऑप्टिकल मार्क रीडर (Optical Mark Reader) ऑप्टिकल मार्क रीडर (OMR) एक इनपुट डिवाइस है जो विशेष प्रकार के संकेतों/ चिह्नों को पढ़कर उसे कम्प्यूटर द्वारा उपयोग के योग्य बनाता है। आजकल वस्तुनिष्ठ उत्तर पुस्तिकाओं (Multiple Choice Question) को जांचने के लिए इसका प्रयोग किया जा रहा है।
इसमें उच्च तीव्रता वाले प्रकाशीय किरणों को कागज पर डाला जाता है तथा पेन या पेंसिल के निशान से परावर्तित किरणों का अध्ययन कर सही उत्तर का पता लगाया जाता है।
वेब कैमरा (Web Camera) यह एक सामान्य डिजिटल कैमरे की तरह होता है जिसे कम्प्यूटर से जोड़कर इनपुट डिवाइस की तरह प्रयोग किया जाता है। इसमें उपस्थित फोटो डायोड (Photo diode) प्रकाशीय सूचना को विद्युत तरंगों में बदल कर कम्प्यूटर को देते हैं। इसे वेब कैम (Web Cam) भी कहा जाता है। वेब कैमरा का प्रयोग वीडियो कान्फरेंसिंग, वीडियो चैटिंग, वेब ब्रॉडकास्ट (Web Broad Cast) आदि में किया जाता है।
टच स्क्रीन (Touch Screen)
यह एक आसान इनपुट डिवाइस है। कम्प्यूटर स्क्रीन पर उपलब्ध विकल्पों में से किसी एक को छूकर निर्देश दिये जा सकते हैं तथा कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कराया जा सकता है। टच स्क्रीन में इंफ्रारेड (अवरक्त) किरणें स्क्रीन की सतह पर घूमती रहती हैं। जब अंगुली से प्रदर्शित विकल्पों को छूते हैं तो किरणों की गति प्रभावित होती है तथा उसकी स्थिति रिकॉर्ड कर ली जाती है। स्थिति के अनुसार, कम्प्यूटर चिह्नित विकल्प को क्रियान्वित करता है टच स्क्रीन का उपयोग बैंकों में एटीएम (ATM-AutomaticTeller Machine) तथा सार्वजनिक सूचना केंद्र (InformationKiosk) में किया जा रहा है। स्मार्टफोन तथा टैबलेट कम्प्यूटर में भी टच स्क्रीन का उपयोग इनपुट डिवाइस के रूप में किया जाता है।
माइक (Mike)
माइक या माइक्रोफोन (Microphone) एक ऑडियो (Audio) इनुपट डिवाइस है जिसके द्वारा किसी आवाज (Sound) को कम्प्यूटर में इनपुट के रूप में डाला जाता है। माइक ध्वनि तरंगों (Audio Signal) को एनालॉग विद्युत तरंगों में बदलता है जिसे साउण्ड कार्ड द्वारा डिजिटल संकेतों में बदला जाता है। माइक का प्रयोग मल्टी मीडिया सॉफ्टवेयर में, आवाज रिकॉर्ड करने, ऑडियो फाइल तैयार करने तथा इंटरनेट पर बातचीत करने के लिए किया जाता है। ऑडियो फाइल रिकॉर्ड या इडिट करने के लिए Audacity साफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है।
माइकर (MICR-Magnetic Ink Character Recognition)
इसका प्रयोग विशेष चुम्बकीय स्याही (आयरन ऑक्साइड) से विशेष तरीके से लिखे अक्षरों को कम्प्यूटर के जरिये पढ़ने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग बैंकों द्वारा चेक/ड्राफ्ट में किया जा रहा है। इससे कम समय और बड़ी मात्रा में चेक/ड्राफ्ट का भुगतान करने और नकल रोकने में मदद मिलेगी। माइकर कोड में 0 से 9 तक संख्याओं और चार चिह्नों (कुल 14 कैरेक्टर) का प्रयोग किया जाता है।
क्या आप जानते हैं?
