शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2022

Computer Components (कम्‍प्‍यूटर के पूर्जे)

 

मॉनीटर (Monitor) मॉनीटर पर्सनल कम्प्यूटर में प्रयुक्त एक लोकप्रिय आउटपुट डिवाइस है जो साफ्ट कॉपी आउटपुट प्रदान करता है। मानीटर कम्प्यूटर में चल रहे कार्यों को दर्शाता है तथा उपयोगकर्ता और कम्प्यूटर के बीच संबंध स्थापित करता है। मल्टीमीडिया में एनीमेशन (Animation), चलचित्र (Movie), छाया चित्र (Image), रेखाचित्र (Graphics) तथा वीडियो आदि के लिए मॉनीटर का होना आवश्यक है। की-बोर्ड पर टाइप किया जाने वाला डाटा भी मॉनीटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है।
                जीयूआई (GUI-Graphical User Interface) के बढ़ते प्रचलन के कारण मॉनीटर के बिना पर्सनल कम्प्यूटर की कल्पना बेमानी है। आजकल पर्सनल कम्प्यूटर के लिए एलसीडी (LCD-Liquid Crystal Display) या एलईडी (LED-Light Emitting Diode) मॉनीटर का प्रयोग हो रहा है।
 
माउस (Mouse) यह एक लोकप्रिय इनपुट डिवाइस है जिसे प्वाइंटिंग डिवाइस भी कहा जाता है। इसे कम्प्यूटर कैबिनेट के पिछले भाग में बने सीरियल पोर्ट द्वारा मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है। ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) के बढ़ते उपयोग ने माउस को एक लोकप्रिय इनपुट डिवाइस बना दिया है। 
 
की-बोर्ड (Key Board) की-बोर्ड एक महत्त्वपूर्ण इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग में अक्षरों तथा अंकों (Alphanumeric data) को डालने में किया जाता है। वर्ड प्रोसेसिंग तथा स्प्रेडशीट साफ्टवेयर के लिए की-बोर्ड का प्रयोग आवश्यक हो जाता है। की-बोर्ड की सहायता से कम्प्यूटर को जरूरी निर्देश भी दिए जा सकते हैं। माउस खराब हो जाने पर की-बोर्ड को माउस की जगह प्रयोग किया जा सकता है। पर्सनल कम्प्यूटर के साथ 104 बटन वाले 'QWERTY' की-बोर्ड का प्रयोग किया जाता है। विंडोज आपरेटिंग सिस्टम के साथ प्रयोग होने वाले की-बोर्ड में कुछ विशेष बटन भी हो सकते हैं। की-बोर्ड को कम्प्यूटर कैबिनेट के पीछे लगे PS-2 पोर्ट के जरिए मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है।
 
स्पीकर (Speaker) पर्सनल कम्प्यूटर का प्रयोग मल्टीमीडिया के साथ करने के लिए वाह्य स्पीकर (External Speaker) का होना आवश्यक है। यह साफ्ट कॉपी प्रस्तुत करने वाला एक आउटपुट डिवाइस है। इसके लिए कम्प्यूटर में साउण्ड कार्ड (Sound Card) का होना जरूरी है। स्पीकर की क्षमता पीएमपीओ (PM PO) में मापी जाती है।
 
प्रिंटर (Printer) यह पर्सनल कम्प्यूटर का एक ऐच्छिक अंग है। यह हार्ड कॉपी आउटपुट प्रदान करने वाला आउटपुट डिवाइस है। इसके द्वारा मॉनीटर पर प्रदर्शित होने वाले डाक्यूमेंट या चित्र को कागज पर प्रिंट किया जा सकता है। प्रिंटर को सिस्टम यूनिट के पीछे बने पैरालेल पोर्ट के जरिए मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है। 

स्कैनर (Scanner) यह ऐच्छिक इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग ग्राफ या चित्र को बाइनरी डाटा में बदलकर कम्प्यूटर में डालने के लिए किया जाता में
है।
 
मॉडेम (Modem) यह Modulator - Demodulator का संक्षिप्त रूप है। पीसी को टेलीफोन लाइन के सहारे नेट के साथ जोड़ने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। यह टेलीफोन लाइन पर आने वाली एनालॉग संकेतों को डिजिटल संकेतों में बदलकर कम्प्यूटर को देता है तथा कम्प्यूटर द्वारा उत्पन्न डिजिटल संकेतों को एनालॉग संकेत में बदलकर लाइन पर भेजता है।
 
यूपीएस (UPS-Uninterrupted Power Supply) बिजली की सप्लाई बंद हो जाने पर कम्प्यूटर अचानक बंद या ऑफ (Off) हो जाता है। इससे कम्प्यूटर का हार्ड डिस्क खराब होने का खतरा बना रहता है तथा सेव (Save) नहीं किया गया डाटा भी नष्ट हो जाता है। इससे बचने के लिए यूपीएस का प्रयोग किया जाता है। यूपीएस में एक रीचार्जेबल बैटरी होती है जो कम्प्यूटर को लगातार सप्लाई देती रहती है। इसे विद्युत सप्लाई से चार्ज किया जाता है। जब बैटरी की क्षमता कम होने लगती है तो यूपीएस बीप की ध्वनि द्वारा संकेत देकर उपयोगकर्ता को कम्प्यूटर बंद करने के लिए चेतावनी देता है।

सीवीटी (CVT-Constant Voltage Transformer) इसका प्रयोग घरेलू सप्लाई में होने वाले वोल्टेज के उतार चढ़ाव को रोकने के लिए किया जाता है ताकि कम्प्यूटर को एक समान बिजली मिलती रहे।
 
सिस्टम यूनिट का अगला भाग (FrontPartofSystemUnit) पर्सनल कम्प्यूटर के सिस्टम यूनिट के अगले हिस्से में होता
 
(a) सीडी/डीवीडी ड्राइव (CD/DVD Drive) : इसका प्रयोग सीडी/डीवीडी में स्टोर की गई सूचना को पढ़ने या उसे लिखने के लिए किया जाता है। इसके साथ सीडी/डीवीडी ट्रे को अंदर/बाहर करने के लिए इजेक्ट बटन (Eject button), आवाज नियंत्रण नॉब (Volume Control Knob), हेडफोन के लिए जैक (Jack) तथा सीडी/डीवीडी के प्रयोग को दर्शाने वाली एलइडी (LED) होता है।
 
(b) रीसेट बटन (Reset Button) : कम्प्यूटर को पॉवर सप्लाई बंद किये बिना फिर से चालू (Re-Start) करने के लिए प्रयुक्त।
 
(c) फ्लापी डिस्क ड्राइव (Floppy Disk Drive) : फ्लापी  की सूचना को पढ़ने या उस पर नई सूचना डालने के लिए प्रयुक्त। इसमें फ्लापी को बाहर निकालने के लिए एक पुश बटन तथा फ्लापी के उपयोग को दर्शाने के लिए एक एलईडी (LED) रहता है।
 
(d) पॉवर बटन (Power Button) : इस बटन द्वारा कम्प्यूटर के पावर सप्लाई यूनिट को बिजली की सप्लाई चालू या बंद किया जाता है। इसके साथ एक एलईडी (LED) रहता है जो पावर ऑन होने की स्थिति में जलता है।
 
e) यूएसबी पोर्ट (USB Port) : यूएसबी पोर्ट के बढ़ते प्रयोग के कारण सिस्टम यूनिट के अगले भाग में एक या दो यूएसबी पोर्ट का जैक लगाया जाता है। इसका प्रयोग पेन ड्राइव या कोई अन्य उपकरण जोड़ने के लिए किया जाता है।


 
 
 सिस्टम यूनिट का पिछला भाग (Back Side of System Unit) 
 
(a) पॉवर साकेट (Power Sockets) : सिस्टम यूनिट को सप्लाई से जोड़ने तथा मानीटर को सिस्टम यूनिट से सप्लाई देने के लिए प्रयुक्त।
 
(b) सीरियल पोर्ट (Serial Port) : डाटा को क्रमानुसार इनपुट करने वाले उपकरणों को जोड़ने के लिए। जैसे- माउस, माडेम आदि। सीरियल पोर्ट एक बार में एक बिट डाटा का स्थानान्तरण करते हैं तथा RS-232 स्टैडर्ड का अनुपालन करते हैं।
 
(c) पैरालेल पोर्ट (Parallel Port) : डाटा को समानान्तर क्रम में स्थानान्तरित करने के लिए। इस पोर्ट से प्रिंटर, आदि को जोड़ा जाता है। इसकी गति सीरियल पोर्ट से अधिक होती है।
 
(d) यूएसबी (USB-Universal Serial Bus) पोर्ट : यह किसी भी डिवाइस, जैसे माउस, प्रिंटर, पेन ड्राइव आदि को सिस्टम यूनिट से जोड़ता है।
 
(e) मॉनीटर पोर्ट (Monitor Port) : मॉनीटर को सिस्टम यूनिट से जोड़ने के लिए। इसे वीजीए (VGA-Video Graphis Array) पोर्ट भी कहते हैं।
 
(1) पीएस-2 (PS-2-Plug Station-2) पोर्ट : पीएस-2 पोर्ट के जरिए की-बोर्ड तथा माउस को कम्प्यूटर मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है। यह गोल आकार का 6 पिन का पोर्ट है। माउस के लिए हरे रंग के PS-2 पोर्ट का प्रयोग होता है जबकि की-बोर्ड के लिए बैगनी रंग के पोर्ट का प्रयोग होता है।
 
(g) ऑडियो जैक (Audio Jack) : वाह्य स्पीकर, हेडफोन या माइक को जोड़ने के लिए।
 
(h) एससीएसआई पोर्ट (SCSI-Small Computer System Interface) : बाहरी हार्ड डिस्क, डीवीडी या स्कैनर को जोड़ने के लिए।
 
(i) नेटवर्क पोर्ट (Network Port) : कम्प्यूटर को किसी अन्य कम्प्यूटर के साथ जोड़ने के लिए। इसे RJ-45 कनेक्टर या LAN या इथरनेट पोर्ट भी कहा जाता है। इसका प्रयोग कम्प्यूटर को टेलीफोन लाइन के जरिए नेटवर्क से जोड़ने के लिए भी किया जाता है।
 
