रविवार, 20 फ़रवरी 2022

क्या आप जानते हैं?

कम्प्यूटर यूनिट के साथ मिलकर की-बोर्ड तथा मॉनीटर वीडियो डिस्प्ले टर्मिनल (VDT-Video Display Terminal या मात्र टर्मिनल कहलाते हैं। टर्मिनल का अर्थ है- वह स्थान जहां संचार पथ का अंत (Terminate) हो जाता है।

 

क्या आप जानते हैं?

कर्सर (Cursor) कम्प्यूटर मानीटर के स्क्रीन पर प्रदर्शित होने वाली सीधी खड़ी रेखा (Vertical Line) है, जो स्क्रीन पर आती जाती (Blink) रहती है। की-बोर्ड द्वारा टाइप होने वाला अगला कैरेक्टर कर्सर के स्थान पर ही प्रदर्शित होता है। कर्सर को माउस द्वारा या की-बोर्ड पर स्थित कर्सर मूवमेंट बटन द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है।

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

Input and Output Devices, इनपुट और आउटपुट डिवाइस, input Devices, output devices

1. इनपुट/आउटपुट डिवाइस (Input/Output Device) :- 
               इनपुट/आउटपुट डिवाइस उपयोगकर्ता तथा कम्प्यूटर के बीच संपर्क स्थापित करने का माध्यम है। कम्प्यूटर केवल मशीनी भाषा (बाइनरी डिजिट-0 या 1 - ऑफ या ऑन) समझ सकता है जबकि कम्प्यूटर को दिए जाने वाले निर्देश तथा डाटा मानवीय भाषा (Human Language) में होता है। अतः कम्प्यूटर को इनपुट दिए जाने से पहले उसे मशीनी भाषा में बदलना जरूरी है। दूसरी तरफ, कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त परिणाम भी मशीनी भाषा में होता है जिसे उपयोगकर्ता तक पहुंचाने के लिए मानवीय भाषा में बदलना पड़ता है। यह कार्य इनपुट/आउटपुट डिवाइस द्वारा किया जाता है। उपयोगकर्ता कम्प्यूटर को डाटा तथा निर्देश इनपुट डिवाइस के जरिए देता है। इनपुट डिवाइस इसे मशीनी भाषा में परिवर्तित कर कम्प्यूटर को देता है। की-बोर्ड तथा माउस दो लोकप्रिय इनपुट डिवाइस हैं। डाटा प्रोसेस के बाद कम्प्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम आउटपुट डिवाइस के जरिए प्राप्त किया जाता है आउटपुट डिवाइस मशीनी भाषा में प्राप्त परिणामों को माननीय भाषा में बदलकर उपयोगकर्ता के लिए प्रस्तुत करता है मॉनिटर, प्रिंटर तथा स्पीकर कुछ प्रमुख और पूर्व डिवाइस है|  

2. इनपुट डिवाइस {Input Device} :- 
           यह एक विद्युत यांत्रिक युक्त {Electromechanical device} है जो डाटा और अन्य देशों को स्वीकार कर उन्हें बायनरी रूप में परिवर्तित कर कंप्यूटर के प्रयोग के लायक बनाता है इस प्रकार वे यंत्र जिनके द्वारा डाटा व आदेशों को कंप्यूटर में डाला जाता है इनपुट डिवाइस कहलाते हैं कंप्यूटर इनपुट डाटा टेक्स्ट (text), आवाज (Sound), चित्र (Image), चलचित्र (Video) या सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के रूप में हो सकता है|



कुछ प्रमुख इनपुट डिवाइस हैं-
1.  की-बोर्ड (Key Board)
2.  माउस (Mouse)
3.  ज्‍वॉस्टिक (Joystick)
4.  रकाशीय पेन (Light Pen)
5.  स्कैनर (Scanner)
6. बार कोड रीडर (Bar Code Reader)
7. माइकर (MICR-Magnetic Ink Character Recognition)
8. पंच कार्ड रीडर (Punch Card Reader)
9. ऑप्टिकल मार्क रीडर (Optical Mark Reader)
10. ऑप्टिकल कैरेक्टर रीडर (OCR-Optical Character Reader)
11. डिजिटल कैमरा (Digital Camera)
12. टच स्क्रीन (Touch Screen)
13. माइक (Mike)
14.  स्पीच रिकॉग्नीशन सिस्टम (Speech recognition system)
15.  आप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्नीशन (Optical Character Recognition)
16. इलेक्ट्रानिक कार्ड रीडर (Electronic Card Reader) ।
 
3.    की-बोर्ड (Key Board)
            की-बोर्ड एक प्रचलित इलेक्ट्रोमेकैनिकल इनपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग कम्प्यूटर में अल्फान्यूमेरिक डाटा डालने तथा कम्प्यूटर को निर्देश देने के लिए किया जाता है। की-बोर्ड पर टाइप किया जाने वाला डाटा कम्प्यूटर मानीटर के स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है। की- बोर्ड का प्रयोग माउस की तरह प्वाइंटिंग डिवाइस के रूप में भी किया जा सकता है।
            आजकल 104 बटनों वाले 'QWERTY' की-बोर्ड का प्रयोग प्रचलन में है। इसमें बटनों की व्यवस्था प्रचलित टाइपराइटर बटनों की तरह होती है जिसमें अंग्रजी के सभी अक्षरों को तीन पंक्तियों में व्यवस्थित किया गया होता है। इसे 'QWERTY' की-बोर्ड इसलिए कहा जाता है क्योंकि अक्षरों के सबसे ऊपर वाली पंक्ति के बायीं ओर के 6 बटन Q, W, E, R, T तथा Y के क्रम में होते हैं। कम्प्यूटर की- बोर्ड के कुछ बटन ऐसे भी होते हैं जिन्हें प्रयुक्त साफ्टवेयर के अनुसारकम्प्यूटर को निर्धारित निर्देश देने के लिए प्रयोग किया जाता है।
 
की-बोर्ड को पीएस-2 (Plug Station-2) पोर्ट द्वारा सीपीयू से जोड़ा जाता है। आजकल, की-बोर्ड को यूएसबी (USB) पोर्ट द्वारा भी कम्प्यूटर से जोड़ा जा रहा है। वायरलेस की-बोर्ड सिस्टम से भौतिक संपर्क बनाए बिना रेडियो तरंगों पर कार्य करता है तथा इसे ब्लूटूथ (Bluetooth) द्वारा कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है। कार्य और स्थिति के अनुसार की-बोर्ड को निम्नलिखित भागों में बांट सकते हैं-
(i) मुख्य की-बोर्ड (Main Key-Board) या टाइपराइटर बटन (Typewriter Key) : यह की-बोर्ड के बायें-मध्य भाग में अंग्रेजी टाइपराइटर के समान व्यवस्थित होता है। इसमें अंग्रेजी के सभी अक्षर (A से Z), अंक (0 से 9) तथा कुछ विशेष चिह्न रहते हैं। इसे अक्षर बटन (Alphabet Key) तथा संख्यात्मक बटन (Numeric Key) भी कहा जाता है। इनका प्रयोग कम्प्यूटर में अल्फान्यूमेरिक डाटा डालने के लिए तथा वर्ड प्रासेसिंग प्रोग्राम में किया जाता है। मुख्य की-बोर्ड में कुछ विराम चिह्न (Punctuation Keys) भी होते हैं।
 
(ii) फंक्शन बटन (Function Keys) : ये की-बोर्ड के सबसे ऊपर F1 से F12 तक अंकित बटन होते हैं। इनका कार्य प्रयोग किए जानेवाले साफ्टवेयर पर निर्भर करता है। वास्तव में ये एक पूरे आदेश के बराबर होते हैं जिनकी हमें बार-बार आवश्यकता पड़ती है। इससे समय की बचत होती है।
 
(ii) संख्यात्मक की-पैड (Numeric key-pad) : की- बोर्ड की दायीं ओर कैलकुलेटर के समान स्थित बटनों को संख्यात्मक की-पैड कहा जाता है। इनका प्रयोग संख्यात्मक डाटा को तीव्र गति से भरने के लिए किया जाता है। इनमें 0 से 9 तक, दशमलव (.), जोड़ (+), घटाव (-), गुणा (x) तथा भाग (/) के साथ न्यूमेरिकल लॉक (Num Lock) तथा इंटर (Enter) बटन होते हैं। ध्यान रहे कि 0 से 9 तक की संख्याओं के बटन मुख्य की-बोर्ड पर भी होते हैं तथा दोनों का समान परिणाम होता है। 

न्यूमेरिक की-पैड के कुछ बटन दो कार्य करते हैं। इन बटनों का प्रयोग की-बोर्ड द्वारा कर्सर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए माउस के विकल्प के रूप में भी किया जाता है। अतः इन्हें कर्सर कंट्रोल बटन (Curson Control Key) भी कहा जाता है इनका प्रयोग कम्‍प्‍यूटर गेम को नियंत्रित करने में भी किया जाता हैा
 
                    यदि Num Lock बटन ऑन है तो Numeric Key-Pad का प्रयोग संख्याओं को टाइप करने के लिए होता है। यदि Num Lock बटन ऑफ है तो इन बटनों का प्रयोग arrow key तथा End, Home, Page up, Page Down, Insert तथा Delete फंक्शन के लिए किया जाता है। Num Lock बटन ऑफ होने पर इनसे संख्याएं टाइप नहीं की जा सकतीं। किसी-किसी की-बोर्ड में Num Lock ऑन होने पर एक हरी बत्ती भी जलती है।
(iv) कर्सर मूवमेंट बटन (Cursor Movement Keys) : की-बोर्ड के दायें निचले भाग में तीर के निशान वाले चार बटन होते हैं जिनसे कर्सर को दाएं (,), बायें (6), ऊपर (क) तथा नीचे (1) ले जाया जा सकता है। इन्हें दायां, बायां, ऊपर तथा नीचे ऐरो बटन (Right, Left, Up and DownArrow Key) कहते हैं। इन्हें एक बार दबाने पर कर्सर एक स्थान बाएं या दाएं या एक लाइन ऊपर या नीचे हो जाता है। इसे Navigation Keys भी कहा जाता है। इसके ठीक ऊपर कर्सर कंट्रोल के लिए चार बटन और होते हैं जो इस प्रकार हैं-
→ होम (Home) कर्सर को लाइन के आरंभ में ले जाता है। | Home तथा Ctrl. बटन को एक साथ दबाने पर कर्सर वर्तमान पेज या डाक्यूमेंट के आरंभ में चला जाता है। किसी वेब पेज को देखने के दौरान Home बटन दबाने पर कर्सर उस वेब पेज के प्रारंभ में पहुंच जाता है। 
→ इंड (End) : कर्सर को लाइन या पेज के अंत में ले जाता है। End तथा Ctrl बटन को एक साथ दबाने पर कर्सर वर्तमान पेज या डाक्यूमेंट के अंत में चला जाता है। किसी वेब पेज को देखने के दौरान End बटन दबाने पर कर्सर उस बेब पेज के अंत में पहुंच जाता हैा
(v) मोडिफायर बटन (Modifier Keys) : कम्प्यूटर की-बोर्ड पर बना कोई बटन या बटनों का समूह जिसके प्रयोग से किसी अन्य बटन से होने वाले कार्य में परिवर्तन हो जाता है, मोडिफायर बटन कहलाता है। मोडिफायर बटन स्वयं कोई कार्य नहीं करता, परंतु दूसरे
बटनों के कार्यों में बदलाव करता है। मोडिफायर बटन का प्रयोग किसी अन्य बटन के साथ मिलकर किसी विशेष कार्य को संपादित करने के लिए किया जाता है। Shift, Alt (Alternate), Ctrl (Control) तथा Windows Key मोडिफायर बटन हैं। इनका प्रयोग कम्प्यूटर साफ्टवेयर के अनुसार बदलता रहता है। सुविधा के लिए की-बोर्ड पर Shift, Alt, Ctrl तथा Windows Key के दो-दो बटन बनाये जाते हैं जो मुख्य की-बोर्ड के दोनों छोरों पर स्थित होते हैं। क्या आप जानते हैं ? कम्प्यूटर यूनिट के साथ मिलकर की-बोर्ड तथा मॉनीटर वीडियो डिस्प्ले टर्मिनल (VDT-Video Display Terminal) या मात्र टर्मिनल कहलाते हैं। टर्मिनल का अर्थ है- वह स्थान जहां संचार पथ का अंत (Terminate) हो जाता है।