यूपीसी (UPC-Universal Product Code) जिसका प्रयोग
अमेरिका के सुपर स्टोर में उत्पादों पर नजर रखने के लिए किया
गया, सर्वाधिक प्रयोग में आने वाला बार कोड है। इसमें 10
लाइने होती हैं जिसमें प्रथम 5 उत्पादक तथा आपूर्तिकर्ता तथा
अंतिम 5 उत्पाद की जानकारी देते हैं।
बार कोड रीडर (BCR-Bar Code Reader) बार कोड विभिन्न चौड़ाई की उर्ध्वाधर (Vertical) काली पट्टियां होती हैं। उनकी चौड़ाई और दो पट्टियों के बीच की दूरी के हिसाब से उनमें सूचनाएं निहित रहती हैं। इन सूचनाओं को बार कोड रीडर की सहायता से कम्प्यूटर में डालकर उत्पाद, वस्तु के प्रकार आदि का पता लगाया जा सकता है। बार कोड का आविष्कार 1940 में जोसेफ वुडलैंड तथा बर्नाड सिल्वर ने मिलकर किया था। पर इसे प्रचारित करने का श्रेय ऐलन हैबर मैन को जाता है। भारत में वर्ष 1998 में नेशनल इन्फार्मेशन इंडस्ट्रियल वर्क फोर्स ने सभी उत्पादों पर बार कोड का प्रयोग जरूरी कर दिया है।
बार कोड बार कोड रीडर लेजर बीम (Laser beam) का प्रयोग करता है तथा परावर्तित किरणों के द्वारा डाटा को कम्प्यूटर में डालता है। आजकल बारकोड का प्रयोग बैंक व पोस्ट ऑफिस में भी किया जा रहा है।
बार कोड रीडर लेजर बीम (Laser beam) का प्रयोग करता है तथा परावर्तित किरणों के द्वारा डाटा को कम्प्यूटर में डालता है। आजकल बारकोड का प्रयोग बैंक व पोस्ट ऑफिस में भी किया जा रहा है।
ऑप्टिकल माउस (Optical Mouse) ऑप्टिकल माउस प्रकाश तरंगों के परावर्तन के आधार पर
कार्य करता है। इसमें सतह पर घूमने वाला रबर बॉल नहीं होता। LED (Light Emitting Diode) या लेसर डायोड द्वारा उत्पन्न प्रकाश तरंगें सतह से परावर्तित होती हैं जिन्हें फोटो डायोड सेंसर द्वारा पढ़ा जाता है। ऑप्टिकल माउस के लिए किसी विशेष सतह या माउस पैड की जरूरत नहीं होती। इसे किसी भी अपारदर्शी सतह पर रखकर प्रयोग किया सकता है। मैकेनिकल बॉल न होने के कारण इसमें टूट-फूट की संभावना कम होती है।
बेतार की-बोर्ड/माउस (Wireless or Chordless Key-Board/Mouse) सामान्यतः की-बोर्ड तथा माउस को तार के जरिए कम्प्यूटर मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है। परंतु वर्तमान में बेतार की-बोर्ड तथा माउस का प्रचलन बढ़ रहा है। इसमें कम्प्यूटर के साथ सूचनाओं का अदान-प्रदान रेडियो तरंगों (Radio Frequency) या Infrared rays या Bluetooth/Wi-Fi के जरिए होता है।
बेतार की-बोर्ड या माउस में एक ट्रांसमीटर तथा एक रिसीवर (Receiver) होता है। ट्रांसमीटर की-बोर्ड या माउस के भीतर होता है जबकि रिसीवर USB पोर्ट द्वारा कम्प्यूटर मदरबोर्ड से जुड़ा होता है। ट्रांसमीटर की-बोर्ड या माउस द्वारा उत्पन्न संकेतों को रेडियो तरंगों में बदलकर रिसीवर तक भेजता है, जो उसे पुनः संकेतों में बदलकर कम्प्यूटर को दे देता है। बेतार की-बोर्ड या माउस 2.4 GHz आवृत्ति की तरंगों पर काम करता है। इसे की-बोर्ड या माउस में लगे बैटरी द्वारा ऊर्जा दी जाती है।
इसका प्रयोग
5. ट्रैक बाल (Track Ball) यह माउस का ही प्रारूप है जिसमें रबर बाल नीचे न होकर ऊपर होता है। इसमें माउस को अपने स्थान से हटाये बिना रबर बाल को घुमाकर माउस प्वांइटर के स्थान में परिवर्तन किया जाता है। मुख्यतः कैड (CAD-Computer Aided Design) तथा कैम (CAM-Computer Aided Manufacturing) में किया जाता है। ट्रैक बॉल का प्रयोग लैपटॉप कम्प्यूटर में माउस के स्थान पर किया जाता है।