(j) सिस्टम यूनिट के पिछले भाग में पावर सप्लाई यूनिट को ठंडा करने के लिए लगाया गया पंखा (Fan) भी होता है।




सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

पर्सनल कम्‍प्‍यूटर के मुख्‍य घटक (Main Components of Personal Computer)

 

 1. पर्सनल कम्प्यूटर का विकास
(Development of Personal Computer)

            1970 में माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) के विकास ने माइक्रो कम्प्यूटर को जन्म दिया। 1981 में आईबीएम (IBM-International Business Machine) नामक कम्पनी ने पर्सनल कम्प्यूटर का निर्माण किया जिसे आईबीएम-पीसी कहा गया। बाद में बनने वाले पीसी आईबीएम पीसी कॉम्पैटिबल (IBM PCCompatible) कहलाये, अर्थात वे कार्य और क्षमता में आईबीएम पीसी जैसे ही हैं तथा उन पर वे सभी कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं जो आईबीएम पीसी पर चलते हैं। 

            पर्सनल कम्प्यूटर व्यक्तिगत उपयोग के लिए बनाए गए डिजिटल कम्प्यूटर हैं, जिस पर एक बार में एक ही व्यक्ति (Single User) कार्य कर सकता है। इसे ऑफिस कार्य, डाटाबेस तैयार करने, ईमेल भेजने, इंटरनेट से जुड़ने, वीडियो गेम खेलने, संगीत व चलचित्र देखने आदि के लिए प्रयोग किया जाता है। पर्सनल कम्प्यूटर को मॉडेम (Modem) तथा संचार माध्यम द्वारा नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है। पर्सनल कम्प्यूटर के लिए मल्टीटास्किंग आपरेटिंग साफ्टवेयर (Multitasking Operating Software) का प्रयोग किया जाता है। वर्तमान में प्रचलित पर्सनल कम्प्यूटर को मदरबोर्ड की डिजाइन के आधार पर इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है-

(i) पीसी-एटी (PC-AT - Personal Computer Advanced Technology)
(ii) पीसी-एटीएक्स (PC-ATX - Personal Computer Advanced Technology Extanded)
(iii) पेंटियम पीसी (Pentum PC) 


2. पीसी के घटक (Parts of Personal Computer)
वर्तमान पीसी के आवश्यक घटक हैं-
(i) सिस्टम यूनिट (System Unit)
(ii) मॉनीटर (Monitor) या वीडीयू (VDU)
(iii) की-बोर्ड (Key Board)
(iv) माउस (Mouse)
(v) हार्ड डिस्क (Hard Disk Drive)
 

मल्टीमीडिया के प्रयोग के लिए कुछ आवश्यक घटक हैं-
(i) सीडीरॉम ड्राइव (CD ROM Drive)
(ii) स्पीकर (Speaker)

(iii) 4156 (Mike)
(iv) माडेम (Modem)
(v) वेब कैम (Web Cam)
 

पीसी के कुछ ऐच्छिक घटक हैं-
(1) प्रिंटर (Printer)
(ii) फ्लापी ड्राइव (Floppy Drive)
(iii) स्कैनर (Scanner)
(iv) ज्वॉस्टिक (Joystick)
 

कम्प्यूटर को निर्वाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने के लिए घटक हैं-
(
i) यूपीएस (UPS-Uninterrupted Power Supply)
(ii) सीवीटी (CVT-Constant Voltage Transformer)
 

3. सिस्टम यूनिट (System Unit)
            यह पीसी का मुख्य भाग है। कम्प्यूटर द्वारा किये जाने वाले विभिन्न कार्य यहीं संचालित होते हैं। यह विभिन्न सिस्टम साफ्टवेयर और अप्लिकेशन साफ्टवेयर द्वारा नियंत्रित किया जाता है। पीसी के अन्य सभी घटक इसी से जुड़े रहते हैं।
            वाह्य संरचना के आधार पर यह दो प्रकार का होता है-

(i) डेस्कटॉप टाइप (Desktop Type) : इसमें सिस्टम यूनिट का चौकोर बाक्स टेबल पर पड़ा रहता है तथा मॉनीटर उसके ठपर रखा जाता है। 

(ii) टावर टाइप (Tower Type) : इसमें सिस्टम यूनिट का बाक्स टेबल पर सीधा खड़ा रहता है तथा मॉनीटर उसके बगल में रखा जाता है। वर्तमान में यह अधिक प्रचलित है। 

 


 3.1. कम्प्यूटर कैबिनेट (Computer Cabinet) कम्प्यूटर कैबिनेट प्लास्टिक या एल्युमिनियम का बना एक बक्सा होता है। कम्प्यूटर सिस्टम यूनिट के सभी घटक इसी केस के अंदर स्थापित किए जाते हैं। यह सिस्टम यूनिट के बाहरी संरचना का निर्माण करता है।

 
3.2. सिस्टम यूनिट के मुख्य घटक (Main Parts of System Unit)
                (a) पॉवर सप्लाई यूनिट (Power Supply Unit) : इसे घरेलू बिजली से 220VAC सप्लाई दी जाती है जिसे यह कम्प्यूटर में प्रयोग के लिए + 5 वोल्ट और 12 वोल्ट DC सप्लाई में बदल देता है। कम्प्यूटर के इलेक्ट्रॉनिक घटकों को + 5 V सप्लाई दी जाती है जबकि इसके मोटर, पंखे आदि को 12 वोल्ट की सप्लाई दी जाती है। यह कम्प्यूटर को उच्च व निम्न वोल्टेज की गड़बड़ियों से बचाता है। इसे वायु के सहारे ठंडा (Air Cooled) करने के लिए बिजली का एक पंखा (Fan) लगा रहता है। आजकल एसएमपीएस (SMPS- Switch Mode Power Supply) का प्रयोग किया जा रहा है।
 
 
 
(b) मदरबोर्ड (Mother Board) : यह प्लास्टिक का बना पीसीबी (PCB-Printed Ciruit Board) होता है। धातु की पतली रेखाओं द्वारा यह दो उपकरणों के बीच संबंध स्थापित करता है। यह
कम्प्यूटर का मुख्य पटल (Main Board) होता है। संपूर्ण कम्प्यूटर मदरबोर्ड के इर्द-गिर्द ही घूमता है। सिस्टम यूनिट के सभी उपकरण मदरबोर्ड से ही जुड़े होते हैं। मदरबोर्ड पर माइक्रोप्रोसेसर लगाने का स्थान भी बना रहता है। इस पर बनी धातु की पतली रेखाएं, जिनके माध्यम से मदरबोर्ड पर बने विभिन्न उपकरणों के बीच संकेतों का आदान-प्रदान होता है, बस बार (Bus Bar) कहलाते हैं। 
 
 
(c) सीपीयू (CPU-Central Processing Unit) : इसे माइक्रो प्रोसेसर (Micro Processor) भी कहा जाता है। यह एक चिप होता है जो कम्प्यूटर के विभिन्न उपकरणों का नियंत्रण तथा समन्वय करता है। कार्यों को नियंत्रित करने के लिए इसमें कंट्रोल यूनिट (Control Unit) तथा अंकगणितीय गणनाओं और कुछ लॉजिकल कार्यों के लिए अरिथमैटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic
Logic Unit-ALU) रहता है। कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी जैसे- सेमी कंडक्टर रजिस्टर तथा कैश (Cache) मेमोरी सीपीयू के अंदर ही निर्मित होते हैं।

(d) मैथ कोप्रोसेसर (Math Coprocessor) : गणित कार्यों को करने तथा सीपीयू की सहायता के लिए मैथ को-प्रोसेसर का उपयोग किया जाता है। नये माइक्रो प्रोसेसर में इसे अलग से लगाने की जरूरत नहीं होती।
 
(e) रैम चिप (RAM Chip) : सिस्टम यूनिट के मदरबोर्ड पर रैम चिप लगाने के खाके बने रहते हैं, जिनमें आवश्यकतानुसार रैम चिप लगाये जा सकते हैं। यहां कार्य के दौरान डाटा व प्रोग्राम को अस्थाई तौर पर रखा जाता है।
 
(1) रॉम चिप (ROM Chip) : निर्माण के समय ही इसमें डाटा डालकर पीसी के मदरबोर्ड पर स्थायी तौर पर लगा दिया जाता है। इस चिप में ऐसे डाटा और प्रोग्राम रखे जाते हैं जिनकी आवश्यकता
पीसी को चालू करते ही पड़ती है। बायोस (BIOS-Basic Input output System) साफ्टवेयर
स्थायी रॉम चिप में ही स्टोर किया जाता है।
 
(g) वीडियो डिस्प्ले कार्ड (Video Display Card) : दृश्य (Video) तथा चित्र (Graphics) को मॉनीटर पर दिखाने के लिए यह कार्ड मदरबोर्ड पर लगाया जाता है। इसमें वीजीए (VGA-Video GraphicsArray) या एसवीजीए (SVGA-Super Video
Graphics Array) का प्रयोग किया जाता है।
 
(h) साउण्ड कार्ड (Sound Card) : मल्टीमीडिया में ध्वनि के डिजिटल सूचनाओं को विद्युत संकेतों में बदलने के लिए इस कार्ड को मदरबोर्ड पर बने खाके में लगाया जाता है। बाहरी स्पीकर (External Speaker) इसी कार्ड से जुड़ा रहता है।
 
(i) डिस्क ड्राइव कंट्रोल कार्ड (Disk Drive Control Card) : यह कार्ड फ्लापी तथा हार्ड डिस्क ड्राइव की मोटरों तथा उनसे डाटा के आने-जाने पर नियंत्रण के लिए मदरबोर्ड पर लगाया जाता है।
 
(j) आउटपुट एडॉप्टर कार्ड (Output Adapter card) : यह मेमोरी तथा आउटपुट डिवाइस (मानीटर व प्रिंटर) के बीच समन्वय का कार्य करता है। यह बाइनरी डाटा व सूचना को मानीटर या प्रिंटर के समझने योग्य बनाता है।
 
(k) स्पीकर (Speaker) : सिस्टम यूनिट के अंदर कुछ ध्वनि संकेत उत्पन्न करने के लिए स्पीकर लगा रहता है
 
(1) टाइमर (Timer) : यह मदरबोर्ड पर लगा रहता है तथा घड़ी की तरह कार्य करता है। इसे एक बटन बैटरी से सप्लाई दी जाती है ताकि कम्प्यूटर बंद हो जाने पर भी घड़ी कार्य करती रहे। 