(vi) स्पेशल परपस बटन (Special Purpose Key) : कम्प्यूटर की-बोर्ड के कुछ बटन किसी खास उद्देश्य के लिए बनाएजाते हैं, जिन्हें स्पेशल परपस बटन कहा जाता है। कुछ स्पेशल परपस बटन और उनके कार्य इस प्रकार हैं-
(क)न्यूमेरिक लॉक बटन (Num Lock Key
) - इसका प्रयोग संख्यात्मक बटनों के साथ किया जाता है। Num Lock ऑन होने पर की-बोर्ड के ऊपर दायीं ओर एक हरी बत्ती जलती है तथा संख्यात्मक की-पैड के बटन के ऊपर लिखी संख्याएं टाइप करते हैं।Num Lock ऑफ होने पर ये बटन नीचे लिखे कार्य संपन्न करते हैं।
(ख) कैप्स लॉक बटन (Caps Lock Key) - इसका प्रयोग अंग्रेजी वर्णमाला को छोटे अक्षरों (Small Letters/Lower Case) या बड़े अक्षरों (Capital Letters/Upper Case) में लिखने के लिए किया जाता है। कैप्स लॉक बटन दबाने पर ऊपर दायीं ओर एक बत्ती जलती है तथा की-बोर्ड के संबंधित बटनों द्वारा वर्णमाला को बड़े अक्षरों में लिखा जाता है। कैप्स लॉक बटन दूसरी बार दबाने पर बत्ती बुझ जाती है तथा वर्णमाला के छोटे अक्षरों को टाइप किया जा सकता है।
(ग) शिफ्ट बटन (Shift Key) : इसे संयोजन बटन (Combination Key) भी कहते हैं क्योंकि इसका उपयोग किसी और बटन के साथ किया जाता है। किसी बटन पर दो चिह्न रहने पर शिफ्ट बटन के साथ उस बटन को दबाने पर ऊपर वाला चिह्न टाइप होता है। उस बटन को अकेले दबाने पर नीचे लिखा चिह्न आता है। अगर कैप्स लॉक बटन ऑन है, तो शिफ्ट बटन के साथ वर्णमाला के बटन दबाने पर छोटे अक्षर टाइप होते हैं। अगर कैप्स लॉक बटन ऑफ है तो शिफ्ट बटन के साथ वर्णमाला के बटन दबाने पर बड़े अक्षर टाइप होते हैं।
(घ) टैब बटन (Tab Key) - यह कर्सर को एक निश्चित दूरी, जो रूलर (Ruler) द्वारा तय की जा सकती है, तक कुदाते हुए ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है। किसी चार्ट, टेबल या एक्सेल प्रोग्राम में एक खाने से दूसरे खाने तक जाने के लिए भी टैब बटन का प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा डायलॉग बॉक्स में उपलब्ध विकल्पों में से किस एक का चयन भी किया जा सकता है।
पि
(ङ) रिटर्न (Return) या इन्टर (Enter) बटन - कम्प्यूटर को दिए गए निर्देशों को कार्यान्वित करने के लिए तथा स्क्रीन पर टाइप डाटा को कम्प्यूटर में भेजने के लिए इंटर बटन का प्रयोग किया जाता है। वर्ड प्रोसेसिंग प्रोग्राम में नया पैराग्राफ या लाइन आरंभ करने का कार्य भी इससे किया जाता है। कभी-कभी, की-बोर्ड में Enter बटन को पहचान के लिए एक विशेष आकार प्रदान किया जाता है।
(च) एस्केप बटन (ESC-Escape Key) - इस बटन का प्रयोग पिछले कार्य को समाप्त करने या चालू प्रोग्राम के बाहर जाने के लिए होता है।
(छ) बैक स्पेस बटन (Back Space Key) - इसके प्रयोग से कर्सर के ठीक बांयी ओर स्थित कैरेक्टर या स्पेस को एक-एक कर मिटाया जाता है। इसका प्रयोग टाइपिंग के समय गलतियाँ ठीक करने में किया जाता है।
(ज) डिलीट बटन (Del - Delete Key) - इसका प्रयोग कर्सर के ठीक दायीं ओर स्थित कैरेक्टर या स्पेस को एक-एक कर मिटाने में किया जाता है। इससे कर्सर के बाद के सभी डाटा एक स्थान बायीं ओर खिसक जाते हैं। इससे चयनित शब्द, लाइन, पैराग्राफ
, पेज या फाईल को एक साथ भी मिटाया जा सकता हैा
(झ) प्रिंट स्क्रीन बटन (Print Screen Key) - इससे स्क्रीन पर जो कुछ भी दिख रहा है, उसे प्रिंट किया जा सकता है है। प्रिंट स्क्रीन बटन कम्प्यूटर स्क्रीन का फोटो क्लिप बोर्ड में संग्रहित कर लेता है जिसे बाद में किसी अन्य प्रोग्राम में Paste या Edit किया जा सकता है
(N) स्क्रॉल लॉक बटन (Scroll Lock Key) - इस बटन को दबाने से कम्प्यूटर स्क्रीन पर आ रही सूचना एक स्थान पर रुक जाती है। सूचना को फिर से शुरू करने के लिए यही बटन दुबारा दबाना पड़ता है।
(ट) पॉज बटन (Pause Key) इसका कार्य स्क्रॉल लॉक बटन जैसा ही है। किसी भी दूसरे बटन को दबाने पर सूचना शुरू हो जाती है।
(ठ) इन्सर्ट बटन (Insert Key) -
इसका प्रयोग पहले से संग्रहित डाटा पर Overwrite करने के लिए किया जाता है। इन्सर्ट बटन दबाकर कोई टाइपिंग बटन दबाने पर कर्सर के ठीक बाद स्थित अंक या अक्षर मिट जाता है तथा उसके स्थान पर नया टेक्स्ट टाइप हो जाता है।
(ड) कंट्रोल + आल्ट + डेल (Ctrl+Alt+Del-Control+Alternate+Delete Key) - इन तीनों बटनों को एक साथ दबाने पर कम्प्यूटर में चल रहे प्रोग्राम बंद हो जाते हैं तथा कम्प्यूटर फिर से स्वयं शुरू वाली अवस्था में पहुंच जाता है। ऐसा अक्सर तब किया जाता है जब कम्प्यूटर हैंग (Hang) हो जाता है अर्थात् किसी अन्य बटन के आदेश का पालन नहीं करता। इसे रिसेट (Reset) भी कहते हैं।
(ढ) स्टिक बटन (Stick Keys)- वे उपयोगकर्ता जो दो या अधिक बटनों को एक साथ दबाने में असुविधा महसूस करते हैं, उनकी सुविधा के लिए स्टिक बटन का प्रयोग किया जाता है। इसमें उपयोगकर्ता Modifier Keys (Ctrl, Shift, AI) या Windows Key को लगातार दो बार दबा कर तब तक सक्रिय रख सकता है जब तक दूसरा बटन न दबा दिया जाए।
            Stick Key सुविधा को चालू करने के लिए Shift बटन को 5 बार लगातार दबाते हैं। इसे बंद करने के लिए दोनों Shift बटन एक साथ दबाते हैं।
(ण) स्पेस बार (Space Bar) : यह की-बोर्ड में सबसे निचली पंक्ति के बीच में स्थित सबसे लंबा बटन है। सामान्यतः इसका प्रयोग टाइप करते समय अक्षरों तथा अंकों के बीच खाली स्थान (Space) डालने के लिए किया जाता है। इसे इतना लंबा इसलिए बनाया जाता है ताकि दोनों हाथों से टाइप करते समय किसी भी हाथ के अंगूठे से इसका प्रयोग किया जा सके। Modifier Key के साथ इसका प्रयोग साफ्टवेयर के अनुसार अन्य कार्यों के लिए भी किया जाता है। वीडियो गेम में भी इसे एक मुख्य बटन के रूप में प्रयोग किया जाता है।

3.1 वर्चुअल की-बोर्ड (Virtual Key Board) : वर्चुअल का अर्थ होता है-आभाषी। वर्चुअल की-बोर्ड साफ्टवेयर प्रोग्राम द्वारा तैयार किया जाता है जिसमें की-बोर्ड का प्रतिबिंब किसी सतह पर उतारा (Prejection) जाता है। सतह पर बने की-बोर्ड के आभासी चित्र में किसी बटन को छूकर कम्प्यूटर में डाटा या निर्देश डाला जा सकता है। 

       वर्चुअल की-बोर्ड में कोई मशीनी पुर्जा नहीं होता। अतः इसमें टूट-फूट की संभावना नहीं होती तथा साफ-सफाई की भी जरूरत नहीं होती।

3.2. ऑन स्क्रीन की-बोर्ड (On Screen Key Board) : यह एक अप्लिकेशन साफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसमें की-बोर्ड कम्प्यूटर स्क्रीन पर ही दिखाई देता है। ऑन स्क्रीन की-बोर्ड को माउस या टच स्क्रीन या किसी अन्य Pointing device की सहायता से प्रयोग में लाया जाता है। यह वर्चुअल की-बोर्ड का ही एक रूप है। आजकल, टैबलेट तथा स्मार्टफोन में डाटा डालने के लिए ऑन स्क्रीन की-बोर्ड का प्रचलन बढ़ रहा है।
4. माउस (Mouse) यह एक इनपुट डिवाइस है जिसे प्वाइंटिंग डिवाइस (Pointing device) भी कहा जाता है। ग्राफिकल यूसर इंटरफेस (GUI- Graphical User Interface) के प्रयोग से इसका महत्त्व बढ़ गया है। माउस का आविष्कार डॉ. डगलस इंजेलबार्ट (Dr. Douglas Engelbart) ने 1964 में किया था।


 
माउस की सहायता से हम कम्प्यूटर स्क्रीन पर कर्सर या किसी
ऑब्जेक्ट (Object) को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सकते हैं। माउस का प्रयोग किसी Command, Dialog Box या Icon को सेलेक्ट करने या उससे संबंधित कार्य को क्रियान्वित करने के लिए भी किया जाता है। माउस को कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर बने PS-2 पोर्ट या USB (Universal Serial Bus) पोर्ट से जोड़ा जाता है।
            माउस में दो या तीन बटन हो सकते हैं जिन्हें दायां, बायां और मध्य बटन (Right, Left and Centre Button) कहते हैं। माउस बटन वास्तव में माइक्रोस्विच है जिन्हें दबाकर कम्प्यूटर को वांछित संदेश प्रेषित किए जाते हैं। इसके नीचे एक रबर बॉल होता है। किसी समतल सतह (माउस पैड) पर माउस को हिलाने पर बॉल घूमता
है तथा उसकी गति और दिशा मानीटर पर माउस प्वाइंटर (A) की गति और दिशा में परिवर्तित हो जाती है। ऑपरेटिंग सिस्टम में माउस प्रॉपर्टीज में परिवर्तन कर बायें व दायें बटन के कार्यों में अदला-बदली में की जा सकती है। ऐसा बायें हाथ से काम करने वालों की सुविधा के त लिए किया जाता है। 
             
         किसी माउस के तीन बटन इस प्रकार होते हैं-

बायां बटन (Left Button) : यह माउस के बायीं ओर स्थित होता है। इससे क्लिक, डबल क्लिक, प्वाइंट या ड्रैग का काम लिया जाता है।
दायां बटन (Right Button) : यह माउस के दायीं ओर स्थित होता है। यह साफ्टवेयर के अनुसार कुछ विशेष कार्यों जैसे- डायलॉग बॉक्स या मेन्यू बाक्स खोलने, प्रोपर्टीज देखने आदि के लिए किया जाता है।
मध्य बटन (Centre Button) : इसे स्क्रॉल बटन (Scroll
Button) भी कहा जाता है। इसका प्रयोग डाक्यूमेंट या वेब पेज को ऊपर नीचे करने के लिए किया जाता है। आधुनिक माउस में बीच वाले बटन को एक हील (Wheel) में बदल दिया जाता है, जिसे डाक्यूमेंट या वेब पेज को ऊपर नीचे (Scroll) किया जाता है।
 