6. ज्वास्टिक (Joystick) यह एक प्वाइंटिंग डिवाइस है जो ट्रैकबाल की तरह ही कार्य करता है। बॉल के साथ एक छड़ी लगा दी जाती है ताकि बॉल को आसानी से घुमाया जा सके। छड़ी के ऊपर एक क्लिक बटन होता है जिसके द्वारा किसी आइकन या टेक्स्ट आदि का चयन किया जाता है। इसका उपयोग वीडियो गेम, सिमुलेटर प्रशिक्षण (Training Simulator), रोबोट नियंत्रण (Robot Control) आदि में किया जाता है। यह वीडियो गेम खेलना आसान और मजेदार बनाता है।
7. प्रकाशीय पेन (Light Pen) यह पेन के आकार का प्वाइंटिंग डिवाइस है जिसका प्रयोग इनपुट
डिवाइस की तरह किया जाता है। इसका प्रयोग कम्प्यूटर स्क्रीन पर लिखने, चित्र बनाने या बारकोड (Bar Code) को पढने में किया जाता है प्रकाशीय पेन में फोटो सेल का प्रयोग किया जाता हैा
रोचक तथ्य
Double Click में यदि दो Click के बीच का अंतर
कम्प्यूटर पर सेट किए गए समयांतराल (Time Period) से
ज्यादा है, तो कम्प्यूटर इसे दो Single Click की तरह पढ़ता है।
कम्प्यूटर साफ्टवेयर द्वारा दो Single Click के बीच के समयान्तराल
को कम या ज्यादा किया जा सकता है।
माउस के कार्य (Functions of Mouse) : माउस द्वारा निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं-
(i) प्वांइट और सेलेक्ट (Point and Select) करना
माउस प्वाइंटर को किसी आइकन (icon) के ऊपर ले जाने से यदि माउस प्वाइंटर हाथ के आकार का हो जाए, तो इसे प्वाइंट कहा
जाता है। साथ ही प्वाइंट किए गए आब्जेक्ट का संक्षिप्त विवरण भी स्क्रीन पर प्रदर्शित हो सकता है। माउस का प्रयोग किसी icon, टेक्स्ट या इमेज को सेलेक्ट करने के लिए भी किया जाता है। सेलेक्ट किए गए आइकन, टेक्स्ट या इमेज के रंग में तात्कालिक परिवर्तन दिखाई पड़ता है। सेलेक्ट किए गए Object को हम Copy, Cut या Delete कर सकते हैं।
(ii) क्लिक (Click) : इसे Single Click या Left Click भी कहा जाता है। माउस के बायें बटन को एक बार दबाकर छोड़ना
क्लिक कहलाता है। इसका प्रयोग किसी Object या icon को प्वाइंट कर उसे सेलेक्ट (Select) करने के लिए किया जाता है।
(iii) डबल क्लिक (Double Click) : माउस के बायें बटन को जल्दी-जल्दी दो बार दबा कर छोड़ना डबल क्लिक कहलाता
है। डबल क्लिक का प्रयोग किसी फाइल या फोल्डर को खोलने या किसी प्रोग्राम को Activate या Start करने के लिए किया जाता है।
(iv) राइट क्लिक (Right Click) : माउस के दायें बटन को एक बार दबाकर छोड़ना राइट क्लिक कहलाता है। राइट क्लिक कर्सर की स्थिति के अनुसार उस Object से संबंधित ड्राप डाउन मेन्यू (Dropdown menu) प्रदर्शित करता है। मेन्यू संबंधित विकल्पों
का समूह है जिसमें से विकल्पों का चयन लेफ्ट क्लिक द्वारा किया जा सकता है।
(v) ड्रैग और ड्राप (Drag and Drop) : किसी आब्जेक्ट के आइकन पर माउस प्वाइंटर ले जाकर Left बटन दबाना तथा लेफ्ट
बटन दबाये रखकर माउस को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना ड्रैग (Drag) कहलाता है इससे आब्जेक्ट का आइकन भी साथ-साथ चलता है। अब माउस प्वाइंटर को वांछित स्थान या फाइल आइकन पर ले जाकर लेफ्ट बटन छोड़ देना ड्राप (Drop) कहलाता है। माउस के इस ड्रैग और ड्रॉप विकल्प का प्रयोग किसी आइकन, चित्र, अक्षर, फाइल या फोल्डर को कम्प्यूटर स्क्रीन पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले
जाने या कम्प्यूटर मेमोरी में एक फोल्डर से दूसरे फोल्डर तक पहुंचाने के लिए किया जाता है।
(vi) माउस का प्रयोग पेंट (Paint) प्रोग्राम में कलम या ब्रश की तरह भी किया जाता है।
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