(m) एक्सपैंशन स्लाट (Expansion Slot) : मदरबोर्ड पर किसी अन्य उपकरण को जोड़ने या भविष्य में प्रयोग के लिए खाने बने रहते हैं जिन्हें एक्सपैंशन स्लाट कहते हैं।
 
(n) पीसीआई (PCI- Peripheral Component Interconnect) : यह कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर बना स्लाट है जिसके द्वारा नेटवर्क, ग्राफिक्स या साउण्ड कार्ड लगाया जाता है। यह डिवाइस को कम्प्यूटर
मेमोरी से जोड़ता है।
 
(O) यूएसबी (Universal Serial Bus) : यह कम्प्यूटर तथा उसके किसी उपकरण (device) के बीच संचार स्थापित करने की एक व्यवस्था है। चूंकि इस व्यवस्था द्वारा लगभग सभी कम्प्यूटर उपकरणों जैसे- माउस, की-बोर्ड, प्रिंटर, डिजिटल कैमरा, द्वितीयक मेमोरी आदि को सीपीयू से जोड़ा जा सकता है, अतः इसे Universal Serial Bus कहा जाता है। इसका प्रयोग कम्प्यूटर के अलावा अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों में भी लोकप्रिय हो रहा है। इसी कारण, आजकल पर्सनल कम्प्यूटर में एक से अधिक यूएसबी पोर्ट होते हैं।
                    इसकी मुख्य विशेषता यह है कि कम्प्यूटर को बिना रीस्टार्ट किए किसी नए डिवाइस को कम्प्यूटर के साथ जोड़कर उसका प्रयोग किया जा सकता है। इसे प्लग एंड प्ले (Plug and Play) का गुण कहा जाता है।
 
(p) सी मॉस (C-MOS-Complementary MetalOxide Semiconductor) चिप : सी मॉस चिप मेमोरी कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर स्थापित किया जाता है। इसके साथ बटन के आकार का एक बैटरी लगा रहता है जो कम्प्यूटर बंद होने पर भी सीमॉस चिप को पॉवर सप्लाई प्रदान करता है।
 
(q) एजीपी बस (Accelerated Graphic Port Bus) : एजीपी बस का प्रयोग त्रिविमीय चित्रों (3 Dimentional Pictures), ग्राफिक्स तथा चलचित्र (Motion Videos) के लिए किया जाता है। यह उच्च गति वाले वीडियो कार्ड को मदरबोर्ड से जोड़ता है।
 
4. हार्ड डिस्क तथा हार्ड डिस्क ड्राइव
(Hard Disk and Hard Disc Drive)

              हार्ड डिस्क पर्सनल कम्प्यूटर का एक मुख्य घटक है। यह एक प्रमुख सहायक (Secondary) स्टोरेज डिवाइस है जो डाटा और प्रोग्राम को संग्रहित रखता है। इसकी स्टोरेज क्षमता बड़ी होती है। कम्प्यूटर का आपरेटिंग सिस्टम, विभिन्न अप्लिकेशन साफ्टवेयर तथा डाटा और सूचनाएं हार्ड डिस्क में ही स्टोर की जाती हैं। यह एक स्थायी (Non Volatile) मेमोरी है जिसमें सप्लाई बंद कर देने पर भी संग्रहित डाटा नष्ट नहीं होता। हार्ड डिस्क ड्राइव की सहायता से हार्ड डिस्क में संग्रहित डाटा को पढ़ा जा सकता है, उसमें परिवर्तन
किया जा सकता है तथा नया डाटा या साफ्टवेयर स्टोर भी किया जा सकता है। इसे कम्प्यूटर कैबिनेट के भीतर रखा जाता है तथा मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है।
                पर्सनल कम्प्यूटर में हार्ड डिस्क तथा हार्ड डिस्क ड्राइव को एक यूनिट की तरह एक प्रदूषण रहित डिब्बे में सील बंद कर दिया जाता है जिसे विंचेस्टर डिस्क (Winchester Disc) कहा जाता है। पर्सनल कम्प्यूटर में प्रयुक्त हार्ड डिस्क की स्टोरेज क्षमता जीबी (GB-Giga Byte) में आंकी जाती है।
 
5. फ्लापी डिस्क ड्राइव (Floppy Disk Drive) फ्लॉपी डिस्क एक पोर्टेबल चुंबकीय मेमोरी डिवाइस है जिसे फ्लापी डिस्क ड्राइव में डालकर पढ़ा जा सकता है, उसके डाटा में परिवर्तन किया जा सकता है तथा नया डाटा स्टोर किया जा सकता है। नये मेमोरी डिवाइस के आविष्कार से पर्सनल कम्प्यूटर में फ्लापी डिस्क ड्राइव का प्रयोग कम हो रहा है।
 
6. सीडी/डीवीडी ड्राइव (CD/DVD Drive) सीडी या डीवीडी ड्राइव पर्सनल कम्प्यूटर का एक अभिन्न अंग बन गया है। सीडी (Compact Disc) तथा डीवीडी (Digital Video Disc) आप्टिकल डिस्क के ही रूप हैं। इन्हें सीडी/डीवीडी ड्राइव में डालकर स्टोर की गयी सूचना को पढ़ा जा सकता है। सीडी ड्राइव की गति को एक नंबर और उसके बाद अक्षर X से दर्शाया जाता है। जैसे-8X,56X आदि। सीडी/डीवीडी के डाटा में परिवर्तन करने या नया डाटा स्टोर करने के लिए लिखने योग्य ड्राइव का प्रयोग किया जाता है जिसे सीडी/डीवीडी राइटर (CD/ DVD Writer) कहते हैं। चूंकि डीवीडी नये किस्म का आप्टिकल डिस्क है, अतः डीवीडी ड्राइव सीडी के डाटा को पढ़ सकता है,
परंतु सीडी ड्राइव डीवीडी के डाटा को नहीं पढ़ सकता।
                अपनी विशाल स्टोरेज क्षमता (650 MB या अधिक) के कारण सीडी/डीवीडी का उपयोग वीडियो डाटा तथा चलचित्र (Motion Picture) को स्टोर करने के लिए किया जा रहा है। इस
कारण, पर्सनल कम्प्यूटर मनोरंजन का एक बेहतर साधन बनता जा रहा हैा 
 
7. मॉनीटर (Monitor) मॉनीटर पर्सनल कम्प्यूटर में प्रयुक्त एक लोकप्रिय आउटपुट डिवाइस है जो साफ्ट कॉपी आउटपुट प्रदान करता है। मानीटर कम्प्यूटर में चल रहे कार्यों को दर्शाता है तथा उपयोगकर्ता और कम्प्यूटर के बीच संबंध स्थापित करता है। मल्टीमीडिया में एनीमेशन (Animation), चलचित्र (Movie), छाया चित्र (Image), रेखाचित्र (Graphics) तथा वीडियो आदि के लिए मॉनीटर का होना आवश्यक है। की-बोर्ड पर टाइप किया जाने वाला डाटा भी मॉनीटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है।
                जीयूआई (GUI-Graphical User Interface) के बढ़ते प्रचलन के कारण मॉनीटर के बिना पर्सनल कम्प्यूटर की कल्पना बेमानी है। आजकल पर्सनल कम्प्यूटर के लिए एलसीडी (LCD-Liquid Crystal Display) या एलईडी (LED-Light Emitting Diode) मॉनीटर का प्रयोग हो रहा है।
 
8. माउस (Mouse) यह एक लोकप्रिय इनपुट डिवाइस है जिसे प्वाइंटिंग डिवाइस भी कहा जाता है। इसे कम्प्यूटर कैबिनेट के पिछले भाग में बने सीरियल पोर्ट द्वारा मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है। ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) के बढ़ते उपयोग ने माउस को एक लोकप्रिय इनपुट डिवाइस बना दिया है। 
 
 

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

कम्प्यूटर की कार्यपद्धति (Principles of Computing)

 

 1. किसी भी कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए दो चीजों की जरूरत होती है-हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर।
 

हार्डवेयर (Hardware) : कम्प्यूटर मशीन तथा कलपुर्जो को हार्डवेयर कहते हैं। हार्डवेयर कम्प्यूटर की भौतिक संरचना है। वस्तुतः वे सभी चीजें जिन्हें हम देख व छू सकते हैं, हार्डवेयर के अंतर्गत आते हैं। जैसे—सिस्टम यूनिट, मानीटर, प्रिंटर, की-बोर्ड, माउस, मेमोरी डिवाइस आदि।
 

साफ्टवेयर (Software) : हार्डवेयर कोई भी कार्य स्वयं संपादित नहीं कर सकता। किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए हार्डवेयर को निर्देश दिया जाना आवश्यक है। यह कार्य साफ्टवेयर द्वारा किया जाता   है।
                साफ्टवेयर प्रोग्रामों, नियमों व अनुदेशों का वह समूह है जो कम्प्यूटर सिस्टम के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कम्प्यूटर के विभिन्न हार्डवेयर के बीच समन्वय स्थापित करता है। साफ्टवेयर यह निर्धारित करता है कि हार्डवेयर कब और कौन-सा कार्य करेगा। साफ्टवेयर को हम देख या छू नहीं सकते। इस प्रकार, अगर हार्डवेयर इंजन है तो साफ्टवेयर उसका ईंधन।
 

2. कम्प्यूटर की कार्यप्रणाली
(Working Principle of Computer)

कम्प्यूटर की कार्यप्रणाली को मोटेतौर पर पांच भागों में बांटा जाता है जो हर प्रकार के कम्प्यूटर के लिए आवश्यक है-

(i) इनपुट (Input) : कम्प्यूटर में डाटा तथा अनुदेशों (Data and Instructions) को डालने का कार्य इनपुट कहलाता है। इसे इनपुट यूनिट द्वारा संपन्न किया जाता है।

(ii) भंडारण (Storage) : डाटा तथा अनुदेशों को मेमोरी यूनिट में स्टोर किया जाता है ताकि आवश्यकतानुसार उनका उपयोग किया जा सके। कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेसिंग के पश्चात प्राप्त अंतरिम तथा अंतिम परिणामों (Intermediate and final results) को भी मेमोरी यूनिट में स्टोर किया जाता है।
 