 

Objective Question, computer gk question, hardware question's, sodtware question's, computer samanygyan prashna कम्‍प्‍यूटर संबंधी वस्‍तुनिष्‍ठ प्रश्‍न

 1. मदर बोर्ड के कम्पोनेन्ट्स (उपकरणों) के बीच सूचना..माध्यम से ट्रेवेल करता है-
(a) फ्लैश मेमोरी     
    (b) सी मॉस         (c) वेज        (d) बसेज     (e) पेरीफेरल्स

Ans. (d)

व्याख्या : मदरबोर्ड पर बनी धातु की पतली रेखाएं, जिनके माध्यम से विभित्र भागों के बीच संकेतों का आदान प्रदान होता है, बस बार (Bus Bar) या बसेज (Buses) कहलाती है
 

2. कम्प्यूटर का मुख्य पटल कहलाता है-

(a) फादर बोर्ड   (b) मदर बोर्ड    (c) की-बोर्ड    (d) इनमें से कोई नहीं

Ans.(b)


व्याख्या : मदर बोर्ड प्लास्टिक का बना पीसीबी (Printed Cricuit Board) होता है जिस पर धातु की पतली रेखाएं बनी रहती हैं। कम्प्यूटर के विभिन्न इलेक्ट्रानिक उपकरण मदर बोर्ड पर ही लगे होते हैं, अतः इसे कम्प्यूटर का मुख्य पटल कहा जाता है।
 

3. यूपीएस (UPS) का कार्य है-
(a) कम्प्यूटर की बैटरी को चार्ज करना
(b) कम्प्यूटर को असुरक्षा से बचाना
(c) कम्प्यूटर को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करना
(d) इनमें से कोई नहीं

Ans. (c)

व्याख्या : यूपीएस (UPS-Uninterrupted Power Supply) कम्प्यूटर को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करता है तथा अचानक विद्युत बंद हो जाने पर कार्यों के समाप्त होने और हार्ड डिस्क खराब होने के खतरे से बचाता हैा


4. पर्सनल कम्प्यूटर के विकास का श्रेय जाता है-
(a) IBM को    (b) HCL को     (c) DEC को     (d) HP को

Ans. (a)


व्याख्या : IBM (International Business Machine) नामक कम्पनी ने 1981 में पर्सनल कम्प्यूटर का निर्माण किया। बाद में बनने वाले पीसी भी IBM कोम्पैटिबल पीसी कहलाये।
 

5. सिस्टम यूनिट में रीसेट बटन का प्रयोग किया जाता है-
(a) कम्प्यूटर को बंद करने के लिए
(b) कम्प्यूटर को चालू करने के लिए
(c) कम्प्यूटर की सप्लाई को बंद किये बिना पुनः चालू करने के लिए
(d) इनमें से कोई नहीं कर

Ans. (c)

व्याख्या : सिस्टम यूनिट में रीसेट बटन का प्रयोग कम्प्यूटर की सप्लाई को बंद किये बिना उसे पुनः चालू करने के लिए किया जाता है
 

6. पेन ड्राइव को कम्प्यूटर से जोड़ने के लिए प्रयोग होता है-
(a) यूएसबी पोर्ट
(c) सिरीयल पोर्ट
(b) पैरेलल पोर्ट
(d) नेटवर्क पोर्ट

Ans.(a)

व्याख्या : पेन ड्राइव एक इलेक्ट्रानिक मेमोरी है जिसे कम्प्यूटर के साथ यूएसबी (Universal Serial Bus) पोर्ट के सहारे जोड़ा जाता है।

 

7. प्रिंटर को सिस्टम यूनिट के साथ जोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है-
(a) यूएसबी पोर्ट
(c) सीरियल पोर्ट
(b) पैरेलल पोर्ट
(d) नेटवर्क पोर्ट

Ans. (b)

व्याख्या : प्रिंटर को सिस्टम यूनिट के पैरेलल पोर्ट से जोड़ा जाता है। जबकि माउस को सीरियल पोर्ट तथा इंटरनेट को नेटवर्क पोर्ट से जोड़ा जाता है।
 

8. कम्प्यूटर के यूएसबी पोर्ट (USB Port) से किसे नहीं जोड़ा जा सकता है-
(b) प्रिंटर
(a) माउस
(c) पेन ड्राइव
(d) हार्ड डिस्क

Ans. (d)

व्याख्या : माउस, प्रिंटर तथा पेन ड्राइव को यूएसबी पोर्ट से जोड़ा जाता है जबकि हार्ड डिस्क को SCSI Port से जोड़ा जाता है। 

9. कम्प्यूटर में पॉवर सप्लाई सिस्टम में प्रयुक्त एसएमपीएस (SMPS) का अर्थ है-
(a) स्विच मोड पॉवर सप्लाई
(b) सर्विस मोड पॉवर सप्लाई
(c) श्योर माड्यूल पॉवर सप्लाई
(d) सिक्योर माड्यूल पॉवर सप्लाई

Ans.(a)

व्याख्या : कम्प्यूटर को +5V और 12V सप्लाई प्रदानकरने के लिए एसएमपीएस (SMPS-Switch Mode Power Supply) का प्रयोग किया जाता है जो पूर्णतः इलेक्ट्रानिक उपकरणों पर आधारित होता है।
 

10. कम्प्यूटर के प्रोसेसर की गति को निम्नलिखित में से किसमें के मापा जाता है-
 (a) बी.पी.एस. (b) एम.आई.पी.एस. (MIPS) 
(c) बॉड     (d) हर्ट्स

Ans. (b)

व्याख्या : कम्प्यूटर प्रोसेसर एक सेकेंड में लाखों अनुदेश संपादित कर सकता है। अतः प्रोसेसर की गति को MIPS (Million Instructions Per Second) में मापते हैं।
 

11. किसी विशेष प्रकार के संगीत उपकरणों को साउंड कार्ड से कौन सा पोर्ट जोड़ता है-

(a) बस (Bus)     (b) सीपीयू (CPU)     (c) यूएसबी (USB)     (d) मीडी (MIDD
(e) इनमें से कोई नहीं

Ans. (d)

12. कम्प्यूटर प्रणाली के लिए विस्तार क्षमता प्रदान करते हैं-
(a) साकेट्स
(b) स्लॉट्स (Slots)
(c) बाइट
(e) इनमें से कोई नहीं
(d) वेब

Ans. (b)

13. एक बॉक्स, जिसमें कम्प्यूटर सिस्टम के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग होते हैं, कहलाता है-

(a) साफ्टवेयर
(b) हार्डवेयर
(d) सिस्टम यूनिट
(c) इनपुट डिवाइस
(e) इनमें से कोई नहीं

Ans. (d) 

 


सोमवार, 14 फ़रवरी 2022

Objective Question, computer gk question, hardware question's, sodtware question's, computer samanygyan prashna कम्‍प्‍यूटर संबंधी वस्‍तुनिष्‍ठ प्रश्‍न

1. कम्प्यूटर

            1. आंकड़ों के भंडारण वाली एक सक्षम युक्ति है।
            2. आंकड़ों के विश्लेषण करने में सक्षम है।
            3. पूर्ण गोपनीयता बनाए रखने में सक्षम है।
            4. कभी-कभी वायरस द्वारा संक्रमित होता है।

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन करें-
(a) 1 और 2            (b) 2 और 3        (c) 1, 2 और 4        (d) सभी चारों



Ans. (d)

व्याख्या : आंकड़ों (डाटा) का भंडारण और उनका विश्लेषण कम्प्यूटर का कार्य है। पासवर्ड की सहायता से कम्प्यूटर में पूर्ण गोपनीयता बनाए रखा जा सकता है। जबकि वायरस द्वारा संक्रमित होना कम्प्यूटर की एक कमी है।
 

2. देश का प्रथम कम्प्यूटर साक्षर (Computer Literate) जिला हैा
(a) अर्नाकुलम     (b) विल्लुपुरम    (c) थीरूवल्लूर    (d) मलप्पुरम (केरल)

Ans. (d)

 

3. भारत का पहला कम्प्यूटर कहां स्थापित किया गया था?
(a) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली
(b) भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंग्लुरू
(c) इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी, बर्नपुर
(d) भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कलकत्ता

    Ans. (d)

4. कम्प्यूटर निम्नलिखित में से कौन सा कार्य नहीं करता है-
(a) इनपुटिंग     (b) प्रोसेसिंग    (d) आउटपुटिंग   
(c) कंट्रोलिंग     (e) अंडर स्‍टैडिंग

 Ans. (e)

व्याख्या : कम्प्यूटर डाटा को इनपुट के रूप में लेकर उपलब्ध निर्देशों के अनुसार प्रोसेस करता है तथा वांछित आउटपुट उपलब्ध कराता है। पर कम्प्यूटर के स्वयं के सोचने और समझने (Understanding) की शक्ति नहीं होती।
 

5. वह इलेक्ट्रानिक डिवाइस जो डाटा को स्वीकार कर सकती है, डाटा प्रोसेस करती है तथा आउटपुट उत्पन्न करती है और परिणामों को भविष्य में प्रयोग के लिए स्टोर करती है, कहलाती है।
(a) इनपुट (b) कम्प्यूटर
(c) साफ्टवेयर (d) हार्डवेयर (e) इनमें से कोई नहीं


Ans. (b)

 6. निम्नलिखित में से कौन कम्प्यूटर के गुण है-

(a) तीव्र गति    (b) त्रुटि रहित कार्य    (c) गोपनीयता    (d) उपर्युक्त सभी

Ans. (d)

व्याख्या : कम्प्यूटर अपनी गति और त्रुटि रहित कार्य अर्थात् विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है। पासवर्ड के प्रयोग द्वारा गोपनीयता सुनिश्चित की जा सकती है।
 

7. डाटा प्रोसेसिंग का अर्थ है-
(a) डाटा संग्रहण    (b) डाटा को सजाना    (c) डाटा को उपयोगी बनाना    (d) उपर्युक्त सभी

Ans. (c)

व्‍याख्‍या : डाटा प्रोसेसिंग में अवर्गीक्रित या रॉ डाटा को वर्गीक्रित कर उपयोग के लायक बनाया जाता हैा 

8. चिन्‍हात्‍मक डाटा (Alphanumeric Data) में प्रयोग किया जाता हैा 

 (a) अंको का    (b) अक्षरों का    (c) चिन्‍हों का   (d) उपर्युक्‍त सभी का

Ans. (d)

व्याख्या : चिह्नात्मक डाटा में अंकों, चिह्नों और अक्षरों, सभी का प्रयोग किया जाता है। इस डाटा पर अंकगणितीय । क्रियाएं नहीं की जा सकती, पर उनकी तुलना की जा सकती है। जैसे- घर का पता आदि ।


9. इनमें से कौन कम्प्यूटर का गुण नहीं है-
(a) जल्द निर्णय लेने की क्षमता     (b) गोपनीयता    
(c) बुद्धिहीन (d) विविधता

Ans. (c)

व्याख्या : कम्प्यूटर में स्वयं की सोचने की क्षमता नहीं होती। अतः इसे बुद्धिहीन कहा जाता है। यह कम्प्यूटर का गुण नहीं, बल्कि दोष है।


10. कम्प्यूटर साक्षरता दिवस मनाया जाता है-
(a) 1 दिसम्बर
(b) 2 दिसम्बर
(c) 1 जनवरी
(d) 22 जनवरी

Ans. (b)

व्याख्या : प्रतिवर्ष 2 दिसम्बर को विश्व कम्प्यूटर साक्षरता दिवस मनाया जाता है।
 

11. विश्व में सर्वाधिक कम्प्यूटर वाला देश है-
(a) भारत
(b) रूस
(c) जापान
(d) सं. रा. अमेरिका

Ans. (d)