(iii) प्रोसेसिंग (Processing) : इनुपट द्वारा प्राप्त डाटा पर अनुदेशों के अनुसार अंकगणितीय व तार्किक गणनाएं (Arithmatical and Logical Operations) कर उसे सूचना में बदला जाता है तथा वांछित कार्य संपन्न किए जाते हैं।


(iv) आउटपुट (Output) : कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेसिंग के पश्चात सूचना या परिणामों को उपयोगकर्ता के समक्ष प्रदर्शित करने का कार्य आउटपुट कहलाता है। इसे आउटपुट यूनिट द्वारा संपन्न किया जाता है।
 

(v) कंट्रोल (Control) : विभिन्न प्रक्रियाओं में प्रयुक्त उपकरणों, अनुदेशों और सूचनाओं को नियंत्रित करना और उनके बीच तालमेल स्‍थापित करना कंट्रोल (Control) कहलाता हैा 

3. कम्प्यूटर हार्डवेयर के मुख्य भाग (Main Components of Computer): कम्प्यूटर की आंतरिक संरचना विभिन्न कम्प्यूटरों में अलग-अलग हो सकती है, पर कार्यपद्धति के आधार पर इन्हें निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है-
(i) इनपुट यूनिट (Input Unit)
(ii) भंडारण यूनिट या मेमोरी (Storage Unit or Memory)
(ii) सिस्टम यूनिट (System Unit)
        (a) मदर बोर्ड (Mother Board)
        (b) सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit)
        (c) प्राथमिक या मुख्य मेमोरी (Primary or Main Memory)
(iv) आउटपुट यूनिट (Output Unit) 

इनपुट डिवाइस (Input Device) : डाटा, प्रोग्राम, अनुदेश (Instructions) और निर्देशों (Commands) को कम्प्यूटर में डालने के लिए प्रयोग की जाने वाली विद्युत यांत्रिक (Electromechanical) युक्ति इनपुट डिवाइस कहलाता है। इनपुट यूनिट उपयोगकर्ता से डाटा और अनुदेश प्राप्त कर उसे डिजिटल रूप में परिवर्तित करता है तथा प्रोसेसिंग के लिए प्रस्तुत करता है। चूंकि कम्प्यूटर केवल बाइनरी संकेतों (0 और 1 या ऑन और ऑफ) को समझ सकता है अतः सभी इनपुट डिवाइस इनपुट इंटरफेस (Input Interface) की मदद से डाटा व अनुदेशों को बाइनरी संकेत में बदलते हैं। इस तरह, इनपुट डिवाइस के कार्य हैं-
        (i) डाटा, अनुदेशों तथा प्रोग्राम को स्वीकार करना,
        (ii) उन्हें बाइनरी कोड में बदलना
        (iii) बदले हुए कोड को कम्प्यूटर सिस्टम को देना।
        इनपुट डिवाइस के कुछ उदाहरण हैं-की-बोर्ड, माउस, ज्वास्टिक, प्रकाशीय पेन, स्कैनर, बार कोड रीडर, माइकर, पंचकार्ड रीडर आदि। 

5. भंडारण यूनिट या मेमोरी (Storage Unit or Memory) डाटा और अनुदेशों को प्रोसेस करने से पहले मेमोरी में रखा जाता है। प्रोसेस द्वारा प्राप्त अंतरिम और अंतिम परिणामों को भी मेमोरी में रखा जाता है।
इस प्रकार मेमोरी सुरक्षित रखता है,
(i) प्रोसेस के लिए दिये गये डाटा व अनुदेशों को
(ii) अंतरिम परिणामों (Intermediate results) को
(iii) अंतिम परिणामों (Final results) को मेमोरी को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है-
 

        (i) प्राथमिक या मुख्य मेमोरी (Primary or Main Memory) : यह कम्प्यूटर सिस्टम यूनिट के अंदर स्थित इलेक्ट्रानिक मेमोरी है। इसकी स्मृति क्षमता कम जबकि गति तीव्र होती है। इसमें अस्थायी निर्देशों और तात्कालिक परिणामों को संग्रहित किया जाता है। यह अस्थायी (Volatile) मेमोरी है जिसमें कम्प्यूटर को ऑफ कर देने पर सूचना भी समाप्त हो जाती है।
                    डाटा तथा अनुदेशों को प्रोसेस करने से ठीक पहले प्राथमिक मेमोरी में अस्थायी रूप से रखा जाता है। अंतरिम परिणामों तथा प्राप्त आउटपुट को प्रदर्शित करने से पहले प्राथमिक मेमोरी में स्टोर किया जाता है। 

               सेमीकण्डक्टर रजिस्टर (Registers), कैश (Catche), रॉम (ROM) तथा रैम (RAM) प्राथमिक मेमोरी के उदाहरण हैं। इनमें रजिस्टर या कैश मेमोरी सीपीयू या माइक्रोप्रोसेसर के भीतर बने होते हैं, जबकि ROM तथा RAM मदरबोर्ड पर लगे होते हैं। सीपीयू का सीधा संपर्क कैश मेमोरी से ही होता है।
 

(ii) द्वितीयक या सहायक मेमोरी (Secondary or Aux- iliary Memory) : डाटा, साफ्टवेयर तथा अंतिम परिणामों कोस्थायी रूप से सहायक मेमोरी में संग्रहित किया जाता है। कम्प्यूटर
प्रोसेसर द्वारा डाटा प्रोसेस से पहले सहायक मेमोरी से मुख्य मेमोरी में से लाया जाता है। सहायक मेमोरी में कम खर्च में विशाल डाटा स्टोर करने की क्षमता होती है। यह एक स्थायी (Non Volatile) मेमोरी है
जिसमें कम्प्यूटर को बंद कर देने या विद्युत उपलब्ध न होने पर भी से डाटा नष्ट नहीं होता है। चुंबकीय डिस्क (Magnetic Disk), ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk), हार्ड डिस्क (Hard Disk) आदि सहायक मेमोरी के उदाहरण हैं।

5.1. रजिस्टर (Registers) : यह सीपीयू (Central Proa cessing Unit) या माइक्रो प्रोसेसर के साथ निर्मित अत्यंत तीव्र गति वाली प्राथमिक मेमोरी हैं। इसे सीपीयू की कार्यकारी मेमोरी (Working memory) भी कहा जाता है। सीपीयू रजिस्टर में स्थित डाटा को ही प्रोसेस कर पाता है। अतः डाटा तथा अनुदेशों को प्रोसेसिंग से पहले रजिस्टर में स्थानान्तरित किया जाता है। रजिस्टर मेमोरी का
एक्सेस टाइम 1-2 नैनो सेकेण्ड हो सकता है।
 

5.2. कैश मेमोरी (Cache Memory) : कैश मेमोरी सीपीयू से सीधे जुड़ा होता है। अतः कैश मेमोरी से सीपीयू तक डाटा ले जाने के लिए कम्प्यूटर मदरबोर्ड के सिस्टम बस का प्रयोग नहीं करना पड़ता। अतः डाटा स्थानान्तरण की गति तीव्र होती है। सीपीयू वांछित सूचना के लिए सबसे पहले कैश मेमोरी की
तलाश करता है। अगर वांछित सूचना कैश मेमोरी में नहीं मिलती तो इसे ROM/RAM में खोजा जाता है। कैश मेमोरी सीपीयू तथा मुख्य मेमोरी के बीच बफर (Buffer) का काम करता है। कैश मेमोरी अत्यंत तीव्र होती है, पर यह अधिक महंगा भी होता है। कैश मेमोरी का एक्सेस टाइम 2-10 नैनो सेकेण्ड तक हो
सकता है।

5.3. रैम (RAM-RandomAccess Memory) : रैम एक सेमीकण्डक्टर मेमोरी चिप है जिसे मदरबोर्ड पर बने मेमोरी स्लॉट में लगाया जाता है। यह एक अस्थायी (Volatile) प्राथमिक मेमोरी है। इसमें डाटा का एक्सेस टाइम डाटा की भौतिक स्थिति पर निर्भर नहीं करता। अतः इसकी गति तीव्र होती है।
 

        प्रोसेसिंग के दौरान डाटा और अनुदेशों को सहायक मेमोरी से लाकर रैम में स्टोर किया जाता है। सीपीयू इन्हें रैम से प्राप्त करता है तथा डाटा प्रोसेसिंग करता है। किसी अंतरिम या अंतिम परिणाम (Intermediate or final result) को अस्थायी तौर पर रैम में स्टोर किया जाता है।

5.4. रॉम (ROM-Read only memory) : रॉम एक सेमीकण्डक्टर मेमोरी चिप है जिसे कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर कम्प्यूटर निर्माता कंपनी द्वारा स्थापित किया जाता है। रॉम एक स्थायी (Non Volatile) प्राथमिक मेमोरी है जिसमें संग्रहित डाटा न तो नष्ट होती है। और न ही इसे बदला जा सकता है। रॉम में कम्प्यूटर को स्टार्ट करने के लिए आवश्यक साफ्टवेयर स्टोर किया जाता है।
 

5.5.सीमॉस चिप (C-MOS Chip-Complementory Metal Oxide Semiconductor Chip) : कम्प्यूटर में कुछ सूचनाएं तथा सेटिंग्स लगातार परिवर्तित होती रहती हैं, पर कम्प्यूटर को उन्हें अद्यतन (update) करते रहना होता है। यदि किसी पर्सनल कम्प्यूटर को कुछ समय या दिन के बाद ऑन किया जाए, तो भी वह वर्तमान का सही समय और दिन बताता है। ऐसी सूचनाएं C-MOS चिप मेमोरी में स्टोर की जाती हैं।
C-MOS चिप मेमोरी कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर स्थापित एक सेमीकण्डक्टर मेमोरी है। इसके साथ बटन के आकार का एक बैटरी लगा रहता है जिसके कारण कम्प्यूटर ऑफ होने पर भी C-MOS मेमोरी काम करते रहता है।
 

6. सिस्टम यूनिट (System Unit) किसी पर्सनल कम्प्यूटर का सिस्टम यूनिट उसका मुख्य हार्डवेयर है। सिस्टम यूनिट एक बॉक्स की तरह होता है। इनपुट और आउटपुट डिवाइस के अतिरिक्त कम्प्यूटर के सभी हार्डवेयर सिस्टम यूनिट में ही स्थित होते हैं। सिस्टम यूनिट में मुख्यतः पॉवर सप्लाई यूनिट (Power
Supply Unit), मदरबोर्ड (Mother Board), सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) या माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor), मुख्य मेमोरी (Main Memory) तथा कई पोर्ट होते हैं।