व्याख्या : सं. रा. अमेरिका (USA) में कम्प्यूटर की संख्या विश्व में सर्वाधिक है।


12. कम्प्यूटर साक्षरता का अर्थ है-
(a) कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखना (b) कम्प्यूटर की त्रुटि सुधारना (c) कम्प्यूटर के कार्य क्षमता की जानकारी रखना (d) कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली जानना

Ans. (c)

व्याख्या : कम्प्यूटर साक्षरता में व्यक्ति को कम्प्यूटर क्या कर सकता है और क्या नहीं इसकी जानकारी दी जाती है ताकि व्यक्ति दैनिक कार्यों में होने वाले कम्प्यूटर अनुप्रयोग की सुविधा का लाभ उठा सके।

13. डाटा प्रोसेसिंग का अर्थ है-

(a) डाटा का भण्डारण

(b) डाटा का संग्रहण

(c) उपयोग के लिए सूचना प्राप्त करना

(d) सूचना का विश्लेषण

Ans. (c)

व्याख्या : डाटा प्रोसेसिंग डाटा का उपयोगिता के आधार पर विश्लेषण करना है ताकि उपयोगी सूचना प्राप्त की जा सके।

14. बैंकिंग लेन-देन में ECS का अर्थ है-

(a) एक्सेस क्रेडिट सुपरवाइजर

(b) एक्स्ट्रा कैश स्टेट्स

(c) एक्सचेंज क्लियरिंग स्टैंडर्ड

(d) इलेक्ट्रानिक क्लियरिंग सर्विस

Ans. (d)

व्याख्या : बैंकों में कम्प्यूटर के अनुप्रयोग में तेजी आयी है। कम्प्यूटर द्वारा लेन-देन की प्रक्रिया को तीव्र व विश्वसनीय बनाने के लिए इ.सी.एस. (ECS-Electronic Clearing Service) का प्रयोग किया जाता है।

 

15. कम्प्यूटर प्रोसेस द्वारा इन्फार्मेशन में परिवर्तित करता है। 

(a) नंबर को

(c) इनपुट को

(b) डाटा को

(d) प्रोसेसर को

Ans. (b)

व्याख्या : कम्प्यूटर दिए गए अनुदेशों के अनुसार डाटा को प्रोसेस करता है तथा उसे सूचना (Information) बदलता है। इस प्रकार डाटा अव्यवस्थित तथ्य है जबकि सूचना व्यवस्थित डाटा है।

 


शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2022

Computer Components (कम्‍प्‍यूटर के पूर्जे)

 

मॉनीटर (Monitor) मॉनीटर पर्सनल कम्प्यूटर में प्रयुक्त एक लोकप्रिय आउटपुट डिवाइस है जो साफ्ट कॉपी आउटपुट प्रदान करता है। मानीटर कम्प्यूटर में चल रहे कार्यों को दर्शाता है तथा उपयोगकर्ता और कम्प्यूटर के बीच संबंध स्थापित करता है। मल्टीमीडिया में एनीमेशन (Animation), चलचित्र (Movie), छाया चित्र (Image), रेखाचित्र (Graphics) तथा वीडियो आदि के लिए मॉनीटर का होना आवश्यक है। की-बोर्ड पर टाइप किया जाने वाला डाटा भी मॉनीटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है।
                जीयूआई (GUI-Graphical User Interface) के बढ़ते प्रचलन के कारण मॉनीटर के बिना पर्सनल कम्प्यूटर की कल्पना बेमानी है। आजकल पर्सनल कम्प्यूटर के लिए एलसीडी (LCD-Liquid Crystal Display) या एलईडी (LED-Light Emitting Diode) मॉनीटर का प्रयोग हो रहा है।
 
माउस (Mouse) यह एक लोकप्रिय इनपुट डिवाइस है जिसे प्वाइंटिंग डिवाइस भी कहा जाता है। इसे कम्प्यूटर कैबिनेट के पिछले भाग में बने सीरियल पोर्ट द्वारा मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है। ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) के बढ़ते उपयोग ने माउस को एक लोकप्रिय इनपुट डिवाइस बना दिया है। 
 
की-बोर्ड (Key Board) की-बोर्ड एक महत्त्वपूर्ण इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग में अक्षरों तथा अंकों (Alphanumeric data) को डालने में किया जाता है। वर्ड प्रोसेसिंग तथा स्प्रेडशीट साफ्टवेयर के लिए की-बोर्ड का प्रयोग आवश्यक हो जाता है। की-बोर्ड की सहायता से कम्प्यूटर को जरूरी निर्देश भी दिए जा सकते हैं। माउस खराब हो जाने पर की-बोर्ड को माउस की जगह प्रयोग किया जा सकता है। पर्सनल कम्प्यूटर के साथ 104 बटन वाले 'QWERTY' की-बोर्ड का प्रयोग किया जाता है। विंडोज आपरेटिंग सिस्टम के साथ प्रयोग होने वाले की-बोर्ड में कुछ विशेष बटन भी हो सकते हैं। की-बोर्ड को कम्प्यूटर कैबिनेट के पीछे लगे PS-2 पोर्ट के जरिए मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है।
 
स्पीकर (Speaker) पर्सनल कम्प्यूटर का प्रयोग मल्टीमीडिया के साथ करने के लिए वाह्य स्पीकर (External Speaker) का होना आवश्यक है। यह साफ्ट कॉपी प्रस्तुत करने वाला एक आउटपुट डिवाइस है। इसके लिए कम्प्यूटर में साउण्ड कार्ड (Sound Card) का होना जरूरी है। स्पीकर की क्षमता पीएमपीओ (PM PO) में मापी जाती है।
 
प्रिंटर (Printer) यह पर्सनल कम्प्यूटर का एक ऐच्छिक अंग है। यह हार्ड कॉपी आउटपुट प्रदान करने वाला आउटपुट डिवाइस है। इसके द्वारा मॉनीटर पर प्रदर्शित होने वाले डाक्यूमेंट या चित्र को कागज पर प्रिंट किया जा सकता है। प्रिंटर को सिस्टम यूनिट के पीछे बने पैरालेल पोर्ट के जरिए मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है। 

स्कैनर (Scanner) यह ऐच्छिक इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग ग्राफ या चित्र को बाइनरी डाटा में बदलकर कम्प्यूटर में डालने के लिए किया जाता में
है।
 
मॉडेम (Modem) यह Modulator - Demodulator का संक्षिप्त रूप है। पीसी को टेलीफोन लाइन के सहारे नेट के साथ जोड़ने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। यह टेलीफोन लाइन पर आने वाली एनालॉग संकेतों को डिजिटल संकेतों में बदलकर कम्प्यूटर को देता है तथा कम्प्यूटर द्वारा उत्पन्न डिजिटल संकेतों को एनालॉग संकेत में बदलकर लाइन पर भेजता है।
 
यूपीएस (UPS-Uninterrupted Power Supply) बिजली की सप्लाई बंद हो जाने पर कम्प्यूटर अचानक बंद या ऑफ (Off) हो जाता है। इससे कम्प्यूटर का हार्ड डिस्क खराब होने का खतरा बना रहता है तथा सेव (Save) नहीं किया गया डाटा भी नष्ट हो जाता है। इससे बचने के लिए यूपीएस का प्रयोग किया जाता है। यूपीएस में एक रीचार्जेबल बैटरी होती है जो कम्प्यूटर को लगातार सप्लाई देती रहती है। इसे विद्युत सप्लाई से चार्ज किया जाता है। जब बैटरी की क्षमता कम होने लगती है तो यूपीएस बीप की ध्वनि द्वारा संकेत देकर उपयोगकर्ता को कम्प्यूटर बंद करने के लिए चेतावनी देता है।

सीवीटी (CVT-Constant Voltage Transformer) इसका प्रयोग घरेलू सप्लाई में होने वाले वोल्टेज के उतार चढ़ाव को रोकने के लिए किया जाता है ताकि कम्प्यूटर को एक समान बिजली मिलती रहे।
 
सिस्टम यूनिट का अगला भाग (FrontPartofSystemUnit) पर्सनल कम्प्यूटर के सिस्टम यूनिट के अगले हिस्से में होता
 
(a) सीडी/डीवीडी ड्राइव (CD/DVD Drive) : इसका प्रयोग सीडी/डीवीडी में स्टोर की गई सूचना को पढ़ने या उसे लिखने के लिए किया जाता है। इसके साथ सीडी/डीवीडी ट्रे को अंदर/बाहर करने के लिए इजेक्ट बटन (Eject button), आवाज नियंत्रण नॉब (Volume Control Knob), हेडफोन के लिए जैक (Jack) तथा सीडी/डीवीडी के प्रयोग को दर्शाने वाली एलइडी (LED) होता है।
 
(b) रीसेट बटन (Reset Button) : कम्प्यूटर को पॉवर सप्लाई बंद किये बिना फिर से चालू (Re-Start) करने के लिए प्रयुक्त।
 
(c) फ्लापी डिस्क ड्राइव (Floppy Disk Drive) : फ्लापी  की सूचना को पढ़ने या उस पर नई सूचना डालने के लिए प्रयुक्त। इसमें फ्लापी को बाहर निकालने के लिए एक पुश बटन तथा फ्लापी के उपयोग को दर्शाने के लिए एक एलईडी (LED) रहता है।
 
(d) पॉवर बटन (Power Button) : इस बटन द्वारा कम्प्यूटर के पावर सप्लाई यूनिट को बिजली की सप्लाई चालू या बंद किया जाता है। इसके साथ एक एलईडी (LED) रहता है जो पावर ऑन होने की स्थिति में जलता है।
 
e) यूएसबी पोर्ट (USB Port) : यूएसबी पोर्ट के बढ़ते प्रयोग के कारण सिस्टम यूनिट के अगले भाग में एक या दो यूएसबी पोर्ट का जैक लगाया जाता है। इसका प्रयोग पेन ड्राइव या कोई अन्य उपकरण जोड़ने के लिए किया जाता है।


 
 
 सिस्टम यूनिट का पिछला भाग (Back Side of System Unit) 
 
(a) पॉवर साकेट (Power Sockets) : सिस्टम यूनिट को सप्लाई से जोड़ने तथा मानीटर को सिस्टम यूनिट से सप्लाई देने के लिए प्रयुक्त।
 
(b) सीरियल पोर्ट (Serial Port) : डाटा को क्रमानुसार इनपुट करने वाले उपकरणों को जोड़ने के लिए। जैसे- माउस, माडेम आदि। सीरियल पोर्ट एक बार में एक बिट डाटा का स्थानान्तरण करते हैं तथा RS-232 स्टैडर्ड का अनुपालन करते हैं।
 
(c) पैरालेल पोर्ट (Parallel Port) : डाटा को समानान्तर क्रम में स्थानान्तरित करने के लिए। इस पोर्ट से प्रिंटर, आदि को जोड़ा जाता है। इसकी गति सीरियल पोर्ट से अधिक होती है।
 
(d) यूएसबी (USB-Universal Serial Bus) पोर्ट : यह किसी भी डिवाइस, जैसे माउस, प्रिंटर, पेन ड्राइव आदि को सिस्टम यूनिट से जोड़ता है।
 
(e) मॉनीटर पोर्ट (Monitor Port) : मॉनीटर को सिस्टम यूनिट से जोड़ने के लिए। इसे वीजीए (VGA-Video Graphis Array) पोर्ट भी कहते हैं।
 
(1) पीएस-2 (PS-2-Plug Station-2) पोर्ट : पीएस-2 पोर्ट के जरिए की-बोर्ड तथा माउस को कम्प्यूटर मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है। यह गोल आकार का 6 पिन का पोर्ट है। माउस के लिए हरे रंग के PS-2 पोर्ट का प्रयोग होता है जबकि की-बोर्ड के लिए बैगनी रंग के पोर्ट का प्रयोग होता है।
 
(g) ऑडियो जैक (Audio Jack) : वाह्य स्पीकर, हेडफोन या माइक को जोड़ने के लिए।
 
(h) एससीएसआई पोर्ट (SCSI-Small Computer System Interface) : बाहरी हार्ड डिस्क, डीवीडी या स्कैनर को जोड़ने के लिए।
 