 

मदर बोर्ड (Mother Board) : मदर बोर्ड किसी कम्प्यूटर का मुख्य सर्किट बोर्ड है। संपूर्ण कम्प्यूटर मदर बोर्ड के इर्द-गिर्द ही घूमता है। मदर बोर्ड पर सीपीयू (Central Processing Unit), रॉम (ROM) चिप, रैम (RAM) चिप, मेमोरी आदि उपकरण लगे होते हैं। कम्प्यूटर के अन्य उपकरण, जैसे—इनपुट यूनिट, आउटपुट यूनिट, हार्ड डिस्क ड्राइव, सीडी ड्राइव, साउण्ड कार्ड, वीडियो कार्ड आदि मदर बोर्ड से ही जुड़े होते हैं। भविष्य में हार्डवेयर उपकरणों को जोड़ने के लिए मदरबोर्ड पर Expansion Slots भी
बने होते हैं।
 

6.2. कम्प्यूटर बस (Computer Bus) : मदरबोर्ड पर बने सुचालक तारों का समूह जो कम्प्यूटर डाटा तथा संकेतों को कम्प्यूटर सिस्टम के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाता है, कम्प्यूटर बस कहलाता है। सीपीयू तथा कम्प्यूटर सिस्टम के अन्य हार्डवेयर और पेरीफेरल डिवाइस के बीच निर्देशों तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान बस के मार्ग से ही होता है।
 

इंटरनल/सिस्टम बस (Internal/System Bus) : मदरबोर्ड पर लगे उपकरणों के बीच डाटा तथा संकेतों का आदान-प्रदान इंटरनल या सिस्टम बस द्वारा किया जाता है। इसमें डाटा स्थानान्तरण की गति तीव्र होती है। सिस्टम बस को तीन भागों-डाटा बस (Data Bus), ऐड्रेस बस (Address Bus) तथा कंट्रोल बस (Control Bus) में बांटा जाता है।

जैसे-की-बोर्ड, माउस, मानीटर, प्रिंटर, हार्ड डिस्क, सीडी ड्राइव आदि को मदरबोर्ड के साथ जोड़ता है। इसमें डाटा स्थानान्तरण की गति अपेक्षाकृत धीमी होती है। 

 

रोचक तथ्य

कम्प्यूटर बस (Bus) कम्प्यूटर के अंदर बना मुख्य सड़क (Highway) है जिस पर डाटा तथा सूचनाएं तेजी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाती हैं।

सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट या माइक्रो प्रोसेसर (Central Processing Unit or Microprocessor) : सीपीयू (CPU) को कम्प्यूटर का हृदय या मस्तिष्क (Heart or Brain of Computer) भी कहा जाता है। यह कम्प्यूटर के सभी कार्यों को नियंत्रित, निर्देशित तथा
समन्वित (Control, Supervise and Co-ordinate) करता है। डाटा को निर्देशानुसार प्रोसेस करने का कार्य भी सीपीयू ही करता है।


            सीपीयू वास्तव में एक सघन इंटेग्रेटेड सर्किट चिप (IC Chip) है जिसे माइक्रो प्रोसेसर भी कहा जाता है। किसी एक माइक्रो प्रोसेसर में करोड़ो इलेक्ट्रानिक उपकरण बने होते हैं। यह प्रोसेसर कम्प्यूटर के मदरबोर्ड पर लगाया जाता है।


            सीपीयू स्टोर्ड प्रोग्राम इंसट्रक्शन्स (Stored Program 2 Instrutions) के आधार पर काम करता है। प्रोसेसिंग से पहले डाटा व निर्देशों को सीपीयू में बने रजिस्टर में अस्थायी तौर पर स्टोर किया जाता है। सीपीयू रजिस्टर में स्थित निर्देशों के अनुसार ही डाटा प्रोसेसिंग के लिए अंकगणितीय तथा तार्किक कार्रवाईयां (Mathematical and Logical Operations) करता है। डाटा प्रोसेसिंग के सभी कार्य सीपीयू द्वारा ही संपन्न किये जाते हैं।

(i)      विभिन्न प्रक्रियाओं के क्रम निर्धारित करना।
(ii)     कम्प्यूटर के विभिन्न उपकरणों को नियंत्रित व निर्देशित करना।
(iii)    कम्प्यूटर हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर के बीच समन्वय स्थापित करना।
(iv) इनपुट डाटा को निर्देशानुसार प्रोसेस करना। सीपीयू को हार्डवेयर की दृष्टि से तीन मुख्य भागों में बांटा जा सकता है-
(1) कंट्रोल यूनिट
(ii) अरिथमैटिक लॉजिक यूनिट
(iii) मेमोरी रजिस्टर

कंट्रोल यूनिट (Control Unit) : सीपीयू का कंट्रोल यूनिट कम्प्यूटर के सभी कार्यों पर नियंत्रण रखता है तथा साफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच समन्वय स्थापित करता है। कंट्रोल यूनिट में सीपीयू द्वारा संपन्न की जा सकने वाले कार्यों की सूची होती है, जिसे Instruction Set कहते हैं। कंट्रोल यूनिट को कम्प्यूटर का नाड़ी तंत्र (Nerve System) कहा जाता है।
कंट्रोल यूनिट के मुख्य कार्य हैं-
(i) इनपुट और आउटपुट डिवाइस तथा अन्य हार्डवेयर को नियंत्रित करना।
(ii) अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट के कार्यों को नियंत्रित करना।
(iii) मुख्य मेमोरी से डाटा लाना तथा उन्हें तत्कालिक रूप से स्टोर करना।
(iv) निर्देशों को पढ़ना और उन्हें कार्यान्वित करने के आदेश देना ।
(v) हार्डवेयर और साफ्टवेयर के बीच समन्वय स्थापित करना । 

अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU-Arithmatic Logic Unit) : अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट सीपीयू का एक भाग है। डाटा प्रोसेसिंग का वास्तविक काम ALU द्वारा ही किया जाता है। यह डाटा पर कंट्रोल यूनिट से प्राप्त निर्देशों के अनुसार सभी प्रकार की गणितीय (Mathematical) तथा तार्किक (Logical) कार्रवाईयां करता है1

6.3.2. अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU-ArithmaticLogic Unit) : अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट सीपीयू का एक भाग है। डाटा प्रोसेसिंग का वास्तविक काम ALU द्वारा ही किया जाता है। यह डाटा पर कंट्रोल यूनिट से प्राप्त निर्देशों के अनुसार सभी प्रकार की गणितीय (Mathematical) तथा तार्किक (Logical) कार्रवाईयां करता है।

जानने योग्‍य तथ्‍य

इंटेल (Intel) तथा एएमडी (AMD-Advanced Micro Divices) दो प्रमुख माइक्रोप्रोसेसर निर्माता कंपनियां हैं।
इनके द्वारा निर्मित प्रमुख माइक्रो प्रोसेसर या सीपीयू चिप हैं-
-इंटेल पेंटियम (Intel Pentium)
-इंटेल सेलेरॉन (Intel Celeron)
-इंटेल जियोन (Intel Xeon)
-इंटेल कोर 2 डुओ (Intel Core 2 Duo)
-इंटेल ऐटम (Intel Atom)
-एएमडी एथलॉन (AMD Athlon)
-एएमडी ड्यूरॉन (AMD Duron)

ALU को पुनः दो भागों-AU (Arithmatic Unit) तथा LU (Logical Unit) में बांटा जाता है। AU डाटा पर मूलभूत अंकगणितीय गणनाएं जैसे-जोड़, घटाव, गुणा, भाग आदि संपन्न
करता है। दूसरी तरफ, LU डाटा पर तार्किक कार्य (Logical Operations) जैसे—बड़ा है, छोटा है, बराबर है (Greater than, Less than, Equal to) आदि संपन्न करता है। इस प्रकार, अरिथमेटिक एंड लॉजिक यूनिट डाटा पर अंकगणितीय गणनाएं तथा तुलना का काम करता है।

7. बायोस (BIOS-Basic Input Output System) BIOS एक साफ्टवेयर प्रोग्राम है। इसे मदरबोर्ड निर्माता कंपनी द्वारा स्थायी ROM मेमोरी चिप में स्टोर कर कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर स्थापित कर दिया जाता है।
            जब कम्प्यूटर ऑन किया जाता है तो सबसे पहले BIOS साफ्टवेयर चलता है। BIOS कम्प्यूटर से जुड़े हार्डवेयर की जांच करता है जिसे Power on Self Test (POST) कहा जाता है। BIOS में स्थित बूट स्ट्रैप लोडर (Boot Strap Loader) प्रोग्राम ऑपरेटिंग सिस्टम साफ्टवेयर की जांच कर इसे मुख्य मेमोरी में डालने का आदेश देता है। कम्प्यूटर ऑन होते समय डिलीट बटन (DEL Key) दबाने पर BIOS सेटअप खुलता है जहां हम दिये गये विकल्पों के अनुसार BIOS में परिवर्तन कर सकते हैं।
8. आउटपुट डिवाइस (Output Device) आउटपुट डिवाइस कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेसिंग के पश्चात प्राप्त अंतरिम तथा अंतिम परिणामों को उपयोगकर्ता तक पहुंचाने के लिए प्रयुक्त एक युक्ति है। यह कम्प्यूटर को उपयोगकर्ता के साथ जोड़ता है तथा प्रोसेसर द्वारा प्राप्त परिणामों को उपयोगकर्ता के समझने योग्य स्वरूप में प्रदर्शित करता है। चूंकि प्रोसेसर से प्राप्त परिणाम बाइनरी संकेतों (0 या 1) में होते हैं, अतः इन्हें आउटपुट इंटरफेस (Out-put Interface) द्वारा सामान्य संकेतों में परिवर्तित किया जाता है।
 

    आउटपुट डिवाइस के कार्य हैं-

(i) सीपीयू से परिणाम प्राप्त करना
(ii) प्राप्त परिणामों को मानव द्वारा समझे जा सकने वाले संकेतों में बदलना
(iii) परिणाम के परिवर्तित संकेतों को उपयोगकर्ता तक पहुंचाना।
                    आउटपुट डिवाइस के कुछ उदाहरण हैं—मॉनीटर, प्रिंटर, प्लॉटर, स्पीकर, स्क्रीन इमेज प्रोजेक्टर, कार्ड रीडर आदि।
9. सीपीयू की गति को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting speed of CPU) : सीपीयू या माइक्रोप्रोसेसर की कार्यक्षमता को एक सेकेण्ड में संपादित किए जा सकने वाले अनुदेशों की संख्या के आधार पर मापा जाता है। चूंकि सीपीयू एक सेकेण्ड में लाखों अनुदेश संपादित करता है, अतः इसकी गति को MIPS (Million Instructions Per Second) या BIPS (Billion Instructions per Second) में मापा जाता है।
सीपीयू की गति को प्रभावित करने वाले कारक हैं-
(i) कम्प्यूटर घड़ी (System Clock) : सीपीयू के डाटा प्रोसेस करने की गति कम्प्यूटर के अंदर बने इलेक्ट्रानिक घड़ी पर निर्भर करती है जिसे सिस्टम क्लॉक (System Clock) कहा जाता है।

                    डाटा प्रोसेसिंग के कार्य को अनेक छोटे-छोटे व मूलभूत चरणों (Steps) में बांटा जाता है। एक चरण का कार्य समाप्त हो जाने के बाद दूसरा चरण आरंभ करने के लिए रजिस्टर क्लॉक पल्स (Clock Pulse) का इंतजार करते हैं। क्लॉक पल्स System Clock द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं। स्पष्टतः, System Clock जितनी जल्दी-जल्दी क्लॉक पल्स उत्पन्न करेगा, सीपीयू के डाटा प्रोसेस की गति उतनी ही तीव्र होगी। अन्य मानदंड समान होने पर 200MHz का क्लॉक 100 MHz के क्लॉक की अपेक्षा दुगुनी गति से काम करेगा।
                    सिस्टम क्लॉक की गति को एक सेकेण्ड में उत्पन्न क्लॉक पल्स की संख्या के आधार पर मापा जाता है। एक सेकेण्ड में उत्पन्न पल्स की संख्या को हर्टज (Hertz-Hz) कहते हैं। सिस्टम क्लॉक की गति को सामान्यतः मेगा हर्टज (MHz-10 pulse per Second) या गीगा हर्टज (GHz-10° pulse per Second) में निरूपित किया जाता है। आजकल उपलब्ध कम्प्यूटरों में सिस्टम क्लॉक की गति 500 MHz से 4GHz तक हो सकती है।
 

(ii) रजिस्टर मेमोरी (Register Memory) : रजिस्टर सीपीयू के अंदर बने होते हैं तथा सीपीयू की कार्यकारी मेमोरी (Working Memory) कहलाते हैं। सीपीयू रजिस्टर में स्थित डाटा को ही प्रोसेस कर सकता है। सीपीयू में रजिस्टर की संख्या तथा आकार जितना अधिक होगा, सीपीयू के प्रोसेसिंग की गति भी उतनी ही तीव्र होगी।

(ii) शब्द परास (Word Length) : शब्द परास बाइनरी अंकों (बिट-bit) की वह संख्या है जो कम्प्यूटर एक बार में प्रोसेसिंग के लिए लेता है। शब्द परास अधिक होने से कम्प्यूटर गति बढ़ जाती है। शब्द परास की लम्बाई 8, 16, 32 या 64 बिट तक हो सकती है। 64 बिट शब्द परास का अर्थ है कि सीपीयू एक साथ 64 बिट डाटा प्रोसेस कर सकता है।
 

(iv) कैश मेमोरी (Cache Memory) : कैश मेमोरी सीपीयू से सीधे जुड़ा होता है, अतः इसके डाटा स्थानान्तरण की गति तीव्र से होती है। स्पष्टतः, कैश मेमोरी का आकार बड़ा होने पर सीपीयू की गति भी तीव्र होगी।


(v) सिस्टम बस (System Bus) : कम्प्यूटर में बने सिस्टम बस की चौड़ाई (Width) सीपीयू के गति को प्रभावित करती है। यदि सिस्टम बस की चौड़ाई 32 बिट है, तो इसका अर्थ है कि कम्प्यूटर बस में 32 तार हैं। तात्पर्य यह कि प्रोसेसर एक साथ 32 बिट डाटा का आदान-प्रदान कर सकता है।
 

(vi) समानान्तर गणना (Parallel Operation) : एक साथ कई निर्देशों के क्रियान्वयन से सीपीयू की क्षमता का बेहतर उपयोग होता है जिससे कम्प्यूटर की गति बढ़ती है। ड्यूएल कोर (Duel Core) या मल्टी कोर (Multi Core) प्रोसेसर में एक साथ दो या अधिक प्रोसेसर एक ही चिप पर बनाये जाते हैं। इसमें पैरालेल प्रोसेसिंग का प्रयोग होता है जिसके कारण सीपीयू की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
 

(vii) सीपीयू और अन्य उपकरणों के बीच समन्वय (Integration between CPU and Peripherals) : सामान्यतः सीपीयू तीव्र गणना करता है। अतः अन्य उपकरणों के धीमा होने से कम्प्यूटर की गति प्रभावित होती है।
10. कम्प्यूटर सिस्टम के कार्यक्षमता की माप (Measuring the performance of a Computer System) थूपुट (Throughput) : प्रति इकाई समय में कम्प्यूटर द्वारा संपादित किए गए उपयोगी प्रोसेसिंग की संख्या ध्रुपुट कहलाती है। अधिक थूपुट बेहतर कार्यक्षमता को इंगित करता है पर यह प्रोसेस किए गए कार्य के प्रकार पर भी निर्भर करता है।
        रेस्पांस टाइम (Response Time) : मल्टी टास्किंग आपरेटिंग सिस्टम में कम्प्यूटर अपना थोड़ा-थोड़ा समय सभी कार्यों के प्रोसेसिंग के लिए देता है। कम्प्यूटर को प्रोसेसिंग के लिए कार्य दिए जाने तथा सीपीयू द्वारा उस कार्य को संपादित करने के लिए की गई पहली प्रतिक्रिया के बीच का समय रेस्पांस टाइम कहलाता है। बेहतर कार्यक्षमता के लिए रेस्पांस टाइम कम होना चाहिए। 

        टर्न अराउण्ड टाइम (Turn Around Time) : कम्प्यूटर को प्रोसेसिंग के लिए कार्य दिए जाने तथा कम्प्यूटर द्वारा उसे पूरा कर अंतिम परिणाम देने के बीच का समय टर्न अराउण्ड टाइम कहलाता है। बेहतर कार्यक्षमता के लिए टर्न अराउण्ड टाइम कम होना चाहिए ा

 





नोटबुक कम्प्यूटर या लैपटॉप (Notebook Computer or Laptop)

 

नोटबुक कम्प्यूटर या लैपटॉप (Notebook Computer or Laptop): यह नोटबुक के आकार का ऐसा कम्प्यूटर है जिसे ब्रीफकेस में रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसमें पर्सनल कम्प्यूटर की सभी विशेषताएं मौजूद रहती हैं। चूंकि इसका उपयोग गोद (Lap) पर रखकर किया जाता है, अतः इसे लैपटॉप कम्प्यूटर (Laptop Computer) भी कहते हैं


 


 

 चित्र : नोटबुक कम्प्यूटर या लैपटॉप
 
लैपटॉप का विकास एडम आसबर्न (Adam Osborne) : द्वारा 1981 में किया गया था। इसमें एक मुड़ने योग्य एलसीडी (LCD) मॉनीटर, की-बोर्ड, टच पैड (Touch Pad), हार्डडिस्क, फ्लापी डिस्क ड्राइव, सीडी/डीवीडी ड्राइव और अन्य पोर्ट (Port) रहते हैं। विद्युत के बगैर कार्य कर सकने के लिए इसमें चार्ज की जाने वाली बैटरी (Chargeable Battery) का प्रयोग किया जाता है। सामान्यतः, लैपटॉप र में लीथियम आयन बैटरी (Lithium Ion Battery) का प्रयोग किया जाता है। वाई-फाई (WiFi) और ब्लूटूथ (Bluetooth) की सहायता से इसे इंटरनेट द्वारा भी जोड़ा जा सकता है
 
नेटबुक (Netbook) :  यह नोटबुक या लैपटॉप कम्प्यूटर का लघु संस्करण है जिसे गतिमान अवस्था में वायरलेस नेटवर्क द्वारा इंटरनेट का उपयोग करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया जाता है। नेटबुक का आकार व वजन लैपटॉप कम्प्यूटर से छोटा होता है तथा प्रोसेसिंग और स्टोरेज क्षमता भी कम होती है।
            Netbook शब्द की उत्पत्ति Internet तथा Notebook शब्द के मिलने से हुआ है।नेटबुक द्वारा इंटरनेट से जुड़ने, वर्ल्ड वाइड वेब (www) पर सर्किंग करने, ई-मेल भेजने तथा प्राप्त करने, सोशल मीडिया का प्रयोग करने, वीडियो तथा आडियो फाइल अपलोड या डाउनलोड करने आदि का काम आसानी से किया जा सकता है।

टैबलेट कम्प्यूटर (Tablet Computer) : टैबलेट एक छोटा कम्प्यूटर है जिसमें की-बोर्ड या माउस का प्रयोग नहीं होता। इसमें इनपुट के लिए स्टाइलस (Stylus), पेन या टच स्क्रीन (Touch Screen) तकनीक का प्रयोग होता है। टैबलेट में डाटा डालने के लिए Virtual या On Screen key board का प्रयोग किया जाता है। इसे वायरलेस नेटवर्क द्वारा इंटरनेट से भी जोड़ा जा सकता है। इसका प्रयोग स्मार्टफोन की तरह भी किया जा सकता है। चूंकि टैबलेट कम्प्यूटर का प्रयोग हाथ में रखकर किया जाता है, अतः इसे Hand held computer भी कहा जाता है। Apple कंपनी का आईपैड (i Pad) टैबलेट कम्प्यूटर का एक उदाहरण है।