(i) नेटवर्क पोर्ट (Network Port) : कम्प्यूटर को किसी अन्य कम्प्यूटर के साथ जोड़ने के लिए। इसे RJ-45 कनेक्टर या LAN या इथरनेट पोर्ट भी कहा जाता है। इसका प्रयोग कम्प्यूटर को टेलीफोन लाइन के जरिए नेटवर्क से जोड़ने के लिए भी किया जाता है।
 
(j) सिस्टम यूनिट के पिछले भाग में पावर सप्लाई यूनिट को ठंडा करने के लिए लगाया गया पंखा (Fan) भी होता है।




सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

पर्सनल कम्‍प्‍यूटर के मुख्‍य घटक (Main Components of Personal Computer)

 

 1. पर्सनल कम्प्यूटर का विकास
(Development of Personal Computer)

            1970 में माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) के विकास ने माइक्रो कम्प्यूटर को जन्म दिया। 1981 में आईबीएम (IBM-International Business Machine) नामक कम्पनी ने पर्सनल कम्प्यूटर का निर्माण किया जिसे आईबीएम-पीसी कहा गया। बाद में बनने वाले पीसी आईबीएम पीसी कॉम्पैटिबल (IBM PCCompatible) कहलाये, अर्थात वे कार्य और क्षमता में आईबीएम पीसी जैसे ही हैं तथा उन पर वे सभी कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं जो आईबीएम पीसी पर चलते हैं। 

            पर्सनल कम्प्यूटर व्यक्तिगत उपयोग के लिए बनाए गए डिजिटल कम्प्यूटर हैं, जिस पर एक बार में एक ही व्यक्ति (Single User) कार्य कर सकता है। इसे ऑफिस कार्य, डाटाबेस तैयार करने, ईमेल भेजने, इंटरनेट से जुड़ने, वीडियो गेम खेलने, संगीत व चलचित्र देखने आदि के लिए प्रयोग किया जाता है। पर्सनल कम्प्यूटर को मॉडेम (Modem) तथा संचार माध्यम द्वारा नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है। पर्सनल कम्प्यूटर के लिए मल्टीटास्किंग आपरेटिंग साफ्टवेयर (Multitasking Operating Software) का प्रयोग किया जाता है। वर्तमान में प्रचलित पर्सनल कम्प्यूटर को मदरबोर्ड की डिजाइन के आधार पर इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है-

(i) पीसी-एटी (PC-AT - Personal Computer Advanced Technology)
(ii) पीसी-एटीएक्स (PC-ATX - Personal Computer Advanced Technology Extanded)
(iii) पेंटियम पीसी (Pentum PC) 


2. पीसी के घटक (Parts of Personal Computer)
वर्तमान पीसी के आवश्यक घटक हैं-
(i) सिस्टम यूनिट (System Unit)
(ii) मॉनीटर (Monitor) या वीडीयू (VDU)
(iii) की-बोर्ड (Key Board)
(iv) माउस (Mouse)
(v) हार्ड डिस्क (Hard Disk Drive)
 

मल्टीमीडिया के प्रयोग के लिए कुछ आवश्यक घटक हैं-
(i) सीडीरॉम ड्राइव (CD ROM Drive)
(ii) स्पीकर (Speaker)

(iii) 4156 (Mike)
(iv) माडेम (Modem)
(v) वेब कैम (Web Cam)
 

पीसी के कुछ ऐच्छिक घटक हैं-
(1) प्रिंटर (Printer)
(ii) फ्लापी ड्राइव (Floppy Drive)
(iii) स्कैनर (Scanner)
(iv) ज्वॉस्टिक (Joystick)
 

कम्प्यूटर को निर्वाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने के लिए घटक हैं-
(
i) यूपीएस (UPS-Uninterrupted Power Supply)
(ii) सीवीटी (CVT-Constant Voltage Transformer)
 

3. सिस्टम यूनिट (System Unit)
            यह पीसी का मुख्य भाग है। कम्प्यूटर द्वारा किये जाने वाले विभिन्न कार्य यहीं संचालित होते हैं। यह विभिन्न सिस्टम साफ्टवेयर और अप्लिकेशन साफ्टवेयर द्वारा नियंत्रित किया जाता है। पीसी के अन्य सभी घटक इसी से जुड़े रहते हैं।
            वाह्य संरचना के आधार पर यह दो प्रकार का होता है-

(i) डेस्कटॉप टाइप (Desktop Type) : इसमें सिस्टम यूनिट का चौकोर बाक्स टेबल पर पड़ा रहता है तथा मॉनीटर उसके ठपर रखा जाता है। 

(ii) टावर टाइप (Tower Type) : इसमें सिस्टम यूनिट का बाक्स टेबल पर सीधा खड़ा रहता है तथा मॉनीटर उसके बगल में रखा जाता है। वर्तमान में यह अधिक प्रचलित है। 

 


 3.1. कम्प्यूटर कैबिनेट (Computer Cabinet) कम्प्यूटर कैबिनेट प्लास्टिक या एल्युमिनियम का बना एक बक्सा होता है। कम्प्यूटर सिस्टम यूनिट के सभी घटक इसी केस के अंदर स्थापित किए जाते हैं। यह सिस्टम यूनिट के बाहरी संरचना का निर्माण करता है।

 
3.2. सिस्टम यूनिट के मुख्य घटक (Main Parts of System Unit)
                (a) पॉवर सप्लाई यूनिट (Power Supply Unit) : इसे घरेलू बिजली से 220VAC सप्लाई दी जाती है जिसे यह कम्प्यूटर में प्रयोग के लिए + 5 वोल्ट और 12 वोल्ट DC सप्लाई में बदल देता है। कम्प्यूटर के इलेक्ट्रॉनिक घटकों को + 5 V सप्लाई दी जाती है जबकि इसके मोटर, पंखे आदि को 12 वोल्ट की सप्लाई दी जाती है। यह कम्प्यूटर को उच्च व निम्न वोल्टेज की गड़बड़ियों से बचाता है। इसे वायु के सहारे ठंडा (Air Cooled) करने के लिए बिजली का एक पंखा (Fan) लगा रहता है। आजकल एसएमपीएस (SMPS- Switch Mode Power Supply) का प्रयोग किया जा रहा है।
 
 
 
(b) मदरबोर्ड (Mother Board) : यह प्लास्टिक का बना पीसीबी (PCB-Printed Ciruit Board) होता है। धातु की पतली रेखाओं द्वारा यह दो उपकरणों के बीच संबंध स्थापित करता है। यह
कम्प्यूटर का मुख्य पटल (Main Board) होता है। संपूर्ण कम्प्यूटर मदरबोर्ड के इर्द-गिर्द ही घूमता है। सिस्टम यूनिट के सभी उपकरण मदरबोर्ड से ही जुड़े होते हैं। मदरबोर्ड पर माइक्रोप्रोसेसर लगाने का स्थान भी बना रहता है। इस पर बनी धातु की पतली रेखाएं, जिनके माध्यम से मदरबोर्ड पर बने विभिन्न उपकरणों के बीच संकेतों का आदान-प्रदान होता है, बस बार (Bus Bar) कहलाते हैं। 
 
 
(c) सीपीयू (CPU-Central Processing Unit) : इसे माइक्रो प्रोसेसर (Micro Processor) भी कहा जाता है। यह एक चिप होता है जो कम्प्यूटर के विभिन्न उपकरणों का नियंत्रण तथा समन्वय करता है। कार्यों को नियंत्रित करने के लिए इसमें कंट्रोल यूनिट (Control Unit) तथा अंकगणितीय गणनाओं और कुछ लॉजिकल कार्यों के लिए अरिथमैटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic
Logic Unit-ALU) रहता है। कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी जैसे- सेमी कंडक्टर रजिस्टर तथा कैश (Cache) मेमोरी सीपीयू के अंदर ही निर्मित होते हैं।

(d) मैथ कोप्रोसेसर (Math Coprocessor) : गणित कार्यों को करने तथा सीपीयू की सहायता के लिए मैथ को-प्रोसेसर का उपयोग किया जाता है। नये माइक्रो प्रोसेसर में इसे अलग से लगाने की जरूरत नहीं होती।
 
(e) रैम चिप (RAM Chip) : सिस्टम यूनिट के मदरबोर्ड पर रैम चिप लगाने के खाके बने रहते हैं, जिनमें आवश्यकतानुसार रैम चिप लगाये जा सकते हैं। यहां कार्य के दौरान डाटा व प्रोग्राम को अस्थाई तौर पर रखा जाता है।
 
(1) रॉम चिप (ROM Chip) : निर्माण के समय ही इसमें डाटा डालकर पीसी के मदरबोर्ड पर स्थायी तौर पर लगा दिया जाता है। इस चिप में ऐसे डाटा और प्रोग्राम रखे जाते हैं जिनकी आवश्यकता
पीसी को चालू करते ही पड़ती है। बायोस (BIOS-Basic Input output System) साफ्टवेयर
स्थायी रॉम चिप में ही स्टोर किया जाता है।
 
(g) वीडियो डिस्प्ले कार्ड (Video Display Card) : दृश्य (Video) तथा चित्र (Graphics) को मॉनीटर पर दिखाने के लिए यह कार्ड मदरबोर्ड पर लगाया जाता है। इसमें वीजीए (VGA-Video GraphicsArray) या एसवीजीए (SVGA-Super Video
Graphics Array) का प्रयोग किया जाता है।
 
(h) साउण्ड कार्ड (Sound Card) : मल्टीमीडिया में ध्वनि के डिजिटल सूचनाओं को विद्युत संकेतों में बदलने के लिए इस कार्ड को मदरबोर्ड पर बने खाके में लगाया जाता है। बाहरी स्पीकर (External Speaker) इसी कार्ड से जुड़ा रहता है।
 
(i) डिस्क ड्राइव कंट्रोल कार्ड (Disk Drive Control Card) : यह कार्ड फ्लापी तथा हार्ड डिस्क ड्राइव की मोटरों तथा उनसे डाटा के आने-जाने पर नियंत्रण के लिए मदरबोर्ड पर लगाया जाता है।
 
(j) आउटपुट एडॉप्टर कार्ड (Output Adapter card) : यह मेमोरी तथा आउटपुट डिवाइस (मानीटर व प्रिंटर) के बीच समन्वय का कार्य करता है। यह बाइनरी डाटा व सूचना को मानीटर या प्रिंटर के समझने योग्य बनाता है।
 
(k) स्पीकर (Speaker) : सिस्टम यूनिट के अंदर कुछ ध्वनि संकेत उत्पन्न करने के लिए स्पीकर लगा रहता है
 
(1) टाइमर (Timer) : यह मदरबोर्ड पर लगा रहता है तथा घड़ी की तरह कार्य करता है। इसे एक बटन बैटरी से सप्लाई दी जाती है ताकि कम्प्यूटर बंद हो जाने पर भी घड़ी कार्य करती रहे। 

(m) एक्सपैंशन स्लाट (Expansion Slot) : मदरबोर्ड पर किसी अन्य उपकरण को जोड़ने या भविष्य में प्रयोग के लिए खाने बने रहते हैं जिन्हें एक्सपैंशन स्लाट कहते हैं।
 
(n) पीसीआई (PCI- Peripheral Component Interconnect) : यह कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर बना स्लाट है जिसके द्वारा नेटवर्क, ग्राफिक्स या साउण्ड कार्ड लगाया जाता है। यह डिवाइस को कम्प्यूटर
मेमोरी से जोड़ता है।
 
(O) यूएसबी (Universal Serial Bus) : यह कम्प्यूटर तथा उसके किसी उपकरण (device) के बीच संचार स्थापित करने की एक व्यवस्था है। चूंकि इस व्यवस्था द्वारा लगभग सभी कम्प्यूटर उपकरणों जैसे- माउस, की-बोर्ड, प्रिंटर, डिजिटल कैमरा, द्वितीयक मेमोरी आदि को सीपीयू से जोड़ा जा सकता है, अतः इसे Universal Serial Bus कहा जाता है। इसका प्रयोग कम्प्यूटर के अलावा अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों में भी लोकप्रिय हो रहा है। इसी कारण, आजकल पर्सनल कम्प्यूटर में एक से अधिक यूएसबी पोर्ट होते हैं।
                    इसकी मुख्य विशेषता यह है कि कम्प्यूटर को बिना रीस्टार्ट किए किसी नए डिवाइस को कम्प्यूटर के साथ जोड़कर उसका प्रयोग किया जा सकता है। इसे प्लग एंड प्ले (Plug and Play) का गुण कहा जाता है।
 