 
चित्र : टैबलेट कम्प्यूटर
 
पॉमटाप (Palmtop) : यह बहुत ही छोटा कम्प्यूटर है जिसे हाथ में रखकर कार्य किया जा सकता है। इसे मिनी लैपटॉप भी कहा जा सकता है। की-बोर्ड की जगह इसमें आवाज द्वारा इनुपट का कार्य लिया जाता है। पीडीए (PDA-Personal Digital Assistant) भी एक छोटा कम्प्यूटर है जिसे नेटवर्क से जोड़कर अनेक कार्य किये जा सकते हैं। इसे फोन की तरह भी व्यवहार किया जा सकता है।

चित्र : पॉमटॉप
 
स्मार्टफोन (Smartphone) : स्मार्टफोन एक मोबाइल फोन है जिसमें कम्प्यूटर की लगभग सभी विशेषताएं मौजूद रहती हैं। इसमें डाटा इनपुट के लिए टच स्क्रीन तकनीक का प्रयोग किया जाता है। टैबलेट या पीडीए एक कम्प्यूटर है जिसका प्रयोग वैकल्पिक फोन की तरह भी किया जा सकता है। दूसरी तरफ, स्मार्टफोन मुख्यतः एक फोन है जिसका प्रयोग कम्प्यूटर प्रोसेसिंग के कुछ कार्यों तथा इंटरनेट का प्रयोग करने के लिए किया जा सकता है। स्मार्टफोन का उपयोग एक हाथ से किया जा सकता है जबकि टैबलेट या पीडीए को दोनों हाथों से चलाना पड़ता है। स्मार्टफोन, टैबलेट तथा पीडीए हैंड हेल्ड डिवाइस (Hand Held Devices) कहलाता है 
 
 
लैपटॉप, नोटबुक, नेटबुक, टैबलेट तथा पीडीए में अंतर
(Difference between Laptop, Notebook, Netbook,
Tablet and PDA)

                कम्प्यूटर तकनीक में हो रहे विकास और उपकरणों के आकार में आयी कमी ने इन उपकरणों के बीच के अंतर को कम किया है। इन उपकरणों के बीच एक रेखा खींच पाना अत्यंत कठिन हो गया है। लैपटॉप डेस्कटॉप कम्प्यूटर का मोबाइल संस्करण है। इसमें की-बोर्ड, माउस तथा स्पीकर उपकरण के साथ ही बना होता है। इसमें डेस्कटॉप कम्प्यूटर की सभी विशेषताएं रहती हैं, हालांकि प्रोसेसिंग तथा स्टोरेज क्षमता अपेक्षाकृत कम होती है। 
 
                नोटबुक लैपटॉप कम्प्यूटर का लघु संस्करण है। इसका वजन अपेक्षाकृत कम होता है तथा इसे साथ में लेकर घूमना आसान होता है। इसके मानीटर स्क्रीन का आकार 12 से 15 इंच तक हो सकता है। 
            नेटबुक कम्प्यूटर को मुख्यतः गतिमान अवस्था में इंटरनेट तथा उससे जुड़ी सुविधाओं का इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया जाता है। इसमें प्रोसेसिंग तथा स्टोरेज क्षमता की अपेक्षा नेटवर्क स्पीड
पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। इसके मानीटर स्क्रीन का आकार 10 से 14 इंच तक हो सकता है। नेटबुक में सामान्यतः आप्टिकल डिस्क ड्राइव नहीं होता है ।
                टैबलेट कम्प्यूटर में की-बोर्ड तथा माउस का प्रयोग नहीं होता। डाटा तथा निर्देश डालने के लिए स्टाइलस या टच स्क्रीन तथा वर्चुअल की-बोर्ड का प्रयोग किया जाता है। लैपटॉप, नोटबुक तथा नेटबुक का प्रयोग गोद में रखकर किया जाता है जबकि टैबलेट कम्प्यूटर तथा स्मार्टफोन का प्रयोग हाथ में पकड़कर किया जाता है।
 
सुपर कम्प्यूटर (Super Computer)
                अत्यधिक तीव्र प्रोसेसिंग शक्ति और विशाल भंडारण क्षमता (मेमोरी) वाले कम्प्यूटर सुपर कम्प्यूटर कहलाते हैं। सुपर कम्प्यूटर का निर्माण उच्च क्षमता वाले हजारों प्रोसेसर को एक साथ समानान्तर क्रम में जोड़कर किया जाता है। इसमें मल्टी प्रोसेसिंग (Multiprocessing) और समानान्तर प्रोसेसिंग (Parallel processing) का उपयोग किया जाता है। समानान्तर प्रोसेसिंग में किसी कार्य को अलग-अलग टुकड़ों में तोड़कर उसे अलग-अलग प्रोसेसर द्वारा संपन्न कराया जाता है। सुपर कम्प्यूटर पर अनेक उपयोगकर्ता एक साथ काम कर सकते हैं, अतः इन्हें मल्टी यूजर (Multi User) कम्प्यूटर कहा जाता है।
            सुपर कम्प्यूटर के प्रोसेसिंग स्पीड की गणना FLOPS (Floating Point Operations Per Second) में की जाती है। यहां फ्लोटिंग प्वाइंट का तात्पर्य कम्प्यूटर द्वारा संपन्न किये गये किसी भी कार्य से है जिसमें भिन्न संख्याएं (Fractional numbers) भी शामिल हो। वर्तमान सुपर कम्प्यूटर की गति पेटा फ्लाप्स (Peta Flops) में मापी जा रही है। (1 Peta Flops = 1015 Flops). 
 
            विश्व के प्रथम सुपर कम्प्यूटर के निर्माण का श्रेय अमेरिका के क्रे रिसर्च कम्पनी (Cray Research Company) को जाता है जिसकी स्थापना Seymour Cray ने की थी। सुपर कम्प्यूटर के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान के लिए Seymour Cray को सुपर कम्प्यूटर का जन्मदाता (Father of Super Computer) कहा जाता है।

चित्र : सुपर कम्‍प्‍यूटर प्रारूप
 
 
उपयोग : सुपर कम्प्यूटर का उपयोग अनेक क्षेत्रों में किया जा है। जैसे-वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में अनुसंधान और डिजाइन के लिए; पेट्रोलियम उद्योग में तेल के भंडारों का पता लगाने के लिए; वायुयान और आटोमोबाइल उद्योग में डिजाइन तैयार करने में; अंतरिक्ष अनुसंधान में; मौसम विज्ञान में मौसम का पूर्वानुमान लगाने में; रक्षा क्षेत्र में; कम्प्यूटर पर परमाणु भट्ठियों के
सबक्रिटिकल परीक्षण करने में, आदि।
 
भारत में सुपर कम्प्यूटर (Super Computer in India) : भारत में 'परम' सीरीज के सुपर कम्प्यूटर का निर्माण सी-डैक (C-DAC-Centre for Development of Advanced Computing), पुणे द्वारा किया गया है। ‘परम-8000' सी-डैक द्वारा विकसित पहला सुपर कम्प्यूटर था जिसका निर्माण 1991 में किया गया था। इसके निर्माण का श्रेय सी-डैक के निदेशक डॉ. विजय भास्कर को जाता है। ‘परम पद्म' सुपर कम्प्यूटर का निर्माण 2003 में किया गया जिसकी गणना क्षमता 1 टेरा फ्लाप्स (1 Tera = 1012) यानि 1 खरब गणना प्रति सेकेण्ड थी। ‘परम युवा-II' सुपर कम्प्यूटर का निर्माण 2013 में किया गया जो सी-डैक द्वारा विकसित सबसे तेज सुपर कम्प्यूटर है। इसकी गणना क्षमता 500 टेरा फ्लाप्स (T Flops) है। इस तरह के सुपर कम्प्यूटर विश्व के कुल पांच देशों-अमेरिका, जापान, चीन, इजराइल और भारत के पास ही उपलब्ध है। 'अनुपम' सीरीज के सुपर कम्प्यूटर का विकास बार्क (BARC-Bhabha Atomic Research Centre) मुम्बई द्वारा किया गया है। TH (PACE-Processor for Aerodynamic Computation and Evaluation) सीरीज के सुपर कम्प्यूटर का निर्माण अनुराग (ANURAG-Advanced Numerical Research and Analysis Group) हैदराबाद द्वारा डीआरडीओ (DRDO-Defence Research and Development Organization) के लिए किया गया। भारत के प्रथम सुपर कम्प्यूटर 'फ्लोसाल्वर' (Flosalver) का विकास नाल (NAL-National Aeronautical Lab), बंगलुरू द्वारा 1980 में किया गया था।

मजेदार तथ्‍य
आईबीएम (IBM) के डीप ब्लू (Deep Blue) कम्प्यूटर ने शतरंज के विश्व चैंपियन गैरी कास्परोव को पराजित किया था। यह १ सेकेण्ड में शतरंज की २० करोड़ चालें सोच सकता है।

 
 

बुधवार, 2 फ़रवरी 2022

नये पीढी के कम्‍प्‍यूटर (Next Generation Computer)

 

 अगली पीढ़ी के कम्प्यूटर (Next Generation Computer)

नैनो कम्प्यूटर (Nano Computer) : नैनो ट्यूब्स जिनका व्यास 1 नैनो मीटर (1x10-3 मी.) तक हो सकता है, के प्रयोग से अत्यंत छोटे व विशाल क्षमता वाले कम्प्यूटर के विकास की परिकल्पना की गई है। नैनो टेक्नोलॉजी में पदार्थ की आण्विक संरचना (Atomic Structure) का उपयोग किया जाता है।
 

क्वांटम कम्प्यूटर (Quantum Computer) : विद्युतीय किरणों में ऊर्जा इलेक्ट्रान की उपस्थिति के कारण होती है। ये इलेक्ट्रान अपने कक्ष में तेजी से भ्रमण करते हैं। इस कारण इन्हें एक साथ 1 और 0 की स्थिति में गिना जा सकता है। इस क्षमता का इस्तेमाल कर मानव मस्तिष्क से भी तेज कार्य करने वाले कम्प्यूटर के विकास का प्रयास चल रहा है।


इस प्रकार के कम्प्यूटर में पदार्थ के क्वांटम सिद्धांत का उपयोग किया जाता है। सामान्य कम्प्यूटर में मेमोरी को बिट में मापा जाता है जबकि क्वांटम कम्प्यूटर में इसे क्यूबिट (Qubit - Quantum Bit) में मापा जाता  है।