(p) सी मॉस (C-MOS-Complementary MetalOxide Semiconductor) चिप : सी मॉस चिप मेमोरी कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर स्थापित किया जाता है। इसके साथ बटन के आकार का एक बैटरी लगा रहता है जो कम्प्यूटर बंद होने पर भी सीमॉस चिप को पॉवर सप्लाई प्रदान करता है।
 
(q) एजीपी बस (Accelerated Graphic Port Bus) : एजीपी बस का प्रयोग त्रिविमीय चित्रों (3 Dimentional Pictures), ग्राफिक्स तथा चलचित्र (Motion Videos) के लिए किया जाता है। यह उच्च गति वाले वीडियो कार्ड को मदरबोर्ड से जोड़ता है।
 
4. हार्ड डिस्क तथा हार्ड डिस्क ड्राइव
(Hard Disk and Hard Disc Drive)

              हार्ड डिस्क पर्सनल कम्प्यूटर का एक मुख्य घटक है। यह एक प्रमुख सहायक (Secondary) स्टोरेज डिवाइस है जो डाटा और प्रोग्राम को संग्रहित रखता है। इसकी स्टोरेज क्षमता बड़ी होती है। कम्प्यूटर का आपरेटिंग सिस्टम, विभिन्न अप्लिकेशन साफ्टवेयर तथा डाटा और सूचनाएं हार्ड डिस्क में ही स्टोर की जाती हैं। यह एक स्थायी (Non Volatile) मेमोरी है जिसमें सप्लाई बंद कर देने पर भी संग्रहित डाटा नष्ट नहीं होता। हार्ड डिस्क ड्राइव की सहायता से हार्ड डिस्क में संग्रहित डाटा को पढ़ा जा सकता है, उसमें परिवर्तन
किया जा सकता है तथा नया डाटा या साफ्टवेयर स्टोर भी किया जा सकता है। इसे कम्प्यूटर कैबिनेट के भीतर रखा जाता है तथा मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है।
                पर्सनल कम्प्यूटर में हार्ड डिस्क तथा हार्ड डिस्क ड्राइव को एक यूनिट की तरह एक प्रदूषण रहित डिब्बे में सील बंद कर दिया जाता है जिसे विंचेस्टर डिस्क (Winchester Disc) कहा जाता है। पर्सनल कम्प्यूटर में प्रयुक्त हार्ड डिस्क की स्टोरेज क्षमता जीबी (GB-Giga Byte) में आंकी जाती है।
 
5. फ्लापी डिस्क ड्राइव (Floppy Disk Drive) फ्लॉपी डिस्क एक पोर्टेबल चुंबकीय मेमोरी डिवाइस है जिसे फ्लापी डिस्क ड्राइव में डालकर पढ़ा जा सकता है, उसके डाटा में परिवर्तन किया जा सकता है तथा नया डाटा स्टोर किया जा सकता है। नये मेमोरी डिवाइस के आविष्कार से पर्सनल कम्प्यूटर में फ्लापी डिस्क ड्राइव का प्रयोग कम हो रहा है।
 
6. सीडी/डीवीडी ड्राइव (CD/DVD Drive) सीडी या डीवीडी ड्राइव पर्सनल कम्प्यूटर का एक अभिन्न अंग बन गया है। सीडी (Compact Disc) तथा डीवीडी (Digital Video Disc) आप्टिकल डिस्क के ही रूप हैं। इन्हें सीडी/डीवीडी ड्राइव में डालकर स्टोर की गयी सूचना को पढ़ा जा सकता है। सीडी ड्राइव की गति को एक नंबर और उसके बाद अक्षर X से दर्शाया जाता है। जैसे-8X,56X आदि। सीडी/डीवीडी के डाटा में परिवर्तन करने या नया डाटा स्टोर करने के लिए लिखने योग्य ड्राइव का प्रयोग किया जाता है जिसे सीडी/डीवीडी राइटर (CD/ DVD Writer) कहते हैं। चूंकि डीवीडी नये किस्म का आप्टिकल डिस्क है, अतः डीवीडी ड्राइव सीडी के डाटा को पढ़ सकता है,
परंतु सीडी ड्राइव डीवीडी के डाटा को नहीं पढ़ सकता।
                अपनी विशाल स्टोरेज क्षमता (650 MB या अधिक) के कारण सीडी/डीवीडी का उपयोग वीडियो डाटा तथा चलचित्र (Motion Picture) को स्टोर करने के लिए किया जा रहा है। इस
कारण, पर्सनल कम्प्यूटर मनोरंजन का एक बेहतर साधन बनता जा रहा हैा 
 
7. मॉनीटर (Monitor) मॉनीटर पर्सनल कम्प्यूटर में प्रयुक्त एक लोकप्रिय आउटपुट डिवाइस है जो साफ्ट कॉपी आउटपुट प्रदान करता है। मानीटर कम्प्यूटर में चल रहे कार्यों को दर्शाता है तथा उपयोगकर्ता और कम्प्यूटर के बीच संबंध स्थापित करता है। मल्टीमीडिया में एनीमेशन (Animation), चलचित्र (Movie), छाया चित्र (Image), रेखाचित्र (Graphics) तथा वीडियो आदि के लिए मॉनीटर का होना आवश्यक है। की-बोर्ड पर टाइप किया जाने वाला डाटा भी मॉनीटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है।
                जीयूआई (GUI-Graphical User Interface) के बढ़ते प्रचलन के कारण मॉनीटर के बिना पर्सनल कम्प्यूटर की कल्पना बेमानी है। आजकल पर्सनल कम्प्यूटर के लिए एलसीडी (LCD-Liquid Crystal Display) या एलईडी (LED-Light Emitting Diode) मॉनीटर का प्रयोग हो रहा है।
 
8. माउस (Mouse) यह एक लोकप्रिय इनपुट डिवाइस है जिसे प्वाइंटिंग डिवाइस भी कहा जाता है। इसे कम्प्यूटर कैबिनेट के पिछले भाग में बने सीरियल पोर्ट द्वारा मदरबोर्ड से जोड़ा जाता है। ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) के बढ़ते उपयोग ने माउस को एक लोकप्रिय इनपुट डिवाइस बना दिया है। 
 
 

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

कम्प्यूटर की कार्यपद्धति (Principles of Computing)

 

 1. किसी भी कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए दो चीजों की जरूरत होती है-हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर।
 

हार्डवेयर (Hardware) : कम्प्यूटर मशीन तथा कलपुर्जो को हार्डवेयर कहते हैं। हार्डवेयर कम्प्यूटर की भौतिक संरचना है। वस्तुतः वे सभी चीजें जिन्हें हम देख व छू सकते हैं, हार्डवेयर के अंतर्गत आते हैं। जैसे—सिस्टम यूनिट, मानीटर, प्रिंटर, की-बोर्ड, माउस, मेमोरी डिवाइस आदि।
 

साफ्टवेयर (Software) : हार्डवेयर कोई भी कार्य स्वयं संपादित नहीं कर सकता। किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए हार्डवेयर को निर्देश दिया जाना आवश्यक है। यह कार्य साफ्टवेयर द्वारा किया जाता   है।
                साफ्टवेयर प्रोग्रामों, नियमों व अनुदेशों का वह समूह है जो कम्प्यूटर सिस्टम के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कम्प्यूटर के विभिन्न हार्डवेयर के बीच समन्वय स्थापित करता है। साफ्टवेयर यह निर्धारित करता है कि हार्डवेयर कब और कौन-सा कार्य करेगा। साफ्टवेयर को हम देख या छू नहीं सकते। इस प्रकार, अगर हार्डवेयर इंजन है तो साफ्टवेयर उसका ईंधन।
 

2. कम्प्यूटर की कार्यप्रणाली
(Working Principle of Computer)

कम्प्यूटर की कार्यप्रणाली को मोटेतौर पर पांच भागों में बांटा जाता है जो हर प्रकार के कम्प्यूटर के लिए आवश्यक है-

(i) इनपुट (Input) : कम्प्यूटर में डाटा तथा अनुदेशों (Data and Instructions) को डालने का कार्य इनपुट कहलाता है। इसे इनपुट यूनिट द्वारा संपन्न किया जाता है।

(ii) भंडारण (Storage) : डाटा तथा अनुदेशों को मेमोरी यूनिट में स्टोर किया जाता है ताकि आवश्यकतानुसार उनका उपयोग किया जा सके। कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेसिंग के पश्चात प्राप्त अंतरिम तथा अंतिम परिणामों (Intermediate and final results) को भी मेमोरी यूनिट में स्टोर किया जाता है।
 

(iii) प्रोसेसिंग (Processing) : इनुपट द्वारा प्राप्त डाटा पर अनुदेशों के अनुसार अंकगणितीय व तार्किक गणनाएं (Arithmatical and Logical Operations) कर उसे सूचना में बदला जाता है तथा वांछित कार्य संपन्न किए जाते हैं।


(iv) आउटपुट (Output) : कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेसिंग के पश्चात सूचना या परिणामों को उपयोगकर्ता के समक्ष प्रदर्शित करने का कार्य आउटपुट कहलाता है। इसे आउटपुट यूनिट द्वारा संपन्न किया जाता है।
 

(v) कंट्रोल (Control) : विभिन्न प्रक्रियाओं में प्रयुक्त उपकरणों, अनुदेशों और सूचनाओं को नियंत्रित करना और उनके बीच तालमेल स्‍थापित करना कंट्रोल (Control) कहलाता हैा 

3. कम्प्यूटर हार्डवेयर के मुख्य भाग (Main Components of Computer): कम्प्यूटर की आंतरिक संरचना विभिन्न कम्प्यूटरों में अलग-अलग हो सकती है, पर कार्यपद्धति के आधार पर इन्हें निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है-
(i) इनपुट यूनिट (Input Unit)
(ii) भंडारण यूनिट या मेमोरी (Storage Unit or Memory)
(ii) सिस्टम यूनिट (System Unit)
        (a) मदर बोर्ड (Mother Board)
        (b) सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit)
        (c) प्राथमिक या मुख्य मेमोरी (Primary or Main Memory)
(iv) आउटपुट यूनिट (Output Unit) 

इनपुट डिवाइस (Input Device) : डाटा, प्रोग्राम, अनुदेश (Instructions) और निर्देशों (Commands) को कम्प्यूटर में डालने के लिए प्रयोग की जाने वाली विद्युत यांत्रिक (Electromechanical) युक्ति इनपुट डिवाइस कहलाता है। इनपुट यूनिट उपयोगकर्ता से डाटा और अनुदेश प्राप्त कर उसे डिजिटल रूप में परिवर्तित करता है तथा प्रोसेसिंग के लिए प्रस्तुत करता है। चूंकि कम्प्यूटर केवल बाइनरी संकेतों (0 और 1 या ऑन और ऑफ) को समझ सकता है अतः सभी इनपुट डिवाइस इनपुट इंटरफेस (Input Interface) की मदद से डाटा व अनुदेशों को बाइनरी संकेत में बदलते हैं। इस तरह, इनपुट डिवाइस के कार्य हैं-
        (i) डाटा, अनुदेशों तथा प्रोग्राम को स्वीकार करना,
        (ii) उन्हें बाइनरी कोड में बदलना
        (iii) बदले हुए कोड को कम्प्यूटर सिस्टम को देना।
        इनपुट डिवाइस के कुछ उदाहरण हैं-की-बोर्ड, माउस, ज्वास्टिक, प्रकाशीय पेन, स्कैनर, बार कोड रीडर, माइकर, पंचकार्ड रीडर आदि। 

5. भंडारण यूनिट या मेमोरी (Storage Unit or Memory) डाटा और अनुदेशों को प्रोसेस करने से पहले मेमोरी में रखा जाता है। प्रोसेस द्वारा प्राप्त अंतरिम और अंतिम परिणामों को भी मेमोरी में रखा जाता है।
इस प्रकार मेमोरी सुरक्षित रखता है,
(i) प्रोसेस के लिए दिये गये डाटा व अनुदेशों को
(ii) अंतरिम परिणामों (Intermediate results) को
(iii) अंतिम परिणामों (Final results) को मेमोरी को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है-
 

        (i) प्राथमिक या मुख्य मेमोरी (Primary or Main Memory) : यह कम्प्यूटर सिस्टम यूनिट के अंदर स्थित इलेक्ट्रानिक मेमोरी है। इसकी स्मृति क्षमता कम जबकि गति तीव्र होती है। इसमें अस्थायी निर्देशों और तात्कालिक परिणामों को संग्रहित किया जाता है। यह अस्थायी (Volatile) मेमोरी है जिसमें कम्प्यूटर को ऑफ कर देने पर सूचना भी समाप्त हो जाती है।
                    डाटा तथा अनुदेशों को प्रोसेस करने से ठीक पहले प्राथमिक मेमोरी में अस्थायी रूप से रखा जाता है। अंतरिम परिणामों तथा प्राप्त आउटपुट को प्रदर्शित करने से पहले प्राथमिक मेमोरी में स्टोर किया जाता है। 

               सेमीकण्डक्टर रजिस्टर (Registers), कैश (Catche), रॉम (ROM) तथा रैम (RAM) प्राथमिक मेमोरी के उदाहरण हैं। इनमें रजिस्टर या कैश मेमोरी सीपीयू या माइक्रोप्रोसेसर के भीतर बने होते हैं, जबकि ROM तथा RAM मदरबोर्ड पर लगे होते हैं। सीपीयू का सीधा संपर्क कैश मेमोरी से ही होता है।
 

(ii) द्वितीयक या सहायक मेमोरी (Secondary or Aux- iliary Memory) : डाटा, साफ्टवेयर तथा अंतिम परिणामों कोस्थायी रूप से सहायक मेमोरी में संग्रहित किया जाता है। कम्प्यूटर
प्रोसेसर द्वारा डाटा प्रोसेस से पहले सहायक मेमोरी से मुख्य मेमोरी में से लाया जाता है। सहायक मेमोरी में कम खर्च में विशाल डाटा स्टोर करने की क्षमता होती है। यह एक स्थायी (Non Volatile) मेमोरी है
जिसमें कम्प्यूटर को बंद कर देने या विद्युत उपलब्ध न होने पर भी से डाटा नष्ट नहीं होता है। चुंबकीय डिस्क (Magnetic Disk), ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk), हार्ड डिस्क (Hard Disk) आदि सहायक मेमोरी के उदाहरण हैं।

5.1. रजिस्टर (Registers) : यह सीपीयू (Central Proa cessing Unit) या माइक्रो प्रोसेसर के साथ निर्मित अत्यंत तीव्र गति वाली प्राथमिक मेमोरी हैं। इसे सीपीयू की कार्यकारी मेमोरी (Working memory) भी कहा जाता है। सीपीयू रजिस्टर में स्थित डाटा को ही प्रोसेस कर पाता है। अतः डाटा तथा अनुदेशों को प्रोसेसिंग से पहले रजिस्टर में स्थानान्तरित किया जाता है। रजिस्टर मेमोरी का
एक्सेस टाइम 1-2 नैनो सेकेण्ड हो सकता है।
 

5.2. कैश मेमोरी (Cache Memory) : कैश मेमोरी सीपीयू से सीधे जुड़ा होता है। अतः कैश मेमोरी से सीपीयू तक डाटा ले जाने के लिए कम्प्यूटर मदरबोर्ड के सिस्टम बस का प्रयोग नहीं करना पड़ता। अतः डाटा स्थानान्तरण की गति तीव्र होती है। सीपीयू वांछित सूचना के लिए सबसे पहले कैश मेमोरी की
तलाश करता है। अगर वांछित सूचना कैश मेमोरी में नहीं मिलती तो इसे ROM/RAM में खोजा जाता है। कैश मेमोरी सीपीयू तथा मुख्य मेमोरी के बीच बफर (Buffer) का काम करता है। कैश मेमोरी अत्यंत तीव्र होती है, पर यह अधिक महंगा भी होता है। कैश मेमोरी का एक्सेस टाइम 2-10 नैनो सेकेण्ड तक हो
सकता है।

5.3. रैम (RAM-RandomAccess Memory) : रैम एक सेमीकण्डक्टर मेमोरी चिप है जिसे मदरबोर्ड पर बने मेमोरी स्लॉट में लगाया जाता है। यह एक अस्थायी (Volatile) प्राथमिक मेमोरी है। इसमें डाटा का एक्सेस टाइम डाटा की भौतिक स्थिति पर निर्भर नहीं करता। अतः इसकी गति तीव्र होती है।
 

        प्रोसेसिंग के दौरान डाटा और अनुदेशों को सहायक मेमोरी से लाकर रैम में स्टोर किया जाता है। सीपीयू इन्हें रैम से प्राप्त करता है तथा डाटा प्रोसेसिंग करता है। किसी अंतरिम या अंतिम परिणाम (Intermediate or final result) को अस्थायी तौर पर रैम में स्टोर किया जाता है।

5.4. रॉम (ROM-Read only memory) : रॉम एक सेमीकण्डक्टर मेमोरी चिप है जिसे कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर कम्प्यूटर निर्माता कंपनी द्वारा स्थापित किया जाता है। रॉम एक स्थायी (Non Volatile) प्राथमिक मेमोरी है जिसमें संग्रहित डाटा न तो नष्ट होती है। और न ही इसे बदला जा सकता है। रॉम में कम्प्यूटर को स्टार्ट करने के लिए आवश्यक साफ्टवेयर स्टोर किया जाता है।
 

5.5.सीमॉस चिप (C-MOS Chip-Complementory Metal Oxide Semiconductor Chip) : कम्प्यूटर में कुछ सूचनाएं तथा सेटिंग्स लगातार परिवर्तित होती रहती हैं, पर कम्प्यूटर को उन्हें अद्यतन (update) करते रहना होता है। यदि किसी पर्सनल कम्प्यूटर को कुछ समय या दिन के बाद ऑन किया जाए, तो भी वह वर्तमान का सही समय और दिन बताता है। ऐसी सूचनाएं C-MOS चिप मेमोरी में स्टोर की जाती हैं।
C-MOS चिप मेमोरी कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर स्थापित एक सेमीकण्डक्टर मेमोरी है। इसके साथ बटन के आकार का एक बैटरी लगा रहता है जिसके कारण कम्प्यूटर ऑफ होने पर भी C-MOS मेमोरी काम करते रहता है।
 

6. सिस्टम यूनिट (System Unit) किसी पर्सनल कम्प्यूटर का सिस्टम यूनिट उसका मुख्य हार्डवेयर है। सिस्टम यूनिट एक बॉक्स की तरह होता है। इनपुट और आउटपुट डिवाइस के अतिरिक्त कम्प्यूटर के सभी हार्डवेयर सिस्टम यूनिट में ही स्थित होते हैं। सिस्टम यूनिट में मुख्यतः पॉवर सप्लाई यूनिट (Power
Supply Unit), मदरबोर्ड (Mother Board), सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) या माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor), मुख्य मेमोरी (Main Memory) तथा कई पोर्ट होते हैं।

 

मदर बोर्ड (Mother Board) : मदर बोर्ड किसी कम्प्यूटर का मुख्य सर्किट बोर्ड है। संपूर्ण कम्प्यूटर मदर बोर्ड के इर्द-गिर्द ही घूमता है। मदर बोर्ड पर सीपीयू (Central Processing Unit), रॉम (ROM) चिप, रैम (RAM) चिप, मेमोरी आदि उपकरण लगे होते हैं। कम्प्यूटर के अन्य उपकरण, जैसे—इनपुट यूनिट, आउटपुट यूनिट, हार्ड डिस्क ड्राइव, सीडी ड्राइव, साउण्ड कार्ड, वीडियो कार्ड आदि मदर बोर्ड से ही जुड़े होते हैं। भविष्य में हार्डवेयर उपकरणों को जोड़ने के लिए मदरबोर्ड पर Expansion Slots भी
बने होते हैं।
 

6.2. कम्प्यूटर बस (Computer Bus) : मदरबोर्ड पर बने सुचालक तारों का समूह जो कम्प्यूटर डाटा तथा संकेतों को कम्प्यूटर सिस्टम के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाता है, कम्प्यूटर बस कहलाता है। सीपीयू तथा कम्प्यूटर सिस्टम के अन्य हार्डवेयर और पेरीफेरल डिवाइस के बीच निर्देशों तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान बस के मार्ग से ही होता है।
 

इंटरनल/सिस्टम बस (Internal/System Bus) : मदरबोर्ड पर लगे उपकरणों के बीच डाटा तथा संकेतों का आदान-प्रदान इंटरनल या सिस्टम बस द्वारा किया जाता है। इसमें डाटा स्थानान्तरण की गति तीव्र होती है। सिस्टम बस को तीन भागों-डाटा बस (Data Bus), ऐड्रेस बस (Address Bus) तथा कंट्रोल बस (Control Bus) में बांटा जाता है।

जैसे-की-बोर्ड, माउस, मानीटर, प्रिंटर, हार्ड डिस्क, सीडी ड्राइव आदि को मदरबोर्ड के साथ जोड़ता है। इसमें डाटा स्थानान्तरण की गति अपेक्षाकृत धीमी होती है। 

 

रोचक तथ्य

कम्प्यूटर बस (Bus) कम्प्यूटर के अंदर बना मुख्य सड़क (Highway) है जिस पर डाटा तथा सूचनाएं तेजी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाती हैं।

सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट या माइक्रो प्रोसेसर (Central Processing Unit or Microprocessor) : सीपीयू (CPU) को कम्प्यूटर का हृदय या मस्तिष्क (Heart or Brain of Computer) भी कहा जाता है। यह कम्प्यूटर के सभी कार्यों को नियंत्रित, निर्देशित तथा
समन्वित (Control, Supervise and Co-ordinate) करता है। डाटा को निर्देशानुसार प्रोसेस करने का कार्य भी सीपीयू ही करता है।


            सीपीयू वास्तव में एक सघन इंटेग्रेटेड सर्किट चिप (IC Chip) है जिसे माइक्रो प्रोसेसर भी कहा जाता है। किसी एक माइक्रो प्रोसेसर में करोड़ो इलेक्ट्रानिक उपकरण बने होते हैं। यह प्रोसेसर कम्प्यूटर के मदरबोर्ड पर लगाया जाता है।


            सीपीयू स्टोर्ड प्रोग्राम इंसट्रक्शन्स (Stored Program 2 Instrutions) के आधार पर काम करता है। प्रोसेसिंग से पहले डाटा व निर्देशों को सीपीयू में बने रजिस्टर में अस्थायी तौर पर स्टोर किया जाता है। सीपीयू रजिस्टर में स्थित निर्देशों के अनुसार ही डाटा प्रोसेसिंग के लिए अंकगणितीय तथा तार्किक कार्रवाईयां (Mathematical and Logical Operations) करता है। डाटा प्रोसेसिंग के सभी कार्य सीपीयू द्वारा ही संपन्न किये जाते हैं।

(i)      विभिन्न प्रक्रियाओं के क्रम निर्धारित करना।
(ii)     कम्प्यूटर के विभिन्न उपकरणों को नियंत्रित व निर्देशित करना।
(iii)    कम्प्यूटर हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर के बीच समन्वय स्थापित करना।
(iv) इनपुट डाटा को निर्देशानुसार प्रोसेस करना। सीपीयू को हार्डवेयर की दृष्टि से तीन मुख्य भागों में बांटा जा सकता है-
(1) कंट्रोल यूनिट
(ii) अरिथमैटिक लॉजिक यूनिट
(iii) मेमोरी रजिस्टर