डीएनए कम्प्यूटर (DNA Computer) : इसमें जैविक पदार्थ, जैसे DNA या प्रोटीन (Protein) का प्रयोग कर डाटा को संरक्षित व प्रोसेस किया जा सकता है। इसे Bio Computer भी कहा जाता है।
 

केमिकल कम्प्यूटर (Chemical Computer) : इसमें गणना के लिए पदार्थ के रासायनिक गुणों व सांद्रता (Concentration) का उपयोग किया जा सकता है।
 

कार्य पद्धति के आधार पर वर्गीकरण 

(Classification on Working Technology)

तकनीक के आधार पर कम्प्यूटर को तीन प्रकार में बांटा जाता हैा
(i) एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer) : समय के साथ लगातार परिवर्तित होने वाली भौतिक राशियों को एनालॉग राशि कहते हैं। जैसे—तापक्रम, दबाव, विद्युत वोल्टेज आदि। एनालॉग कम्प्यूटर में डाटा का निरूपण लगातार परिवर्तित होने वाली राशि के रूप में होता है। एनालॉग कम्प्यूटर की गति अत्यंत धीमी होती है। इस प्रकार के कम्प्यूटर अब प्रचलन से बाहर हो गये हैं। एक साधारण घड़ी, वाहन का गति मीटर (Speedo meter), वोल्टमीटर आदि एनालॉग कम्प्यूटिंग के उदाहरण हैं।
 

(ii) डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer) : ये इलेक्ट्रानिक संकेतों पर चलते हैं तथा गणना के लिए द्विआधारी अंक पद्धति (Binary System- 0 या 1) का प्रयोग किया जाता है। डिजिटल कम्प्यूटर में डाटा का निरूपण बाइनरी रूप (0 या 1) में किया जाता है। इनकी गति तीव्र होती है। वर्तमान में प्रचलित अधिकांश कम्प्यूटर इसी प्रकार के हैं। इसमें आंकड़ों को इलेक्ट्रॉनिक पल्स के रूप में निरूपित किया जाता है।
 

(ii) हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer) : यह डिजिटल व एनालॉग कम्प्यूटर का मिश्रित रूप है। इसमें गणना तथा प्रोसेसिंग के लिए डिजिटल रूप का प्रयोग किया जाता है, जबकि इनपुट तथा आउटपुट में एनालॉग संकेतों का उपयोग होता है। इस तरह के कम्प्यूटर का प्रयोग अस्पताल, रक्षा क्षेत्र व विज्ञान आदि में किया जाता है।

 

आकार और कार्य के आधार पर वर्गीकरण
(Classification Based on Size & Work)

आकार और कार्य के आधार पर कम्प्यूटर को मेनफ्रेम; मिनी; माइक्रो कम्प्यूटर तथा सुपर कम्प्यूटर में बांटा जाता है। पर्सनल कम्प्यूटर, नोटबुक, नेटबुक, टैबलेट, लैपटॉप, वर्कस्टेशन तथा पामटॉप आदि माइक्रो कम्प्यूटर के ही विभिन्न रूप हैं।

4.1. मेन फ्रेम कम्प्यूटर (Main Frame Computer)
मेन फ्रेम कम्प्यूटर में मुख्य कम्प्यूटर एक केंद्रीय स्थान पर रखा जाता है जो सभी डाटा और अनुदेशों को स्टोर करता है। उपयोगकर्ता Dumb Terminal के माध्यम से मेन फ्रेम कम्प्यूटर से जुड़ता है तथा केंद्रीय डाटाबेस और प्रोसेसिंग क्षमता का उपयोग करता है। मेन फ्रेम कम्प्यूटर आकार में काफी बड़े होते हैं। इनकी डाटा स्टोरेज क्षमता अधिक होती है तथा डाटा प्रोसेस करने की गति तीव्र होती है। मेनफ्रेम कम्प्यूटर से जुड़कर एक साथ कई लोग अलग-अलग कार्य कर सकते हैं। अतः इसे मल्टी यूजर (Multi User) कम्प्यूटर कहा जाता है। इसमें ऑनलाइन (Online) रहकर बड़ी मात्रा में डाटा प्रोसेसिंग किया जा सकता है। मेनफ्रेम कम्प्यूटर में दो या अधिक माइक्रोप्रोसेसर को एक साथ जोड़कर प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ायी जाती है। इनमें सामान्यतः 32 या 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है। मेनफ्रेम कम्प्यूटर में टाइम शेयिरंग (Time Sharing) तथा मल्टी प्रोग्रामिंग (Multi Programming) आपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। 

            उपयोग : मेन फ्रेम कम्यूटर का उपयोग बड़ी कंपनियों, बैंक, रेलवे आरक्षण, रक्षा, अनुसंधान, अंतरिक्ष विज्ञान आदि के क्षेत्र में किया जाता हैा


 

::: मेन फ्रेम कम्यूटर :::                     

 मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) ये आकार में मेनफ्रेम कम्प्यूटर से छोटे जबकि माइक्रो कम्प्यूटर से बड़े होते हैं। इसका आविष्कार 1965 में डीइसी (DEC-Digital Equipment Corporation) नामक कम्पनी ने किया। इसमें एक से अधिक माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है। इसकी संग्रहण क्षमता और गति अधिक होती है। इस पर कई व्यक्ति एक साथ काम कर सकते हैं, अतः संसाधनों का साझा उपयोग होता है।

उपयोग : यात्री आरक्षण, बड़े ऑफिस, कम्पनी, अनुसंधान आदि में


इम्बेडेड कम्प्यूटर (Embedded Computer): किसी उपकरण जैसे टेलीविजन, वाशिंग मशीन, माइक्रोवेव, कार आदि से जुड़ा छोटा कम्प्यूटर जिसे किसी विशेष कार्य के लिए तैयार किया जाता है, इम्बेडेड कम्प्यूटर कहलाता है। इम्बेडेड कम्प्यूटर । एक माइक्रो प्रोसेसर या इंटिग्रेटेड चिप के रूप में होता है जो उस उपकरण के कार्य को सरल बनाता है।
 

माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer) : T इसका विकास 1970 से प्रारंभ हुआ जब सीपीयू (CPU-Central Processing Unit) में माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग किया जाने लगा। इसका विकास सर्वप्रथम आईबीएम कम्पनी ने किया। इसमें 8,16,32 या 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया
जाता है।

            वीएलएसआई (VLSI-Very Lagre Scale Integration) और यूएलएसआई (ULSI-Ultra Large Scale Integration) से माइक्रो प्रोसेसर के आकार में कमी आई है जबकि क्षमता कई गुना बढ़ गयी है। मल्टीमीडिया और इंटरनेट के विकास ने माइक्रो कम्प्यूटर की उपयोगिता को हर क्षेत्र में पहुंचा दिया है। कई माइक्रो कम्प्यूटर को संचार माध्यमों द्वारा आपस में जोड़कर कम्प्यूटर नेटवर्क बनाया जा सकता है। डेस्कटॉप कम्प्यूटर, पर्सनल कम्प्यूटर, लैपटॉप कम्प्यूटर, नोटबुक कम्प्यूटर, नेटबुक कम्प्यूटर, टैबलेट तथा स्मार्टफोन माइक्रो कम्प्यूटर के ही विभिन्न रूप हैं।

उपयोग : घर, आफिस, विद्यालय, व्यापार, उत्पादन, रक्षा, मनोरंजन, चिकित्सा आदि अनगिनत क्षेत्रों में इसका उपयोग हो रहा है।
 

पर्सनल कम्प्यूटर (Personal Computer-PC) : इसे डेस्कटॉप कम्प्यूटर (Desktop Computer) भी कहा जाता है। आजकल प्रयुक्त होने वाले पीसी (PC - Personal Computer) वास्तव में माइक्रो कम्प्यूटर ही हैं। इसमें की-बोर्ड, मानीटर तथा सिस्टम यूनिट होते हैं। सिस्टम यूनिट में सीपीयू (CPU-Central Processing Unit), मेमोरी तथा अन्य हार्डवेयर होते हैं। यह छोटे आकार का सामान्य कार्यों के लिए बनाया गया कम्प्यूटर है। इस पर एक बार में एक ही व्यक्ति (Single User) कार्य कर सकता है। इसी कारण, इसे पर्सनल कम्प्यूटर कहा जाता है। इसका आपरेटिंग सिस्टम एक साथ कई कार्य करने की क्षमता वाला (Multitasking) होता है। पीसी को टेलीफोन और मॉडेम (Modem) की सहायता से आपस में या इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है। कुछ प्रमुख पीसी निर्माता कम्पनी हैं—आईबीएम (IBM), लेनोवो (Lenovo), एप्पल (Apple), काम्पैक (Compaq), जेनिथ (Zenith), एचसीएल (HCL), एचपी (HP-HewlettPackard) । 

उपयोग : पीसी का विस्तृत उपयोग घर, ऑफिस, व्यापार, शिक्षा, मनोरंजन, डाटा संग्रहण, प्रकाशन आदि अनेक क्षेत्रों में किया जा रहा है।
 

पीसी का विकास 1981 में हुआ जिसमें माइक्रो प्रोसेसर 8088 का प्रयोग किया गया। इसमें हार्ड डिस्क ड्राइव लगाकर उसकी क्षमता बढ़ायी गयी तथा इसे पीसी-एक्स टी (PC-XT Personal Computer-Extended Technology) नाम दिया गया। 1984 में नये माइक्रो प्रोसेसर-80286 से बने पीसी को पीसी-एटी (PC-AT - Personal Computer-Advanced Technology) नाम दिया गया। वर्तमान पीढ़ी के सभी पर्सनल कम्प्यूटर को पीसी-एटी ही कहा जाता है। 


 

पर्सनल कम्प्यूटर

वर्क स्टेशन (Work Station) : यह एक शक्तिशाली पी. सी. है जो अधिक प्रोसेसिंग क्षमता,
विशाल भंडारण और बेहतर डिस्प्ले (Display) को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। इस पर एक बार में एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता है। उपयोग : वैज्ञानिक, इंजिनियरिंग, भवन निर्माण आदि क्षेत्रों में वास्तविक परिस्थितियों को उत्पन्न कर (Simulation) उनका अध्ययन करने के लिए




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