कंट्रोल यूनिट (Control Unit) : सीपीयू का कंट्रोल यूनिट कम्प्यूटर के सभी कार्यों पर नियंत्रण रखता है तथा साफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच समन्वय स्थापित करता है। कंट्रोल यूनिट में सीपीयू द्वारा संपन्न की जा सकने वाले कार्यों की सूची होती है, जिसे Instruction Set कहते हैं। कंट्रोल यूनिट को कम्प्यूटर का नाड़ी तंत्र (Nerve System) कहा जाता है।
कंट्रोल यूनिट के मुख्य कार्य हैं-
(i) इनपुट और आउटपुट डिवाइस तथा अन्य हार्डवेयर को नियंत्रित करना।
(ii) अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट के कार्यों को नियंत्रित करना।
(iii) मुख्य मेमोरी से डाटा लाना तथा उन्हें तत्कालिक रूप से स्टोर करना।
(iv) निर्देशों को पढ़ना और उन्हें कार्यान्वित करने के आदेश देना ।
(v) हार्डवेयर और साफ्टवेयर के बीच समन्वय स्थापित करना । 

अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU-Arithmatic Logic Unit) : अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट सीपीयू का एक भाग है। डाटा प्रोसेसिंग का वास्तविक काम ALU द्वारा ही किया जाता है। यह डाटा पर कंट्रोल यूनिट से प्राप्त निर्देशों के अनुसार सभी प्रकार की गणितीय (Mathematical) तथा तार्किक (Logical) कार्रवाईयां करता है1

6.3.2. अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU-ArithmaticLogic Unit) : अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट सीपीयू का एक भाग है। डाटा प्रोसेसिंग का वास्तविक काम ALU द्वारा ही किया जाता है। यह डाटा पर कंट्रोल यूनिट से प्राप्त निर्देशों के अनुसार सभी प्रकार की गणितीय (Mathematical) तथा तार्किक (Logical) कार्रवाईयां करता है।

जानने योग्‍य तथ्‍य

इंटेल (Intel) तथा एएमडी (AMD-Advanced Micro Divices) दो प्रमुख माइक्रोप्रोसेसर निर्माता कंपनियां हैं।
इनके द्वारा निर्मित प्रमुख माइक्रो प्रोसेसर या सीपीयू चिप हैं-
-इंटेल पेंटियम (Intel Pentium)
-इंटेल सेलेरॉन (Intel Celeron)
-इंटेल जियोन (Intel Xeon)
-इंटेल कोर 2 डुओ (Intel Core 2 Duo)
-इंटेल ऐटम (Intel Atom)
-एएमडी एथलॉन (AMD Athlon)
-एएमडी ड्यूरॉन (AMD Duron)

ALU को पुनः दो भागों-AU (Arithmatic Unit) तथा LU (Logical Unit) में बांटा जाता है। AU डाटा पर मूलभूत अंकगणितीय गणनाएं जैसे-जोड़, घटाव, गुणा, भाग आदि संपन्न
करता है। दूसरी तरफ, LU डाटा पर तार्किक कार्य (Logical Operations) जैसे—बड़ा है, छोटा है, बराबर है (Greater than, Less than, Equal to) आदि संपन्न करता है। इस प्रकार, अरिथमेटिक एंड लॉजिक यूनिट डाटा पर अंकगणितीय गणनाएं तथा तुलना का काम करता है।

7. बायोस (BIOS-Basic Input Output System) BIOS एक साफ्टवेयर प्रोग्राम है। इसे मदरबोर्ड निर्माता कंपनी द्वारा स्थायी ROM मेमोरी चिप में स्टोर कर कम्प्यूटर मदरबोर्ड पर स्थापित कर दिया जाता है।
            जब कम्प्यूटर ऑन किया जाता है तो सबसे पहले BIOS साफ्टवेयर चलता है। BIOS कम्प्यूटर से जुड़े हार्डवेयर की जांच करता है जिसे Power on Self Test (POST) कहा जाता है। BIOS में स्थित बूट स्ट्रैप लोडर (Boot Strap Loader) प्रोग्राम ऑपरेटिंग सिस्टम साफ्टवेयर की जांच कर इसे मुख्य मेमोरी में डालने का आदेश देता है। कम्प्यूटर ऑन होते समय डिलीट बटन (DEL Key) दबाने पर BIOS सेटअप खुलता है जहां हम दिये गये विकल्पों के अनुसार BIOS में परिवर्तन कर सकते हैं।
8. आउटपुट डिवाइस (Output Device) आउटपुट डिवाइस कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेसिंग के पश्चात प्राप्त अंतरिम तथा अंतिम परिणामों को उपयोगकर्ता तक पहुंचाने के लिए प्रयुक्त एक युक्ति है। यह कम्प्यूटर को उपयोगकर्ता के साथ जोड़ता है तथा प्रोसेसर द्वारा प्राप्त परिणामों को उपयोगकर्ता के समझने योग्य स्वरूप में प्रदर्शित करता है। चूंकि प्रोसेसर से प्राप्त परिणाम बाइनरी संकेतों (0 या 1) में होते हैं, अतः इन्हें आउटपुट इंटरफेस (Out-put Interface) द्वारा सामान्य संकेतों में परिवर्तित किया जाता है।
 

    आउटपुट डिवाइस के कार्य हैं-

(i) सीपीयू से परिणाम प्राप्त करना
(ii) प्राप्त परिणामों को मानव द्वारा समझे जा सकने वाले संकेतों में बदलना
(iii) परिणाम के परिवर्तित संकेतों को उपयोगकर्ता तक पहुंचाना।
                    आउटपुट डिवाइस के कुछ उदाहरण हैं—मॉनीटर, प्रिंटर, प्लॉटर, स्पीकर, स्क्रीन इमेज प्रोजेक्टर, कार्ड रीडर आदि।
9. सीपीयू की गति को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting speed of CPU) : सीपीयू या माइक्रोप्रोसेसर की कार्यक्षमता को एक सेकेण्ड में संपादित किए जा सकने वाले अनुदेशों की संख्या के आधार पर मापा जाता है। चूंकि सीपीयू एक सेकेण्ड में लाखों अनुदेश संपादित करता है, अतः इसकी गति को MIPS (Million Instructions Per Second) या BIPS (Billion Instructions per Second) में मापा जाता है।
सीपीयू की गति को प्रभावित करने वाले कारक हैं-
(i) कम्प्यूटर घड़ी (System Clock) : सीपीयू के डाटा प्रोसेस करने की गति कम्प्यूटर के अंदर बने इलेक्ट्रानिक घड़ी पर निर्भर करती है जिसे सिस्टम क्लॉक (System Clock) कहा जाता है।

                    डाटा प्रोसेसिंग के कार्य को अनेक छोटे-छोटे व मूलभूत चरणों (Steps) में बांटा जाता है। एक चरण का कार्य समाप्त हो जाने के बाद दूसरा चरण आरंभ करने के लिए रजिस्टर क्लॉक पल्स (Clock Pulse) का इंतजार करते हैं। क्लॉक पल्स System Clock द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं। स्पष्टतः, System Clock जितनी जल्दी-जल्दी क्लॉक पल्स उत्पन्न करेगा, सीपीयू के डाटा प्रोसेस की गति उतनी ही तीव्र होगी। अन्य मानदंड समान होने पर 200MHz का क्लॉक 100 MHz के क्लॉक की अपेक्षा दुगुनी गति से काम करेगा।
                    सिस्टम क्लॉक की गति को एक सेकेण्ड में उत्पन्न क्लॉक पल्स की संख्या के आधार पर मापा जाता है। एक सेकेण्ड में उत्पन्न पल्स की संख्या को हर्टज (Hertz-Hz) कहते हैं। सिस्टम क्लॉक की गति को सामान्यतः मेगा हर्टज (MHz-10 pulse per Second) या गीगा हर्टज (GHz-10° pulse per Second) में निरूपित किया जाता है। आजकल उपलब्ध कम्प्यूटरों में सिस्टम क्लॉक की गति 500 MHz से 4GHz तक हो सकती है।
 

(ii) रजिस्टर मेमोरी (Register Memory) : रजिस्टर सीपीयू के अंदर बने होते हैं तथा सीपीयू की कार्यकारी मेमोरी (Working Memory) कहलाते हैं। सीपीयू रजिस्टर में स्थित डाटा को ही प्रोसेस कर सकता है। सीपीयू में रजिस्टर की संख्या तथा आकार जितना अधिक होगा, सीपीयू के प्रोसेसिंग की गति भी उतनी ही तीव्र होगी।

(ii) शब्द परास (Word Length) : शब्द परास बाइनरी अंकों (बिट-bit) की वह संख्या है जो कम्प्यूटर एक बार में प्रोसेसिंग के लिए लेता है। शब्द परास अधिक होने से कम्प्यूटर गति बढ़ जाती है। शब्द परास की लम्बाई 8, 16, 32 या 64 बिट तक हो सकती है। 64 बिट शब्द परास का अर्थ है कि सीपीयू एक साथ 64 बिट डाटा प्रोसेस कर सकता है।
 

(iv) कैश मेमोरी (Cache Memory) : कैश मेमोरी सीपीयू से सीधे जुड़ा होता है, अतः इसके डाटा स्थानान्तरण की गति तीव्र से होती है। स्पष्टतः, कैश मेमोरी का आकार बड़ा होने पर सीपीयू की गति भी तीव्र होगी।


(v) सिस्टम बस (System Bus) : कम्प्यूटर में बने सिस्टम बस की चौड़ाई (Width) सीपीयू के गति को प्रभावित करती है। यदि सिस्टम बस की चौड़ाई 32 बिट है, तो इसका अर्थ है कि कम्प्यूटर बस में 32 तार हैं। तात्पर्य यह कि प्रोसेसर एक साथ 32 बिट डाटा का आदान-प्रदान कर सकता है।
 

(vi) समानान्तर गणना (Parallel Operation) : एक साथ कई निर्देशों के क्रियान्वयन से सीपीयू की क्षमता का बेहतर उपयोग होता है जिससे कम्प्यूटर की गति बढ़ती है। ड्यूएल कोर (Duel Core) या मल्टी कोर (Multi Core) प्रोसेसर में एक साथ दो या अधिक प्रोसेसर एक ही चिप पर बनाये जाते हैं। इसमें पैरालेल प्रोसेसिंग का प्रयोग होता है जिसके कारण सीपीयू की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
 

(vii) सीपीयू और अन्य उपकरणों के बीच समन्वय (Integration between CPU and Peripherals) : सामान्यतः सीपीयू तीव्र गणना करता है। अतः अन्य उपकरणों के धीमा होने से कम्प्यूटर की गति प्रभावित होती है।
10. कम्प्यूटर सिस्टम के कार्यक्षमता की माप (Measuring the performance of a Computer System) थूपुट (Throughput) : प्रति इकाई समय में कम्प्यूटर द्वारा संपादित किए गए उपयोगी प्रोसेसिंग की संख्या ध्रुपुट कहलाती है। अधिक थूपुट बेहतर कार्यक्षमता को इंगित करता है पर यह प्रोसेस किए गए कार्य के प्रकार पर भी निर्भर करता है।
        रेस्पांस टाइम (Response Time) : मल्टी टास्किंग आपरेटिंग सिस्टम में कम्प्यूटर अपना थोड़ा-थोड़ा समय सभी कार्यों के प्रोसेसिंग के लिए देता है। कम्प्यूटर को प्रोसेसिंग के लिए कार्य दिए जाने तथा सीपीयू द्वारा उस कार्य को संपादित करने के लिए की गई पहली प्रतिक्रिया के बीच का समय रेस्पांस टाइम कहलाता है। बेहतर कार्यक्षमता के लिए रेस्पांस टाइम कम होना चाहिए। 

        टर्न अराउण्ड टाइम (Turn Around Time) : कम्प्यूटर को प्रोसेसिंग के लिए कार्य दिए जाने तथा कम्प्यूटर द्वारा उसे पूरा कर अंतिम परिणाम देने के बीच का समय टर्न अराउण्ड टाइम कहलाता है। बेहतर कार्यक्षमता के लिए टर्न अराउण्ड टाइम कम होना चाहिए ा

 





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